गुरु, मंगल के अस्त होने से मौसम में भी होगा बदलाव बनेंगे बारिश के योग
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम ने बताया कि 22 फरवरी को गुरु और मंगल पश्चिम दिशा में अस्त हो रहे हैं। इनके अस्त होने से इसका प्रभाव मौसम पर भी पड़ेगा। इस दौरान बारिश, ओलावृष्टि के योग बनेंगे। इसी प्रकार गुरु अस्त होने के दो दिन पहले से ही विवाह आदि के मुहूर्त बंद हो जाएंगे। मार्च में मीन संक्रांति के कारण विवाह नहीं होंगे। विवाह कार्यों के लिए गुरु बल और शुक्र बल का होना जरूरी है, इसके बाद ही विवाह के योग बनते हैं। गुरु जहां दाम्पत्य जीवन में सुख देता है, वहीं शुक्र सुख समृद्धि प्रदान करता है। इसलिए इन दोनों में से अगर एक भी ग्रह अस्त होता है, तो इस स्थिति में विवाह के योग नहीं बनते हैं।
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम ने बताया कि 22 फरवरी को गुरु और मंगल पश्चिम दिशा में अस्त हो रहे हैं। इनके अस्त होने से इसका प्रभाव मौसम पर भी पड़ेगा। इस दौरान बारिश, ओलावृष्टि के योग बनेंगे। इसी प्रकार गुरु अस्त होने के दो दिन पहले से ही विवाह आदि के मुहूर्त बंद हो जाएंगे। मार्च में मीन संक्रांति के कारण विवाह नहीं होंगे। विवाह कार्यों के लिए गुरु बल और शुक्र बल का होना जरूरी है, इसके बाद ही विवाह के योग बनते हैं। गुरु जहां दाम्पत्य जीवन में सुख देता है, वहीं शुक्र सुख समृद्धि प्रदान करता है। इसलिए इन दोनों में से अगर एक भी ग्रह अस्त होता है, तो इस स्थिति में विवाह के योग नहीं बनते हैं।
15 अप्रैल के बाद जुलाई तक हर माह विवाह योग
इस डेढ़ महीने की अवधि के बाद 15 अप्रैल से खरमास समाप्त होगा और विवाह कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इसके बाद 10 जुलाई देवशयनी एकादशी तक हर माह विवाह के अच्छे मुहूर्त रहेंगे। अप्रेल माह में 8 दिन, मई माह में 14 दिन, जून में 11 दिन और जुलाई में 7 दिन विवाह के मुहूर्त रहेंगे। 10 जुलाई देवशयनी एकादशी के साथ ही चार माह के विवाह सहित बड़े मांगलिक कार्य फिर रूक जाएंगे और देवउठनी एकादशी के बाद नवम्बर माह में विवाह कार्यों की शुरुआत होगी।
इस डेढ़ महीने की अवधि के बाद 15 अप्रैल से खरमास समाप्त होगा और विवाह कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इसके बाद 10 जुलाई देवशयनी एकादशी तक हर माह विवाह के अच्छे मुहूर्त रहेंगे। अप्रेल माह में 8 दिन, मई माह में 14 दिन, जून में 11 दिन और जुलाई में 7 दिन विवाह के मुहूर्त रहेंगे। 10 जुलाई देवशयनी एकादशी के साथ ही चार माह के विवाह सहित बड़े मांगलिक कार्य फिर रूक जाएंगे और देवउठनी एकादशी के बाद नवम्बर माह में विवाह कार्यों की शुरुआत होगी।