महात्मा गांधी में वो तमाम खूबियां थीं, जिसकी बदौलत उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा दिया। हालांकि कुछ ऐसी भी खूबियां थीं, जिससे शायद अभी तक अनेक लोग अंजान हैं। इनमें से ही एक थी उनका राइट और लेफ्ट दोनों हाथों से लिखने की कला में पारंगत होना। वैज्ञानिक सोच है कि दोनों तरफ से लेखन किया जाए तो दिमाग का आधा नहीं, बल्कि पूरा हिस्सा काम करता है, जो असल में गांधी के दिमाग के साथ होता था।
साहित्योत्सव में महात्मा गांधी की ऐसी ही खूबियों से तारा गांधी भट्टाचार्य ने रूबरू करवाया। सेशन के दौरान हुई गुफ्तगू में प्रमोद कपूर ने सत्याग्रह के दौरान गांधी की ओर से अपनी धर्मपत्नी को लिखे गए पत्र को भी साझा किया। इस पत्र में गांधी ने अपने जीवन में धर्मपत्नी से अधिक सत्याग्रह की अहमियत बताई, वहीं धर्मपत्नी के बीमार होने के बावजूद सत्याग्रह को जारी रखने का प्रण भी पत्र के माध्यम से बताया गया।
सेशन में गांधी से जुड़े किस्से भी श्रोताओं को सुनाए गए, तो भीमराव अबेडकर और गांधी से जुड़े प्रसंग भी दिलचस्प रहे। हालांकि साहित्यकारों ने स्पष्ट किया कि गांधी की प्रासंगिकता हर समय विद्यमान रही है और इस समय भी वह उतने ही प्रासंगिक हैं। सत्र के दौरान त्रिदिप के साथ ही सलिल त्रिपाठी की भी मौजूदगी रही।