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पायलट की सेफ लैंडिंग पर एमपी में खाई नहीं पाट पाई कांग्रेस, सिंधिया को खटक गया था ये बयान

locationभोपालPublished: Aug 11, 2020 04:00:23 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

कांग्रेस से खफा होने के बाद सिंधिया की राहुल से मुलाकात नहीं हुई थी।

पायलट की सेफ लैंडिंग पर एमपी में खाई नहीं पाट पाई कांग्रेस, सिंधिया को खटक गया था ये बयान

पायलट की सेफ लैंडिंग पर एमपी में खाई नहीं पाट पाई कांग्रेस, सिंधिया को खटक गया था ये बयान

भोपाल. राजस्थान के सत्ता संग्राम की कहानी कुछ-कुछ मध्यप्रदेश से मिलती है। वहां सचिन पायलट खफा हुए तो यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया। हालांकि अब पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पायलट से मुलाकात के बाद कांग्रेस का जहाज लैंड होते दिख रहा है, लेकिन मध्यप्रदेश के मामले में ऐसा नहीं हो पाया। बगावत की खाई बढ़ती ही गई। कांग्रेस फिर उसे पाट ही नहीं पाई। नतीजतन सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा और राज्य में तख्तापलट हो गया। दरअसल, कांग्रेस से खफा होने के बाद सिंधिया की राहुल से मुलाकात नहीं हुई थी। यदि ऐसा होता तो प्रदेश की सियासत कुछ अलग हो सकती थी।
यहां से बढ़ता गया सियासी तनाव
13 फरवरी को सिंधिया ने टीकमगढ़ में कहा कि वचन पत्र पूरा नहीं हुआ तो वे अतिथि शिक्षकों के साथ सड़क पर उतरेंगे। तत्कालीन सीएम कमलनाथ को यह बात रास नहीं आई। 14 फरवरी को कमलनाथ भी कहा, सड़क पर उतरना है तो उतर जाएं। बस यहीं से कमलनाथ को सत्ता से उतारने की इबारत लिखी जाने लगी।
इसके बाद न तो सिंधिया किसी से मिले और न किसी ने उनसे मिलने में रुचि दिखाई। 10 मार्च को सिंधिया ने भाजपा में शामिल होकर जता दिया कि उन्हें न मनाना कांग्रेस को कितना भारी पड़ा। इससे पहले 2 मार्च को दिग्विजय के हॉर्स ट्रेडिंग के बयान ने भी आग में घी का काम किया था।
राज्यसभा चुनाव भी बड़ी वजह
राज्यसभा चुनाव की वजह से भी सिंधिया-कमलनाथ में दूरियां बढ़ने लगीं थीं। मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस स्थिर थी, तब 3 राज्यसभा सीटों में से 2 पर उसके उम्मीदवार जीतना तय थे। पहली उम्मीदवारी दिग्विजय सिंह की थी। दूसरा नाम ज्योतिरादित्य का सामने आया। कहा जाता है कि सिंधिया के नाम पर प्रदेश के कई नेता तैयार नहीं थे। यही बात उन्हें खटक गई।

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