यहां नोटा फैक्टर भी मायने रखता है। ऐसा माना जा रहा है कि नोटा ही इस चुनाव में जीत-हार का अंतर तय करेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में छह हजार से ज्यादा वोट नोटा को मिले थे जबकि लोकसभा चुनाव में नोटा को मिलने वाले वोटों की संख्या 35 हजार तक पहुंच गई थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लोगों से विकास को वोट देने की अपील की थी, उन्होंने कहा था कि सच का साथ दें और आपका एक-एक वोट झाबुआ की दशा,दिशा और तस्वीर बदलने में निर्णायक भूमिका अदा करेगा। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी लोगों से कहा था कि झाबुआ के विकास के लिए सही प्रत्याशी को चुनकर अपना कर्तव्य निभाएं। हर मत जरुरी है और अहम भी है।
किसकी-कितनी सभाएं :
कांग्रेस :
– मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तीन दौरे में तीन जनसभाएं और एक रोड शो किया
– पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक चुनावी सभा की
– 12 मंत्रियों ने अलग-अलग चुनावी सभाएं की।
– छह मंत्री जोनवार जिम्मेदारी संभालकर लगातार जुटे रहे।
– सभी आदिवासी विधायक और नेताओं ने यहां पर कांग्रेस के पक्ष में वोट मांगे।
भाजपा :
– पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छह बार झाबुआ का दौरा किया।
– प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और सुहास भगत ने लगातार 10 दिन झाबुआ में रहकर चुनाव की रणनीति तैयार की।
– केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल ने भी इस सीट पर प्रचार किया।
– प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे ने भी यहां प्रचार किया।
इसलिए जरुरी यहां की जीत :
इस सीट पर जीत कांग्रेस-भाजपा दोनों के लिए बेहद अहम है। संख्या का आंकड़ा यहां बहुत मायने रखता है। यदि ये सीट कांग्रेस जीत जाती है तो उसके विधायकों की संख्या 115 हो जाएगी। एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को मंत्री बनाकर कांग्रेस ने उन्हें अपने पाले में कर लिया है। इस तरह से कांग्रेस बहुमत के आंकड़े 116 तक पहुंच जाएगी। भाजपा ने 109 सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन झाबुआ विधायक जीएस डामोर को ही लोकसभा में टिकट दे दी,नतीजा भाजपा के पक्ष में हुआ और झाबुआ में उपचुनाव तय हो गया। भाजपा के पास अब 108 सीटें हैं, इस सीट को बचाकर भाजपा अपनी 109 सीटें करना चाहती है।
दिग्विजय ने फिर उठाया ईवीएम का मुद्दा :
दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ईवीएम का मुद्दा उठाया है। ट्वीट के जरिए दिग्विजय ने कहा कि सारे विपक्षी दल पहले ही चुनाव आयोग से शिकायत कर ईवीएम पर संदेह जता चुके हैं, चुनाव आयेाग को लोकतंत्र की मजबूती और लोगों की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए मतपत्रों से चुनाव कराना चाहिए।