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देवगुरु का गोचर : मंगल की राशि में पहुंचे गुरु, अब इन राशियों के अच्छे दिन शुरु!

locationभोपालPublished: Oct 23, 2018 02:54:05 pm

आपकी कुंडली पर यह पड़ने जा रहा है प्रभाव, यदि गुरु नीच के हैं तो ऐसे करें अपना बचाव…

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देवगुरु का गोचर : मंगल की राशि में पहुंचे गुरु, अब इन राशियों के अच्छे दिन शुरु!

भोपाल। ज्योतिषशास्त्र में बृहस्पति या गुरु का अपना एक खास महत्व है। ये न केवल देवताओं के गुरु होने के चलते पूरी कुंडली पर खास असर रखते हैं, बल्कि यदि किसी कुंडली के मध्य में विराजमान हो जाएं तो उसमें मौजूद किसी भी दोष का प्रभाव जातक तक भी नहीं आने देते।

पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि पुराणों के अनुसार बृहस्पति समस्त देवी-देवताओं के गुरु हैं। यह सत्य के प्रतीक होने के साथ ही इन्हें ज्ञान, सम्मान एवं विद्वता का प्रतीक भी माना जाता है। गुरु बुद्धि और वाक् शक्ति के स्वामी हैं।

गुरु के संबंध में मान्यता है कि वे महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं। उनकी माता का नाम सुनीमा है। इनकी बहन का नाम ‘योग सिद्धा’ है।

ऐसे जाने बृहस्पति के शुभ लक्षण : व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता। उनकी सच्चाई के लिए वह प्रसिद्ध होता है। आंखों में चमक और चेहरे पर तेज होता है। अपने ज्ञान के बल पर दुनिया को झुकाने की ताकत रखने वाले ऐसे व्यक्ति के प्रशंसक और हितैषी बहुत होते हैं। यदि बृहस्पति उसकी उच्च राशि के अलावा 2, 5, 9, 12 में हो तो शुभ।

जानिये बृहस्पति के अशुभ के लक्षण : सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ जाते हैं। गले में व्यक्ति माला पहनने की आदत डाल लेता है। सोना खो जाए या चोरी हो जाए। बिना कारण शिक्षा रुक जाए।

व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं। आंखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी, अनावश्यक दुश्मन पैदा होना, धोखा होना, सांप के सपने। सांस या फेफड़े की बीमारी, गले में दर्द। 2, 5, 9, 12वें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हों या शत्रु ग्रह उसके साथ हों तो बृहस्पति मंदा होता है।

उपाय : पीपल में जल चढ़ाना। सत्य बोलना। आचरण को शुद्ध रखना। पिता, दादा और गुरु का आदर करना। गुरु बनाना। घर में धूप-दीप देना। ॐ बृं बृहस्पते नम: मंत्र जाप।

जानिये बृहस्पति ग्रह को…
पंडित शर्मा के अनुसार वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को ‘गुरु’ कहा जाता है। यह धनु और मीन राशि का स्वामी होता है और कर्क इसकी उच्च राशि है जबकि मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। गुरु ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि के कारक होता हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा बरसती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है।

ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का गोचर जन्मकालीन राशि से दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल देता है। जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत स्थिति में होता है उन जातक के जीवन में गजब की प्रगति होती है। हालांकि इस दौरान जातक के मोटे होने की भी संभावना बनी रहती है।
कुंडली पर प्रभाव…
गुरु के आशीर्वाद से व्यक्ति को पेट से संबंधित रोगों से छुटकारा मिलता है। वहीं कुंडली में यदि कोई भाव कमज़ोर हो और उस पर गुरु की दृष्टि पड़ जाए तो वह भाव मजबूत हो जाता है।
गुरु का गोचर शुरू…
ज्योतिष के जानकार बीके श्रीवास्तव के अनुसार देव गुरु बृहस्पति ने 11 अक्तूबर को लगभग 7 बजकर 20 मिनट पर राशि परिवर्तन कर लिया है और अब वे वृश्चिक राशि में भ्रमण कर रहे हैं। ज्योतिष के जानकार श्रीवास्तव के अनुसार ज्योतिषशास्त्र में गुरु का गोचर बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
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जानिये इस गोचर के क्या है मायने यानि आपकी राशि पर प्रभाव…

1. मेष – मेष राशि से बृहस्पति का परिवर्तन अष्टम भाव में हो रहा है। आठवां स्थान मृत्यु का होने के कारण अशुभ माना जाता है हालांकि यह आपके लिए यह परिवर्तन पूर्णत: अशुभ नहीं रहेगा।

इस समय कई जगह आपको गलत समझा जा सकता है अत: इधर उधर हाथ पैर डालने से बचें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कार्यों में भी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। परिवार के बड़े बुजूर्गों की सेवा करें।

