समन्वय समिति की बैठक खत्म होने के बाद सीएम कमलनाथ बाहर निकले। जब उनसे सिंधिया की धमकी पर सवाल पूछा गया कि वह सड़क पर उतरने की बात कह रहे हैं। इस पर कमलनाथ ने कहा कि तो उतर जाएं। उसके बाद वह ड्राइवर से बोले कि गाड़ी आगे बढ़ाओ। लेकिन उनका बॉडी लैंग्वेज बता रहा था कि वह बहुत नाराज हैं। इससे पहले कमलनाथ ने कहा था कि हमारा वचन पत्र पांच साल के लिए है।
दिल्ली से बैठक के बाद इंदौर पहुंचे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने तमाम विवादों पर पार्टी का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि वचन पत्र पांच साल के लिए है, हमने इनमें से कई वादों को पूरा किया है और अन्य वादों को पूरा करने का काम चल रहा है। वहीं, सिंधिया की नाराजगी पर उन्होंने कहा कि सिंधिया जी किसी के खिलाफ नहीं हैं, कांग्रेस पार्टी कमलनाथ जी के नेतृत्व में एकजुट है।
दरअसल, अप्रैल में मध्यप्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। इन सीटों में भाजपा के दो सांसद हैं जबकि कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय सिंह का कार्यकाल पूरा हो रहा है। दिग्विजय सिंह एक बार फिर से राज्यसभा जाने की तैयारी में हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया भी राज्यसभा जाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी मामला फंसा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि सीएम कमलनाथ दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने के मूड़ में नहीं हैं। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी वो अपने खेमे के नेताओं का नाम चाहते हैं। अगर मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजय या सिंधिया खेमे का हुआ का सत्ता के सेंटर विभाजित हो जाएंगे और कमलनाथ नहीं चाहते हैं कि सत्ता के दो सेंटर हों।
दिग्विजय समर्थक मंत्री पीसी शर्मा ने अपनी सरकार का बचाव किया तो दूसरी तरफ सिंधिया के समर्थन की भी कोशिश की। पीसी शर्मा ने कहा कि सिंधिया की बात सही है, हम अपने वचनपत्र को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश के एक मंत्री के घर में हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह समर्थक मंत्रियों की लंबी बैठक हुई है। इस बैठक से साफ है कि दोनों ही गुट के मंत्री अपने-अपने नेता का दावा मजबूत करने के लिए कोशिश कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। 3 सीटों का कार्यकाल 2020 में पूरा हो रहा है। जिन सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, भाजपा के प्रभात झा और पूर्व मंत्री सत्य नारायण जाटिया का है। भाजपा के खाते में एक और कांग्रेस के खाते में एक सीट जाएगी लेकिन तीसरी सीट को लेकर पेंच फंस सकता है। जहां भाजपा को मुश्किलों का सामना कर पड़ सकता है जबकि कांग्रेस के पास संख्या बल है।
दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं और इस समय वो केवल राज्यसभा सांसद हैं। ऐसे में ये माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह एक बार फिर से अपना दावा पेश कर सकते हैं। वहीं, अगर दिग्विजय सिंह अपना दावा पेश नहीं करते हैं तो वो पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह का नाम आगे बढ़ा सकते हैं। अजय सिंह लोकसभा चुनाव में एक रैली के दौरान कह चुके हैं कि अगर मैं हार गया तो कार्यकर्ताओं का क्या होगा क्योंकि पार्टी मुझे तो राज्यसभा भेज देगी। अजय सिंह को दिग्विजय सिंह का करीबी भी माना जा रहा है। अजय सिंह का नाम मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की रेस भी भी आ चुका है।
दूसरी तरफ सीएम कमल नाथ भी अपने खेमे के किसी नेता को राज्यसभा भेजने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि वो किसे भेजते हैं या किसके नाम का समर्थन करते हैं इसको लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन एक नाम का जिक्र किया जा सकता है वो नाम है पूर्व विधायक दीपक सक्सेना का। दीपक सक्सेना वही विधायक हैं जिन्होंने कमलनाथ के लिए अपनी विधानसभा सीट छोड़ी थी।
ऐसा कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष के लिए आदिवासी चेहरा चाहते हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा आदिवासी इलाके में जीत दर्ज की थी। जबकि लोकसभा में पार्टी आदिवासी इलाकों में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। ऐसे में कमलनाथ आदिवासियों की नाराजगी दूर करने के लिए आदिवासी चेहरे पर दांव लगाना चाहते हैं।