scriptकमलनाथ और शिवराज ने नापा प्रदेश | Kamal Nath and Shivraj Napa region | Patrika News

कमलनाथ और शिवराज ने नापा प्रदेश

locationभोपालPublished: May 03, 2019 07:45:20 pm

Submitted by:

anil chaudhary

सीएम वर्सेस एक्स सीएम : अपने-अपने संगठन में सबसे अधिक सीटों पर पहुंचे

Former MLA Chaudhary Chandrabhan Singh said

Former MLA Chaudhary Chandrabhan Singh said

जितेन्द्र चौरसिया, भोपाल. भीषण गर्मी के बावजूद लोकसभा के रण का चुनाव प्रचार चरम पर है। कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मोर्चा संभाल रखा है तो भाजपा से स्टार प्रचारक के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही प्रदेश को नाप रहे हैं। दूसरे दिग्गज नेता भी मैदान में हैं, लेकिन प्रचार के मैदान में मुख्य रूप से कमलनाथ वर्सेस शिवराज की जंग है। दोनों एक दिन में औसत चार से पांच सभाएं करते हैं। दोनों के भाषणों में एक-दूसरे पर आरोप बरसते हैं। दोनों अपने दलों में सबसे अधिक जिलों व सीटों पर पहुंचने वाले नेता हैं। पढि़ए, दोनों की विशेष रिपोर्ट…
– कमलनाथ, मुख्यमंत्री
4700 किमी लगभग सफर (सड़क व हवाई मार्ग)
70 विधानसभा सीट लगभग
सभाएं – औसत चार-पांच सभा प्रतिदिन। भोपाल में रुकते हैं तो कम।
मांग – पूरे प्रदेश में। जबलपुर-छिंदवाड़ा बेल्ट में ज्यादा असर।
कवरेज एरिया – अब तक उमरिया, अनूपपुर, रीवा, भोपाल, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, जबलपुर, महू-इंदौर, खंडवा, नरसिंहपुर, टीकमगढ़, खजुराहो, रायसेन, सीधी, छतरपुर, कटनी, सतना, पन्ना, मंडला, बालाघाट और शहडोल कवर किया।
स्पीच थीम – पिछली भाजपा सरकार के १५ साल। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अपराध-बलात्कार पर अटैक।
मोदी एंगल – मोदी के पांच साल पर अटैक। जुमलेबाजी और राष्ट्रवाद को झूठा ठहराते हैं। मोदी की राजनीति को कलाकारी-झूठ की राजनीति कहते हैं। मोदी के पायजामा पहनना न सीख पाने के पहले नेहरू द्वारा सेना के गठन की बातें करते हैं।
ताकत – बड़ा राजनीतिक रसूख। दस साल देश के उद्योग मंत्री रहे। पूरे देश के उच्च वर्ग में नेटवर्क। दूरदर्शी व अनुभवी राजनेता। सबको साधने की खूबी। छिंदवाड़ा को विकास मॉडल बनाना।
कमजोरी – उम्र ज्यादा होना। अधिक दौरों में भरोसा नहीं। सहज-सरल उपलब्धता नहीं।
गुटीय स्थिति – पार्टी में खुद का बड़ा कद और खेमा। पूरे प्रदेश में समर्थक। गुटीय राजनीति में बड़ा वजूद रखना।
आगे क्या – मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं, इसलिए आगे सरकार व संगठन को चलाना। विधानसभा में जीत का श्रेय मिला। अब लोकसभा में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसका श्रेय मिलेगा। साथ ही सरकार संचालन में गुटीय खींचतान में अधिक फ्रीडम मिलना।
शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री
7200 किमी लगभग सफर (सड़क व हवाई मार्ग)
120 विधानसभा क्षेत्र कवर किए लगभग
सभाएं – औसत चार सभा प्रतिदिन। दौरे पर रहने पर ६-७ सभाएं तक।
मांग- पूरे प्रदेश में।
कवरेज एरिया – भोपाल, सागर, पन्ना, कटनी, छतरपुर, टीकमगढ़, होशंगाबाद, दमोह, सीहोर, विदिशा, रायसेन, देवास, खजुराहो, जबलपुर, धार, खंडवा, इंदौर, खरगौन, सतना, रीवा, डिंडौरी, छिंदवाड़ा, उमरिया, सीधी, सतना, उज्जैन, रायसेन, ग्वालियर, झाबुआ, शहडोल, बैतूल, मंडला और बालाघाट कवर किया।
स्पीच थीम – तीन महीने की कांग्रेस सरकार पर अटैक। तबादला उद्योग पर अटैक। लॉ-एंड-ऑर्डर को लाओ और ऑर्डर ले जाओ का डॉयलॉग। बिजली गुल पर अटैक। दिग्विजय शासनकाल पर निशाना।
मोदी एंगल – मोदी के आने से देश का नवनिर्माण होना बताना। राष्ट्रवाद और पाकिस्तान को घर में घुसकर मारने के बयान। सर्जिकल स्ट्राइक व सेना को लेकर बयान।
ताकत – सबसे ज्यादा १३ साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। लोकप्रिय नेता की छवि। सहज-सरल उपलब्ध। योजनाओं से जनता में पकड़। बेहतर भाषणशैली। पूरे प्रदेश को जानते-समझते। पूरे प्रदेश में नेटवर्क।
कमजोरी – विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी में उनके कद को सीमित किया। शीर्ष नेतृत्व ने कई बातें अनसुनी की। चुनाव में कोई बहुत अहम जिम्मेदारी नहीं।
गुटीय स्थिति – प्रदेश के सबसे बड़े नेता का कद। खुद का अलग खेमा बन गया है। अधिकतर प्रतिद्वंद्वी खेमों को १३ साल में हाशिये पर किया। अब उन्हीं खेमों से खतरा। बढ़ते कद से शीर्ष नेतृत्व भी उन्हें सीमित रखना चाहता।
आगे क्या – पार्टी से प्रदेश की सत्ता छिनने के बाद से उनकी नहीं चली। मध्यप्रदेश में रहना चाहा, लेकिन केंद्रीय संगठन की जिम्मेदारियां मिली। लोकसभा के बाद केंद्र की राजनीति में जाने के आसार। चुनाव परिणाम से भी उनके राजनीतिक भविष्य में बदलाव संभव।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो