कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को आने वाले दिनों में कांग्रेस राज्यसभा भेज सकती है। ऐसी चर्चाएं जोरों पर हैं। क्योंकि लोकसभा चुनाव में हार के बाद सिंधिया के सितारे गर्दिश में हैं। उनके पास पार्टी में भी कोई विशेष जिम्मेदारी नहीं है। मध्यप्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए वह लगातार संघर्ष कर रहे हैं। चुनाव में हार के बाद पार्टी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर उन्हें स्क्रिनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। अब झारखंड चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम है।
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। तीन सीटें 9 अप्रैल 2019 को खाली हो रही हैं। इसमें से दो बीजेपी के और एक कांग्रेस की सीट है। कांग्रेस से दिग्विजय सिंह हैं जबकि बीजेपी से प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया की सीट है। ऐसे में कांग्रेस कोटे की एक ही सीट हैं। उम्मीद है कि इन तीनों सीटों पर चुनाव के लिए मार्च 2020 तक अधिसूचना जारी हो जाएगी।
कांग्रेस सिंधिया को भेज सकती है राज्यसभा
अब चर्चाएं यह चल रही है कि कांग्रेस आलाकमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेज सकती है। इस निर्णय के पीछे यह कहा जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व चाहती है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार सुचारू रूप से चलता रहे। ऐसे में जरूरी है कि कोई विवाद नहीं हो। ऐसे में सिंधिया गुट को संतुष्ट करने के लिए पार्टी सिंधिया को राज्यसभा भेजने का फैसला कर सकती है।
दिग्गी बनेंगे रोड़ा?
लेकिन जो चर्चाएं हैं, उसकी भी राह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी की तरह ही मुश्किल है। क्योंकि कांग्रेस कोटे से जो सीट खाली हो रही है अभी उस पर दिग्विजय सिंह काबिज हैं। दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं। साथ ही प्रदेश की सरकार में उनकी अच्छी पकड़ है। उन पर आरोप लगते रहे हैं कि पर्दे के पीछे से सरकार वहीं चला रहे हैं। ऐसे में सिंधिया तभी राज्यसभा पहुंच सकते हैं, जब दिग्विजय सिंह अपनी दावेदारी छोड़ दें। लेकिन ये आसान नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि वाकई कांग्रेस आलाकमान ऐसा सोच रही है तो आने वाले दिनों में कांग्रेस में गुटबाजी और बढ़ेगी।
प्लान बी सफल होने पर नहीं हो सकता है विवाद
ऐसे में चर्चा यह भी है कि कांग्रेस कोटे की भले ही एक सीट खाली हो रही है। लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस अभी सरकार में है और मजबूत स्थिति में है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस एक और सीट पर दावेदारी जता सकती है। अगर उसमें कमलनाथ की सरकार कामयाब हो गई तब तो फिर कोई विवाद ही नहीं है। लेकिन बीजेपी आसानी से तीसरी सीट को छोड़ने वाली भी नहीं है।
कहा यह जा रहा है कि अगर मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपते हैं तो प्रदेश में दो पावर सेंटर हो जाएगा। ऐसे में आए दिन खटपट होते रहेगी। पार्टी चाहती है कि सिंधिया को राज्यसभा भेज उन्हें फिर से केंद्र की राजनीति में शिफ्ट किया जाए। ताकि मध्यप्रदेश में स्मूथली सरकार चलती रहे।
दरअसल, मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद नतीजे जब कांग्रेस के पक्ष में आए तो सीएम पद की कुर्सी को लेकर ठन गई थी। कमलनाथ खेमा अलग अड़ी थी तो ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इससे नीचे पर मानने को तैयार नहीं थे। राहुल ने उस वक्त भी कमलनाथ के नाम पर मुहर लगाकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश की राजनीति से दूर कर दिया था। उन्हें यूपी में संगठन की जिम्मेदारी दी। कांग्रेस को यह लगा रहा था कि पार्टी इस बार सत्ता में आएगी और सिंधिया को केंद्र की सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। मगर ऐसा हुआ नहीं और कांग्रेस में राहुल राज भी नहीं रहा तो लौटकर सिंधिया फिर एमपी में ही एक्टिव हो गए। ऐसे में आलाकमान फिर से राहुल फॉर्मुले पर ही विचार कर रही है।