दरअसल सामने आ रही सूचना के अनुसार जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) ने विधानसभा चुनाव में जिस तरह कांग्रेस को समर्थन दिया था, अब इस संठन का एक धड़ा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ खड़ा होने की तैयारी में है।
इसी के तहत जयस ने प्रदेश की चार सीटों खरगोन, धार, रतलाम और बैतूल से निर्दलीय प्रत्याशी उतारने का फैसला लिया जाएगा। बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में 29 में से छह आदिवासी सीटें हैं। विधानसभा में 47 सीटें हैं, जिनमें से अभी कांग्रेस के पास 30 हैं और एक निर्दलीय केदार डाबर उन्हें समर्थन दे रहे हैं।
जबकि 2013 में कांग्रेस के पास 14 आदिवासी सीटें थीं। इधर, जयस नेता और कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने डॉ. हीरा अलावा का कहना है कि हमारे संगठन के कारण कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर ज्यादा वोट मिले।
जयस को लोकसभा चुनाव में कम से कम दो सीटें दी जानी थीं, पर ऐसा नहीं हुआ। इससे संगठन के नेताओं में नाराजगी है।
सक्रिय हो गए नेता :
बताया जाता है कि जयस नेता कांग्रेस के धार प्रत्याशी के एलान का इंतजार कर रहे थे। शनिवार की शाम को धार प्रत्याशी दिनेश ग्रेवाल को घोषित करते ही जयस नेताओं डॉ. हीरा अलावा, डॉ. अंतिम मुजाल्दा सक्रिय हो गए।
वहीं कांग्रेस सूत्रों से सामने आ रही सूचना के अनुसार कांग्रेस का मानना है कि खरगोन के कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. गोविंद मुजाल्दा जयस समर्थक है। वहां मंत्री की पत्नी का टिकट काटकर उन्हें टिकट दिया गया है। ऐसे में संगठन को एक टिकट से संतोष करना चाहिए।
जयस सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के साथ ही जयस की भाजपा से भी चर्चा चल रही थी। और कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी खड़ा कर दिए जाने के बाद अब भाजपा के बातचीत की जाएगी।
अभी धार और रतलाम सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। अगर वे जयस नेताओं को टिकट देते हैं या समर्थन देते हैं तो फिर दो ही सीटों पर जयस अपने प्रत्याशी उतारेंगे। साथ ही भाजपा को अन्य चार आदिवासी सीटों पर जयस समर्थन देगा।
जयस से मिल रही जानकारी के अनुसार उनके खरगोन,धार,रतलाम और बैतूल यानि चार प्रत्याशी तय हैं। इसमें खरगोन में डॉ. रक्षा मुजाल्दा, धार से भगवान सिंह, रतलाम से डॉ. अभय ओहरी और बैतूल से डॉ. रुपेश पद्माकर को संगठन का प्रत्याशी बनाए जाने की तैयारी है।
भाजपा से समझौता नहीं होने पर जयस इन चारों प्रत्याशियों को उतारने की रणनीति बना रहा है। गौरतलब है कि डॉ. ओहरी को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बनाया जा रहा था, लेकिन उनका सरकारी नौकरी से इस्तीफा स्वीकृत होने में देरी की वजह से टिकट ही नहीं मिला था।