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खुलासे के बाद हड़कंप, शिवराज सिंह चौहान के शासन में हुआ ‘महाघोटाला’?

locationभोपालPublished: Nov 11, 2019 08:40:14 pm

Submitted by:

Muneshwar Kumar

अपात्रों ने भी उठाए संबल योजना का लाभ

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भोपाल/ मध्यप्रदेश में तत्कालीन शिवराज सरकार ने संबल योजना शुरू कर खूब वाहवाही लूटने की कोशिश की थी। लेकिन एक साल के भीतर ही इस योजना में बड़ा घोटाला होने का खुलासा सामने आया है। कमलनाथ सरकार की माने तो करीब 6 हजार करोड़ रुपये उस समय की शिवराज सरकार ने अपात्र लोगों पर लुटा दिये।
मध्यप्रदेश में गरीबों को सस्ती बिजली देने के नाम पर शिवराज सरकार ने संबल योजना शुरु की थी। गरीबों को तो खैर जितना फायदा मिलना था वो तो नहीं मिला। लेकिन गरीबों के नाम पर कई आयकरदाताओं तक ने योजना का फायदा लिया। ऐसे लाखों अपात्रों का पता चला है जो इस योजना का फायदा ले रहे थे और शिवराज सरकार की ये सस्ती बिजली योजना अब कमलनाथ सरकार पर भारी पड़ रही है।
पूरा मामला संबल के तहत श्रमिकों के पंजीयन का है। पिछली शिवराज सरकार में विधानसभा चुनाव के पूर्व ताबड़तोड़ तरीके से पंजीयन किया गया और फिर रजिस्टर्ड परिवारों को सब्सिडी दे दी गई। इसमें औसत 568 करोड़ रुपए महीना और सालभर में करीब 6816 करोड़ रुपया चुकाया गया। अब इसकी जांच की गई, तो 71 लाख अपात्र पाए गए हैं। इन अपात्र लोगों की सूचियां श्रम विभाग ने बिजली विभाग को दे दी है। जिसके बाद बिजली महकमे ने नोटिस देने की तैयारी कर ली है।
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पिछली शिवराज सरकार में 71 लाख परिवारों को अपात्र होने के बावजूद संबल योजना के तहत बिजली में 6816 करोड़ बांट दिए गए। इसमें पिछली भाजपा सरकार के समय भाजपा पार्टी के पन्ना-प्रभारी से लेकर अन्य लोग शामिल हैं, जिनमें आयकर दाता तक शामिल है। हालांकि बीजेपी कह रही है कि सरकार ने ये योजना बंद कर गरीबों का गला घोंटा है।
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संबल में ‘महाघोटाला’

2.18 करोड़ श्रमिक का पंजीयन संबल में हुआ
71 लाख श्रमिक परिवार फर्जी पाए गए
35 हजार से ज्यादा आयकर दाता पाए गए
326 करोड़ की सब्सिडी अभी तक दी जा चुकी
बिजली सब्सिडी के 999 करोड़ अब भी देना बाकी
’58 लाख फर्जी हितग्राही भाजपा से जुड़े लोग’
इस खुलासे के बाद सरकार ने इस रकम की रिकवरी का फैसला किया है। अपात्र लोग रिकवरी के तहत पैसे नहीं देते हैं, तो उन पर पुलिस कार्रवाई की जाएगी। जल्द ही इस मामले को कैबिनेट में लाया जाएगा।
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अब तत्कालीन शिवराज सरकार की खामियों का नुकसान उन लोगों को उठाना पड़ेगा, जिन्होंने चंद रुपयों के लालच में मुसीबत मोल ले ली। ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी होनी चाहिए। क्योंकि ईमानदार मध्यम वर्ग का नागरिक इसलिए टैक्स नहीं भरता कि उन पैसों से बेईमान लोग मौज करें। उस समय ही सरकार पर सवाल उठे थे क्योंकि योजना में कोई फुलप्रूफ प्लान नहीं बना था। न कोई दस्तावेज चेक किये गए। अब बीजेपी को जवाब देना चाहिए कि 6 हजार करोड़ से ज्यादा की रेवड़ी आखिर मुफ्त में बांटने के बाद क्या वो अपनी गलती स्वीकार करेगी।
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