कैप्टन अमरिंदर सिंह की इस मांग के बाद पार्टी के कई युवा चेहरे रेस में आ गए हैं। जिसमें राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और गुना के पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया सबसे आगे चल रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी पार्टी के युवा नेता हैं। माना जाता है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने प्रदेश में सरकार लाने के लिए खूब मेहनत की थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अध्यक्ष पद की रेस में हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया गांधी परिवार के करीबी भी हैं। लोगों के बीच भी अच्छी पकड़ है। लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार उनके पक्ष में नहीं जाता है। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया इस पर अपनी पारंपरिक सीट भी गंवा चुके हैं। उनके पिता माधवराव सिंधिया भी गांधी परिवार के करीब रहे हैं।
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टीम राहुल के थे विश्वसनीय चेहरा
जब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके सबसे खास लोगों में से एक थे। राहुल ने लोकसभा चुनावों के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी यूपी का जिम्मा दिया था। लेकिन मोदी लहर के आगे सिंधिया वहां कामयाब नहीं हुए। लेकिन कांग्रेस के युवा ब्रिगेड के प्रखर नेताओं में से एक हैं।
टीम राहुल के थे विश्वसनीय चेहरा
जब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके सबसे खास लोगों में से एक थे। राहुल ने लोकसभा चुनावों के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी यूपी का जिम्मा दिया था। लेकिन मोदी लहर के आगे सिंधिया वहां कामयाब नहीं हुए। लेकिन कांग्रेस के युवा ब्रिगेड के प्रखर नेताओं में से एक हैं।
यहां आ सकती है दिक्कत
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में भी युवाओं के चहेते हैं। लेकिन जो दिक्कत आने वाली है वो सीनियर नेताओं के साथ तालमेल कैसे बैठाएंगे। क्योंकि मध्यप्रदेश की राजनीति में सीएम कमलनाथ के साथ उनकी खेमेबाजी कभी-कभी खुलकर जाहिर हो जाती है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष बनने की राह में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए ये चीजें मुश्किलें खड़ा कर सकती हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में भी युवाओं के चहेते हैं। लेकिन जो दिक्कत आने वाली है वो सीनियर नेताओं के साथ तालमेल कैसे बैठाएंगे। क्योंकि मध्यप्रदेश की राजनीति में सीएम कमलनाथ के साथ उनकी खेमेबाजी कभी-कभी खुलकर जाहिर हो जाती है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष बनने की राह में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए ये चीजें मुश्किलें खड़ा कर सकती हैं।
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वहीं, लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मध्यप्रदेश में सिंधिया के समर्थक यह मांग करने लगे थे कि संगठन की जिम्मेवारी महाराज को सौंपा जाए। लेकिन कमलनाथ खेमे के लोग ऐसा नहीं चाहते थे। उन लोगों ने किसी दूसरे का नाम आगे कर दिया था।
वहीं, लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मध्यप्रदेश में सिंधिया के समर्थक यह मांग करने लगे थे कि संगठन की जिम्मेवारी महाराज को सौंपा जाए। लेकिन कमलनाथ खेमे के लोग ऐसा नहीं चाहते थे। उन लोगों ने किसी दूसरे का नाम आगे कर दिया था।