इस दौरान जस्टिस जैन ने कहा कि मैं मध्यप्रदेश की जनता की सेवा करूंगा। उन्हें संविधान द्वारा जो भी अधिकार दिए गए है कोशिश करूंगा कि वे पूरी तरह उसका लाभ ले सकें। उनके अधिकारों का हनन न हो। जो केस मानव अधिकार आयोग में अटके हुए उनका समाधान करूंगा और नए केस को भी जल्दी जल्दी निपटाने की कोशिश करूंगा। आज मेरा यहां पहला दिन है। अभी मैं यहां के माहौल को देखूंगा, समझूंगा उसके बाद ही कोई फैसला ले सकूंगा।
फरवरी 2018 से अब हुआ फैसला
वहीं इसके पहले के राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस डीएम धर्माधिकारी को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई थी और कोर्ट ने सरकार को कई बार नियुक्ति नहीं होने को लेकर फटकार भी लगाई। इसके मद्देनजर सरकार ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार से नियुक्ति के लिए पैनल मांगी।
इसको लेकर फरवरी 2018 में विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में समिति की बैठक हुई थी पर गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह इसमें मुंगावली विधानसभा सीट के उपचुनाव की व्यस्तता की वजह से शामिल नहीं हो पाए थे और कोई फैसला नहीं हो सका। तब जस्टिस अजीत कुमार सिंह का नाम तय होने की बातें चली थीं।
2012 में बने प्रशासनिक न्यायाधीश
स्कूल और कॉलेज की शिक्षा राजस्थान में लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1978 में वे बार कौंसिल ऑफ राजस्थान से जुड़े और राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बेंच में वकालात की। 2004 में राजस्थान उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश बने।
2012 में प्रशासनिक न्यायाधीश बनाया गया और वे उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी रहे। सितंबर 2013 में उन्हें सिक्किम उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। कुछ ही दिनों बाद वे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और फिर नियमित न्यायाधीश नियुक्त किए गए। इसके बाद जस्टिस जैन को सिक्किम राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाया गया।