2. वृषभ – आपकी राशि से बृहस्पति का परिवर्तन सप्तम भाव में हो रहा है जो कि दांपत्य का स्थान माना जाता है। वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करने वाले जातकों के लिए सुखद समय की शुरुआत हो रही है।

गुरु की पूर्ण दृष्टि आपकी राशि पर होने से स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। लाभ घर को भी गुरु देख रहे हैं जिससे यह आपके लिए लाभकारी हैं। वहीं नवम दृष्टि पराक्रम में पड़ने से आपके कठिन कार्यों भी सरल हो जाएंगे। कुल मिलाकर यह परिवर्तन बहुत ही सौभाग्यशाली कहा जा सकता है।

3. मिथुन – मिथुन राशि से बृहस्पति छठे घर में आ रहे हैं जो कि रोग व शत्रु का घर माना जाता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता रहेगी। शत्रु भी आपकी परेशानियों को बढ़ा सकते हैं।

जीवनसाथी के साथ तारतम्य में कमी आ सकती है। कर्मभाव के स्वामी भी गुरु हैं, साक्षात्कार आदि में भी आपको थोड़ा सचेत रहना होगा। धैर्य से काम लें।

4. कर्क – कर्क राशि वालों के लिये बृहस्पति पंचम भाव में प्रवेश कर रहे हैं जो कि आपके लिये शिक्षा, संतान व प्रेम संबंधों का कारक स्थान है। गुरु का यह परिवर्तन आपके लिए काफी शुभ है। गुरु की नवम दृष्टि आपकी ही राशि पर पड़ रही है जो कि बहुत ही शुभ संकेत कर रही है। स्वास्थ्य के मामले में आपको काफी लाभ मिलेगा। वहीं गुरु की पंचम दृष्टि आपके भाग्य स्थान पर पड़ रही है जिससे भाग्य का भी आपको पूरा साथ मिलने के आसार हैं।

5. सिहं – सिंह राशि वालों के लिये गुरु का यह राशि परिवर्तन चौथे स्थान में हो रहा है जो कि माता का स्थान भी माना जाता है। माता के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंतित रह सकते हैं। वहीं अष्टम भाव में भी दृष्टि पड़ने से निर्णय लेने के मामले में दुविधा का सामना कर सकते हैं। जल्दबाजी न करें, अनुभवी व्यक्तियों की सलाह आपके लिये लाभकारी रह सकती है।

6. कन्या – कन्या राशि से बृहस्पति तीसरे स्थान में आ रहे हैं जो कि आपके पराक्रम का क्षेत्र है।

परिजनों का पूरा सहयोग आपको मिलेगा, विशेषकर भाई बहन आपकी पूरी सहायता करेंगें। गुरु की नवम दृष्टि आपके लाभ स्थान में पड़ रही है, जिससे लाभ के योग बन रहे हैं।
कार्यक्षेत्र में कुछ परिवर्तन हो सकते हैं। स्थानांतरण हो सकता है। सप्तम दृष्टि भाग्य पर पड़ रही है जिससे घर या गाड़ी लेने का विचार बना रहे थे तो इसमें सफलता मिल सकती है। गुरु की पंचम दृष्टि सातवें स्थान पर विवाह के योग बना रही हैं।
7. तुला – बृहस्पति आपकी राशि से ही परिवर्तन कर धन भाव यानि दूसरे स्थान में प्रवेश कर रहे हैं। धन की स्थिति बेहतर होने के आसार हैं। पैतृक संपत्ति से लाभ मिल सकता है। गुरु का प्रभाव कर्मक्षेत्र पर कुछ दिक्कतें खड़ी कर सकता हैं। वहीं दसवें स्थान में राहू के होने से दृष्टि से गुरु चंडाल दोष भी बन रहा है। पिता के स्वास्थ्य का खास ख्याल रखें।
8. वृश्चिक – बृहस्पति का यह परिवर्तन आपकी ही राशि में हो रहा है। जो आपके लिए बहुत ही सौभाग्यशाली सिद्ध होगा। बृहस्पति की दृष्टि आपके पांचवे स्थान में पड़ रही है जो कि आपको मान सम्मान दिलाने वाला है। इसके अलावा सप्तम भाव में दष्टि पड़ने से जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा।

9. धनु – धनु राशि वालों के लिये यह समय थोड़ा सचेत रहने का है। आपकी राशि से राशि स्वामी गुरु 12वें भाव में प्रवेश कर रहे हैं। आपकी ऊर्जा व्यर्थ के कार्यों में लग सकती है।

खर्चों में बढ़ोतरी के संकेत भी मिल रहे हैं। वहीं छठे घर को भी गुरु देख रहे हैं जो कि रोग का घर है अत: स्वास्थ्य का खास ख्याल रखें। इसके अलावा नवम दृष्टि अष्टम भाव में पड़ रही है जिससे मानसिक तौर पर आपको चिंताएं हो सकती हैं।

10. मकर – आपकी राशि से गुरु का यह परिवर्तन लाभ स्थान में आ रहे हैं, जो कि आपके लिये लाभकारी हैं। धन प्राप्ति के योग भी बन रहे हैं। आपकी राशि से सप्तम भाव में राहू बैठे हैं जो विवाह में देरी कराएंगे। गुरु की दृष्टि आपके पंचम स्थान में भी पड़ रही है। संतान व शिक्षा के मामले में समय शुभ रहने के आसार हैं।

11. कुंभ – गुरु का यह राशि परिवर्तन कर्मभाव में हो रहा है। कार्यों में सफलता मिलने वाली है। दोस्तों की भी आपको पूरी सपोर्ट मिलेगी। अपना घर लेना चाह रहे हैं तो वह भी आपको मिल सकता है।

रोग घर में नवम दृष्टि पड़ने से मन में बीमारी का भय बना रहेगा, लेकिन इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। वहीं राजनीति से जुड़े जातकों के लिये बहुत अच्छा समय है।

12. मीन – बृहस्पति आपकी राशि के स्वामी भी हैं, जो कि अष्टम स्थान से भाग्य स्थान में प्रवेश कर रहे हैं जिससे की यह समय आपके लिए भी खास सौभाग्यशाली रहने के आसार हैं।

आपके कार्यों के लिये भी यह समय शुभ रहेगा। निर्णय लेने के मामले में भी यह बहुत ही अच्छा है। वहीं गुरु की पंचम दृष्टि आपकी ही राशि पर पड़ रही है जो कि स्वास्थ्य में आपको लाभ प्रदान करेंगें।

निर्णय लेने की क्षमता भी विकसित होगी। तीसरे स्थान को भी गुरु देख रहे हैं जो कार्यक्षेत्र में भी लाभ दिला सकते हैं। वेतन में वृद्धि हो सकती है। जबकि पांचवें स्थान पर भी गुरु की नवम दृष्टि पड़ने से शिक्षा, संतान व संबंधों के मामले में समय अनुकूल व उपलब्धियों वाला रहने की उम्मीद कर सकते हैं।


बृहस्पति ग्रह शांति के उपाय :
– बृहस्पति ग्रह शांति के लिए पीला, क्रीम कलर और ऑफ़ व्हाइट रंग उपयोग में लाया जा सकता है।
– गुरु ब्राह्मण एवं अपने से बड़े लोगों का सम्मान करें। यदि आप महिला हैं तो अपने पति का सम्मान करें।
– अपने बच्चे और बड़े भाई से अच्छे संबंध बनाएं।
– किसी से झूठ न बोलें।
– ज्ञान का वितरण करें।

खासतौर पर सुबह किए जाने वाले गुरु के उपाय…
– भगवान शिव की आराधना करें।
– वामन देव की पूजा करें।
– शिव सहस्रनाम स्तोत्र का जाप करें।
– श्रीमद् भागवत पुराण का पाठ करें।

बृहस्पति के लिए व्रत…
शीघ्र विवाह, धन, विद्या आदि की प्राप्ति के लिए गुरुवार के दिन व्रत धारण करें।
बृहस्पति शांति के लिए…
बृहस्पति ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान गुरुवार के दिन बृहस्पति के होरा और गुरु के नक्षत्रों (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व भाद्रपद) में शाम को करना चाहिए।

दान की जाने वाली वस्तुएं- केसरिया रंग, हल्दी, स्वर्ण, चने की दाल, पीत वस्त्र, कच्चा नमक, शुद्ध घी, पीले पुष्प, पुखराज रत्न और किताबें।
बृहस्पति के लिए रत्न…
ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह शांति के लिए पुखराज रत्न को धारण किया जाता है। गुरु धनु और मीन राशि का स्वामी है। अतः धनु और मीन राशि के जातकों के लिए पुखराज रत्न शुभ होता है।
श्री गुरु यंत्र ….
बृहस्पति के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए गुरु यंत्र को गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा एवं इसके नक्षत्र के समय धारण करें।

बृहस्पति के लिये जड़ी…
गुरु ग्रह (बृहस्पति) के शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए पीपल की जड़ धारण करें। इस जड़ को गुरु की होरा और गुरु के नक्षत्र में धारण करें।
बृहस्पति के लिए रुद्राक्ष…
गुरु ग्रह (बृहस्पति) की शुभता के लिए 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।

पंच मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए मंत्र:
ॐ ह्रीं नमः।
ॐ ह्रां आं क्षंयों सः ।।
बृहस्पति मंत्र :
बृहस्पति देव से शुभ आशीष पाने के लिए गुरु बीज मंत्र का जाप करें। मंत्र – ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः!

गुरु की कृपा दृष्टि पाने के लिए आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं – ॐ बृं बृहस्पतये नमः!
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