शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री
7200 किमी लगभग सफर (सड़क व हवाई मार्ग)
120 विधानसभा क्षेत्र कवर किए लगभग
सभाएं – औसत चार सभा प्रतिदिन। दौरे पर रहने पर ६-७ सभाएं तक।
मांग- पूरे प्रदेश में।
कवरेज एरिया – भोपाल, सागर, पन्ना, कटनी, छतरपुर, टीकमगढ़, होशंगाबाद, दमोह, सीहोर, विदिशा, रायसेन, देवास, खजुराहो, जबलपुर, धार, खंडवा, इंदौर, खरगौन, सतना, रीवा, डिंडौरी, छिंदवाड़ा, उमरिया, सीधी, सतना, उज्जैन, रायसेन, ग्वालियर, झाबुआ, शहडोल, बैतूल, मंडला और बालाघाट कवर किया।
स्पीच थीम – तीन महीने की कांग्रेस सरकार पर अटैक। तबादला उद्योग पर अटैक। लॉ-एंड-ऑर्डर को लाओ और ऑर्डर ले जाओ का डॉयलॉग। बिजली गुल पर अटैक। दिग्विजय शासनकाल पर निशाना।
मोदी एंगल – मोदी के आने से देश का नवनिर्माण होना बताना। राष्ट्रवाद और पाकिस्तान को घर में घुसकर मारने के बयान। सर्जिकल स्ट्राइक व सेना को लेकर बयान।
ताकत – सबसे ज्यादा १३ साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। लोकप्रिय नेता की छवि। सहज-सरल उपलब्ध। योजनाओं से जनता में पकड़। बेहतर भाषणशैली। पूरे प्रदेश को जानते-समझते। पूरे प्रदेश में नेटवर्क।
कमजोरी – विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी में उनके कद को सीमित किया। शीर्ष नेतृत्व ने कई बातें अनसुनी की। चुनाव में कोई बहुत अहम जिम्मेदारी नहीं।
गुटीय स्थिति – प्रदेश के सबसे बड़े नेता का कद। खुद का अलग खेमा बन गया है। अधिकतर प्रतिद्वंद्वी खेमों को १३ साल में हाशिये पर किया। अब उन्हीं खेमों से खतरा। बढ़ते कद से शीर्ष नेतृत्व भी उन्हें सीमित रखना चाहता।
आगे क्या – पार्टी से प्रदेश की सत्ता छिनने के बाद से उनकी नहीं चली। मध्यप्रदेश में रहना चाहा, लेकिन केंद्रीय संगठन की जिम्मेदारियां मिली। लोकसभा के बाद केंद्र की राजनीति में जाने के आसार। चुनाव परिणाम से भी उनके राजनीतिक भविष्य में बदलाव संभव।
7200 किमी लगभग सफर (सड़क व हवाई मार्ग)
120 विधानसभा क्षेत्र कवर किए लगभग
सभाएं – औसत चार सभा प्रतिदिन। दौरे पर रहने पर ६-७ सभाएं तक।
मांग- पूरे प्रदेश में।
कवरेज एरिया – भोपाल, सागर, पन्ना, कटनी, छतरपुर, टीकमगढ़, होशंगाबाद, दमोह, सीहोर, विदिशा, रायसेन, देवास, खजुराहो, जबलपुर, धार, खंडवा, इंदौर, खरगौन, सतना, रीवा, डिंडौरी, छिंदवाड़ा, उमरिया, सीधी, सतना, उज्जैन, रायसेन, ग्वालियर, झाबुआ, शहडोल, बैतूल, मंडला और बालाघाट कवर किया।
स्पीच थीम – तीन महीने की कांग्रेस सरकार पर अटैक। तबादला उद्योग पर अटैक। लॉ-एंड-ऑर्डर को लाओ और ऑर्डर ले जाओ का डॉयलॉग। बिजली गुल पर अटैक। दिग्विजय शासनकाल पर निशाना।
मोदी एंगल – मोदी के आने से देश का नवनिर्माण होना बताना। राष्ट्रवाद और पाकिस्तान को घर में घुसकर मारने के बयान। सर्जिकल स्ट्राइक व सेना को लेकर बयान।
ताकत – सबसे ज्यादा १३ साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। लोकप्रिय नेता की छवि। सहज-सरल उपलब्ध। योजनाओं से जनता में पकड़। बेहतर भाषणशैली। पूरे प्रदेश को जानते-समझते। पूरे प्रदेश में नेटवर्क।
कमजोरी – विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी में उनके कद को सीमित किया। शीर्ष नेतृत्व ने कई बातें अनसुनी की। चुनाव में कोई बहुत अहम जिम्मेदारी नहीं।
गुटीय स्थिति – प्रदेश के सबसे बड़े नेता का कद। खुद का अलग खेमा बन गया है। अधिकतर प्रतिद्वंद्वी खेमों को १३ साल में हाशिये पर किया। अब उन्हीं खेमों से खतरा। बढ़ते कद से शीर्ष नेतृत्व भी उन्हें सीमित रखना चाहता।
आगे क्या – पार्टी से प्रदेश की सत्ता छिनने के बाद से उनकी नहीं चली। मध्यप्रदेश में रहना चाहा, लेकिन केंद्रीय संगठन की जिम्मेदारियां मिली। लोकसभा के बाद केंद्र की राजनीति में जाने के आसार। चुनाव परिणाम से भी उनके राजनीतिक भविष्य में बदलाव संभव।