भोपाल

‘महाराज’ से मात खा जाएंगे ‘राजा’? सिंधिया की जीत तय पर दिग्विजय के नाम पर फंसा पेंच

मध्यप्रदेश की तीन सीटें 9 अप्रैल को खाली हुई हैं।

भोपालJun 02, 2020 / 01:02 pm

Pawan Tiwari

भोपाल. कोरोना वायरस के कारण स्थगित राज्यसभा के चुनाव अब 19 जून को होंगे। केन्द्रीयय निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा चुनाव के लिए तारीखों का एलान कर दिया है। मध्यप्रदेश की तीन सीटों पर चुनाव होने हैं। भाजपा की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी उम्मीदवार हैं। जबकि कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया उम्मीदवार हैं।
ज्योतिरादित्य की जीत तय
राज्यसभा चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी की जीत तय मानी जा रही है। क्योंकि मध्यप्रदेश की मौजूदा स्थिति में संख्या बल भाजपा के पास है। ऐसे में कांग्रेस को एक सीट से ही संतोष करना पड़ेगा। हालांकि उस एक सीट के लिए पहली वरीयता का उम्मीदवार कौन होगा इसको लेकर सियासी अटकलें शुरू हो चुकी हैं।
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क्या है राज्यसभा का गणित
230 सदस्यों वाली विधानसभा की 24 सीटें खाली हैं। ऐसे में विधायकों की संख्या 206 हो गई है। अह राज्यसभा चुनाव के एक उम्मीदवार के लिए 52 विधायक वोट करेंगे। भाजपा के पास विधायकों की संख्या 107 है जबकि कांग्रेस के पास केवल 92 विधायक हैं ऐसी स्थिति में कांग्रेस के खाते में एक सीट जा सकती है जबकि भाजपा को दो सीटों पर जीत मिल सकती है।
दलित के बहाने दिग्विजय पर निशाना
कांग्रेस के जिन 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उनमें ज्यादातर सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल संभाग क्षेत्र के हैं। फूल सिंह बरैया भी इसी चंबल इलाके से हैं और दलित समुदाय से आते हैं। चंबल क्षेत्र दलित बहुल माना जाता है। ऐसे में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की एक लॉबी पार्टी हाईकमान को उपचुनाव में दलित और आदिवासियों को वोट के गणित का फायदा बताते हुए भूल सिंह बरैया को राज्यसभा में भेजने की योजना बना रही है।
पूर्व मंत्री ने लिखा था लेटर
कोरोना काल से पहले ही दिग्विजय सिंह के राज्यसभा जाने का कांग्रेस का एक खेमा विरोध कर रहा था। पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह ने लेटर लिखकर कहा था कि, मध्यप्रदेश की 24 सीटों पर उपचुनाव होना है। जिन सीटों में उपचुनाव होना है वो ज्यादातर ग्वालियर-चंबल की सीट हैं लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के कारण ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस के पास बड़े चेहरे का आभाव है। जबकि जिन 24 सीटों में उपचुनाव होना है उसमें से करीब 10 सीटें रिजर्व हैं ऐसे में अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदाय को साधने के लिए फूल सिंह बरैया को राज्यसभा जाना चाहिए जिसका सियासी फायदा मिल सकता है। कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के विरोधी गुट ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का संदेश दिया था कि फूल सिंह बरैया को पार्टी अगर प्रथम वरियता देती है तो इससे अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदाय के वोटर्स प्रभावित होंगे और खुद फूल सिंह बरैया ग्वालियर-चंबल से संबंध रखते हैं जिससे उपचुनाव में फायदा हो सकता है।
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सिंधिया के बगावत के बाद बिगड़ा समीकरण
मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के बाद समीकरण बिगड़ गया है। कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे से पहले राज्यसभा की दो सीटें कांग्रेस को मिल रही थीं जबकि एक सीट भाजपा के खाते में जा रही थी लेकिन अब समीकरण बदल गया है।
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