सांसद हैं कमलनाथ और सिंधिया
कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव नहीं लड़ने का एक कारण यह भी है कि दोनों ही नेता लोकसभा सांसद हैं। कमलनाथ छिंदवाडा़ तो ज्यातिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। और दोनों ही मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री थे। अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है तो दोनों में से जिसे मुख्यमंत्री बनाया जाएगा उसे विधानसभा चुनाव लड़ना होगा। विधानसभा चुनाव तभी लड़ सकते हैं जब कोई सीट खाली हो। हालांकि अभी तक कांग्रेस ने ये घोषणा नहीं की है कि राज्य में कांग्रेस के चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री कौन होगा। वहीं, भाजपा एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरी है।
कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव नहीं लड़ने का एक कारण यह भी है कि दोनों ही नेता लोकसभा सांसद हैं। कमलनाथ छिंदवाडा़ तो ज्यातिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। और दोनों ही मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री थे। अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है तो दोनों में से जिसे मुख्यमंत्री बनाया जाएगा उसे विधानसभा चुनाव लड़ना होगा। विधानसभा चुनाव तभी लड़ सकते हैं जब कोई सीट खाली हो। हालांकि अभी तक कांग्रेस ने ये घोषणा नहीं की है कि राज्य में कांग्रेस के चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री कौन होगा। वहीं, भाजपा एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरी है।
तेज हुए सियासत
कमलनाथ के इस बयान के बाद पार्टी में सियासत तेज हो गई है। कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का मुख्य दावेदार माना जा रहा है। अगर दोनों ही नेता चुनाव नहीं लड़ते हैं तो मुख्यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा। अगर राज्य में १५ साल बाद पार्टी की वापसी होती है तो कमलनाथ और सिंधिया के चुनाव नहीं लड़ने के एलान के बाद सीएम कौन होगा इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश में विधान परिषद का भी कोई विकल्प नहीं है कि सरकार बनने के बाद दोनों में से कोई एक नेता विधान परिषद का सदस्य बनकर मुख्यमंत्री बने। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के लिए सियासी जोड़-तोड़ जारी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने रविवार को कहा, ‘बीजेपी के 30 विधायकों ने मुझसे संपर्क किया था। मैं ये नहीं कह सकता कि बीजेपी विधायकों ने मुझसे संपर्क क्यों किया। उन्होंने कहा कि राज्य की कुल 230 विधानसभा सीटों के टिकट के लिए कांग्रेस के सामने करीब 2,500 नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है जिसमें से सत्तारूढ़ बीजेपी के 30 मौजूदा विधायक भी शामिल हैं।’
कमलनाथ के इस बयान के बाद पार्टी में सियासत तेज हो गई है। कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का मुख्य दावेदार माना जा रहा है। अगर दोनों ही नेता चुनाव नहीं लड़ते हैं तो मुख्यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा। अगर राज्य में १५ साल बाद पार्टी की वापसी होती है तो कमलनाथ और सिंधिया के चुनाव नहीं लड़ने के एलान के बाद सीएम कौन होगा इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश में विधान परिषद का भी कोई विकल्प नहीं है कि सरकार बनने के बाद दोनों में से कोई एक नेता विधान परिषद का सदस्य बनकर मुख्यमंत्री बने। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के लिए सियासी जोड़-तोड़ जारी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने रविवार को कहा, ‘बीजेपी के 30 विधायकों ने मुझसे संपर्क किया था। मैं ये नहीं कह सकता कि बीजेपी विधायकों ने मुझसे संपर्क क्यों किया। उन्होंने कहा कि राज्य की कुल 230 विधानसभा सीटों के टिकट के लिए कांग्रेस के सामने करीब 2,500 नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है जिसमें से सत्तारूढ़ बीजेपी के 30 मौजूदा विधायक भी शामिल हैं।’