script9 महीने में 3 बार रेस से बाहर हो गए ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानिए इसकी Inside Story | Jyotiraditya Scindia out of race from MP congress president | Patrika News

9 महीने में 3 बार रेस से बाहर हो गए ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानिए इसकी Inside Story

locationभोपालPublished: Aug 23, 2019 01:59:36 pm

Submitted by:

Muneshwar Kumar

जानिए, क्यों बार-बार मात खा जा रहे हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया

Jyotiraditya Scindia
भोपाल. मध्यप्रदेश ( Madhya pradesh ) की राजनीति में तीन बड़े चेहरे हैं, जिनकी दिल्ली में भी दखलअंदाजी अच्छी खासी है। प्रमुख चेहरे में सबसे पहला नाम मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ का आता है। उसके बाद दिग्विजय सिंह हैं। युवा चेहरे की बात करें कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Jyotiraditya Scindia ) फ्रंटलाइन के लीडर हैं। यहीं, वजह है कि जब भी पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी देने की चर्चा किसी की होती है, तो सिंधिया भी उस रेस में जरूर रहते हैं।
पिछले नौ महीने की अगर बात करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए तीन ऐसे मौके हैं, जब वह कांग्रेस पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी लेने की रेस में आगे चल रहे थे। लेकिन हर बार आखिरी वक्त में वह रेस से बाहर हो गए। हम हर उस रेस की कहानी आपको बताएंगे कि सिंधिया रेस में थे तो जरूर लेकिन बाजी नहीं जीत पाए। पार्टी ने उन्हें जो जिम्मेवारी दी, उसमें भी वह कामयाब नहीं हो सके। शायद यहीं वजह है कि पार्टी में शायद वह किनारे लगते जा रहे हैं।
Jyotiraditya Scindia
 

खूब मेहनत की
मध्यप्रदेश की राजनीति में पिछले पंद्रह साल से कांग्रेस सत्ता का स्वाद चखने के लिए बेताब थी। विधानसाभ चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इस बार दो दिग्गजों के हाथ में मध्यप्रदेश फतह की कमान सौंपी थी। कमलनाथ को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रचार समिति के एमपी में प्रमुख थे। सिंधिया पार्टी को खोई हुई जमीन वापस दिलाने के लिए दिन-रात एक किए हुए थे। दुश्नों के भी गले लग रहे थे। प्रदेश के लोगों और उनके समर्थकों को उम्मीद दी थी कि कांग्रेस आएगी तो सीएम सिंधिया ही बनेंगे।
jyotiraditya_scindia_2.jpg
 

रेस से बाहर हो गए
चुनाव के नतीजे आए कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता से एक कदम दूर रह गई। लेकिन निर्दलीय और दूसरे दलों के समर्थन से कांग्रेस की सरकार बननी तय थी। अब मध्यप्रदेश में सस्पेंस यह था कि सीएम कौन होगा। सिंधिया के समर्थक उन्हें सीएम बनाने की मांग कर रहे थे। प्रदेश के कई हिस्सों में इसे लेकर प्रदर्शन भी हो रहे थे। 13 दिसंबर 2018 को आखिर इस पर से सस्पेंस खत्म हो गई। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सिंधिया और कमलनाथ से वन टू वन बात के बाद ऐलान कर दिया कि कमलनाथ मध्यप्रदेश के सीएम होंगे। राहुल ने एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें सिंधिया और कमलनाथ।
Jyotiraditya Scindia
 

तस्वीर को आप गौर से देखेंगे तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का बॉडी लैंग्वेज बता रहा है कि वह इस फैसले से खुश नहीं हैं। बुझे हुए मन से उन्होंने नेतृत्व का फैसला स्वीकार कर लिया। हालांकि जानकार यह भी कहते हैं कि राजस्थान वाले फॉर्मूले पर सिंधिया को डिप्टी सीएम की कुर्सी का ऑफर दिया गया था। लेकिन उन्होंने नंबर टू की कुर्सी स्वीकार नहीं की।
Jyotiraditya Scindia

दूसरी बार रेस से बाहर हो गए
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया। 45 दिन तक कांग्रेस अध्यक्ष विहिन रही। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कई चेहरों के नाम चल रहे थे। लेकिन पार्टी के अंदर से ही कांग्रेस के कई दिग्गज नेता कमान युवा ब्रिगेड की हाथों में देने की मांग कर रहे थे। युवा चेहरों में इस पद के दावेदार के रूप में सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम आगे चल रहा था। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मिलिंद देवड़ा ने पार्टी नेतृत्व को ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के नाम सुझाए।
jyotiraditya scindia
 

यही नहीं अंतरिम अध्यक्ष पद के लिए जब कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक चल रही थी, तब गांधी परिवार के लिए इससे दूर हो गए थे। बैठक में कई चेहरों के नाम चल रहे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर भी चर्चा हुई। लेकिन सिर्फ त्रिपुरा कांग्रेस ने ही सिंधिया के नाम को आगे बढ़ाया। मध्यप्रदेश से कोई भी नेता ने रायशुमारी के दौरान सिंधिया के नाम को आगे नहीं किया। अंत में सिंधिया इस रेस से बाहर हो गए। पार्टी के दिग्गज नेता फिर से गांधी परिवार पर ही आकर रुक गए। अंतरिम अध्यक्ष के लिए सोनिया गांधी के नाम पर मुहर लग गई। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी खुद सोनिया गांधी का समर्थन कर दिया।
Jyotiraditya Scindia
 

मध्यप्रदेश में कमान देने की उठ रही थी मांग
सीएम और कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से सिंधिया बाहर हो गए थे। नौ महीने में यह तीसरी बार हुआ कि मध्यप्रदेश में फिर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सिंधिया को देने की मांग उठने लगी। उनके समर्थक लगातार यह मांग कर रहे थे। लेकिन कमलनाथ खेमे ने गृह मंत्री बाला बच्चन का नाम आगे कर दिया। पार्टी नेताओं के बीच यहां रायशुमारी भी हुई। जिसमें कई दावेदार नेताओं के नामों की चर्चा हुई। लेकिन लगता है कि इस बार वो रेस से बाहर हो गए हैं। क्योंकि सोनिया गांधी जब अंतरिम अध्यक्ष बनीं तो सिंधिया को फिर से राष्ट्रीय राजनीति में दूसरी जिम्मेदारी दे दी गई है। इस बार उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले वहां के स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बना दिया गया है। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में यह चर्चा शुरू हो गई है कि सिंधिया फिर से प्रदेशाअध्यक्ष के दौर से बाहर हो गए हैं।
Jyotiraditya Scindia
 

उम्मीदों पर नहीं उतरे खरा
सिंधिया को एक समय में टीम राहुल का खास हिस्सा माना जाता था। सीएम की कुर्सी नहीं मिलने के बाद उन्हें केंद्र की सत्ता में वापसी पर अहम जिम्मेदारी देने का आश्वासन दिया गया था। चुनाव प्रचार के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि सिंधिया को चुनाव जिताइए, सरकार बनने के बाद राहुल गांधी के बाद सिंधिया सरकार में नंबर टू होंगे। सिंधिया के पास पश्चिमी यूपी का प्रभार भी था। लोकसभा चुनाव के दौरान वह मध्यप्रदेश से बाहर यूपी में ही फोकस कर रहे थे। लेकिन मोदी की लहर में वह यूपी में तो शून्य पर बोल्ड ही गए, साथ में मध्यप्रदेश में अपनी सीट भी गंवा बैठे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो