529 करोड़ का हाईवे धंसक जाने के मामले में राज्य सरकार सख्त तेवर अपना रही है. मामले की जांच ईओडब्लू की सौंपी गई है. ईओडब्लू के अधिकारियों के अनुसार पुल धंसने का मामला प्रथम दृष्टया आर्थिक अनियमितता के साथ ही आपराधिक लापरवाही का भी दिखता है। मामले में कानूनी राय लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। एमपीआरडीसी के अफसरों से पूछा जाएगा कि हाईवे की गलत डिजाइन के लिए जिम्मेदार कौन है। डिजाइन गलत थी तो तुरंत आपत्ति क्यों नहीं ली गई। आगे का काम रोका क्यों नहीं गया। निर्माण कंपनी को भुगतान क्यों कर दिया गया। इसी कंपनी के बनाए ब्रिज में पहले भी खामियां मिली थीं, इस बात की अनदेखी क्यों की। इतना ही नहीं, जांच एजेंसी ईओडब्लू के इंजीनियर ब्रिज की तकनीकी खामियां भी देखेंगे। मौके पर जाकर काम की क्वालिटी परखने के साथ ही इंजीनियर ये भी देखेंगे कि ब्रिज की एप्रोच रोड और रिटेनिंग वॉल का निर्माण एग्रीमेंट की शर्तों के अनुरूप ही किया गया या नहीं।
अब इस पूरे मामले में निर्माण कंपनी की सफाई भी सामने आई है. कंपनी का कहना है कि डैम के 13 गेट एक साथ खोल दिए गए, इसलिए रिटेनिंग वॉल गिरी है. निर्माण कंपनी के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर केएस धामी ने कहा है कि हाईवे की डिजाइन में जरा भी गलती नहीं थी। भदभदा डैम के 13 गेट एक साथ खोल दिए जाने से पानी का बहाव तेज हो गया। ज्यादा पानी हो गया जिससे नींव में भी पानी चला गया और वहां की मिट्टी नम हो गई। इस वजह से सड़क धंसक गई और रिटेनिंग वॉल बह गई।
नवनिर्मित हाईवे की सड़क धंसने पर कांग्रेस ने इसे जानलेवा लापरवाही करार दिया है. प्रवक्ता केके मिश्रा ने एमपीआरडीसी के सभी इंजीनियरों, एमडी और चीफ इंजीनियर की भूमिका सार्वजनिक करने की मांग की है.