पीएम मोदी ने किया ट्वीट
पीएम मोदी ने इस संबंध में ट्वीट कर कहा- 12 अक्टूबर को राजमाता विजया राजे सिंधिया की जयंती है। इस विशेष दिन पर, 100 रुपये का सिक्का जारी किया जाएगा। यह उनके जन्म शताब्दी समारोह का एक हिस्सा है और उनके महान व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देने के लिए एक और अवसर है।
पीएम मोदी ने इस संबंध में ट्वीट कर कहा- 12 अक्टूबर को राजमाता विजया राजे सिंधिया की जयंती है। इस विशेष दिन पर, 100 रुपये का सिक्का जारी किया जाएगा। यह उनके जन्म शताब्दी समारोह का एक हिस्सा है और उनके महान व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देने के लिए एक और अवसर है।
क्या है सिक्के में
सिक्के के एक तरफ राजमाता विजयाराजे सिंधिया का फोटो है जिस पर ऊपर हिंदी व नीचे अंग्रेजी में विजया राजे सिंधिया की जन्म शताब्दी के साथ उनकी जन्म का साल 1919 व जन्म शताब्दी वषर्ष 2019 अंकित है। दूसरी तरफ अशोक स्तंभ के दोनों तरफ हिंदी और अंग्रेजी में भारत लिखा है व अशोक स्तंभ के नीचे अंकों में रुपये 100 रूपये लिखा हुआ है।
सिक्के के एक तरफ राजमाता विजयाराजे सिंधिया का फोटो है जिस पर ऊपर हिंदी व नीचे अंग्रेजी में विजया राजे सिंधिया की जन्म शताब्दी के साथ उनकी जन्म का साल 1919 व जन्म शताब्दी वषर्ष 2019 अंकित है। दूसरी तरफ अशोक स्तंभ के दोनों तरफ हिंदी और अंग्रेजी में भारत लिखा है व अशोक स्तंभ के नीचे अंकों में रुपये 100 रूपये लिखा हुआ है।
मन की मात में पीएम ने सुनाया था किस्सा
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने राजमाता का एक किस्सा सुनाया था। उन्होंने कहा था कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया वात्सल्य की प्रतिमूर्ति थीं। 12 अक्टूबर को विजयाराजे सिंधिया का जन्म शताब्दी वर्ष के समारोह का समापन होगा। पीएम मोदी ने किस्सा बताते हुए कहा था- डॉ मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में हम कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा लेकर निकले थे। कड़ाके के ठंड के दिन थे और हमारी यात्रा करीब बारह-एक बजे, मध्य प्रदेश के शिवपुरी पहुंचे। रात में करीब 2 बजे मैं सोने की तैयारी कर रहा था, तो किसी ने दरवाजा खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला तो राजमाता सामने खड़ी थीं।
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने राजमाता का एक किस्सा सुनाया था। उन्होंने कहा था कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया वात्सल्य की प्रतिमूर्ति थीं। 12 अक्टूबर को विजयाराजे सिंधिया का जन्म शताब्दी वर्ष के समारोह का समापन होगा। पीएम मोदी ने किस्सा बताते हुए कहा था- डॉ मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में हम कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा लेकर निकले थे। कड़ाके के ठंड के दिन थे और हमारी यात्रा करीब बारह-एक बजे, मध्य प्रदेश के शिवपुरी पहुंचे। रात में करीब 2 बजे मैं सोने की तैयारी कर रहा था, तो किसी ने दरवाजा खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला तो राजमाता सामने खड़ी थीं।
कड़ाके की ठंड में राजमाता को देखकर के मैं हैरान था। मैंने मां को प्रणाम किया, मैंने कहा, मां आधी रात में, उन्होंने कहा कि नहीं बेटा आप ऐसा करो गर्म दूध पीकर सो जाइए। हल्दी वाला दूध वो खुद लेकर आईं थी। दूसरे दिन मैंने देखा कि वो सिर्फ मुझे ही नहीं हमारी यात्रा की व्यवस्था में जो 30-40 लोग थे, उसमें ड्राइवर भी थे और भी कार्यकर्ता थे, हर एक के कमरे में जाकर के खुद ने रात को 2 बजे सबको दूध पिलाया। मां का प्यार क्या होता है, वात्सल्य क्या होता है, उस घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता हूं। यह हमारा सौभाग्य है कि ऐसे महान विभूतियों ने हमारी धरती को, अपने त्याग और तपस्या से सींचा है।