script1979 में इंदिरा गांधी ने कहा था अपना तीसरा बेटा, अब 39 साल बाद पोते ने सौंपी MP की कमान… | kamal nath now cm of MP and third son of former PM Indira gandhi | Patrika News

1979 में इंदिरा गांधी ने कहा था अपना तीसरा बेटा, अब 39 साल बाद पोते ने सौंपी MP की कमान…

locationभोपालPublished: Dec 15, 2018 12:21:50 pm

चुनावी लड़ाई में सोशल मीडिया का आधार…

kamalnath

1979 में इंदिरा गांधी ने कहा था अपना तीसरा बेटा, अब 39 साल बाद पोते ने सौंपी MP की कमान…

भोपाल। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा कभी अपना तीसरा बेटा करार दिए गए वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ अब मध्यप्रदेश के नए सीएम होने जा रहे हैं।

वे 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। करीब 39 साल पहले कही गई इस बात के बाद अब कहीं जाकर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी ने उन्हें ये कमान सौंपी है।

दरअसल मध्यप्रदेश के चुनावों में जहां अब कांग्रेस ने सत्ता के मुकाबले में भाजपा को पटखनी दे दी है। वहीं चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से लगातार ट्विटर को ही भाजपा पर अटैक का मुख्य हथियार बनया गया था। कमलनाथ ने भी इस दौरान ट्विटर का जमकर उपयोग किया।

जीत का ये मंत्र…
कई जानकार मानते हैं कि इस बार की चुनावी लड़ाई काफी हद तक सोशल मीडिया के आधार पर लड़ी गई। भले ही चुनावों पर कमेंट व लाइक का असर ज्यादा खास न दिखा हो, लेकिन दूसरी पार्टी पर आक्रमण के लिए ये प्लेटफार्म सबसे खास रहा।

इसी के चलते जहां एक ओर कई तरह के वीडियो सामने आए, वहीं पूर्व में कांग्रेस की ओर से फेसबुक को भी तव्वजो देते हुए नेताओं से उस पर लाइक और कमेंट सहित कई चीजें चुनाव लड़ने के लिए जरूरी बताई गर्इ्ं थी।

भले ही बाद में कांग्रेस ने इस नियम को बदल दिया था। लेकिन उसकी ये सोच कहीं ने कहीं कुछ बदलावों को जरूर कर गई। अब जानकार कांग्रेस के फेसबुक में एकाएंट जैसी जरूरी नियमों को समय पर हटा लिए जाने को उचित निर्णय मान रहे हैं।

जरूरी नहीं फेसबुक पर प्रसिद्धि वोट भी दिलाए…
क्या फेसबुक पर सक्रिय नेताओं को चुनावों में भी फायदा मिलाता है? अगर 11 दिसंबर को आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाए तो जवाब होगा, बहुत ज्यादा नहीं।

facebook effect in election

कम से कम ऐसे नेताओं के बीच कोई ज्यादा संबंध नहीं है जो फेसबुक पर ध्यान आकर्षित करते हैं, दूसरी ओर जो नेता शासन में हैं। यानी जरूरी नहीं फेसबुक पर प्रसिद्धि वोट भी दिलाए। हर माह 18 से 65 उम्र के 27 करोड़ भारतीय फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं।

फेसबुक पेज पर लाइक
राजस्थान
वसुंधरा राजे : 94.60 लाख
सचिन पायलट : 23.48 लाख
अशोक गहलोत : 18.41 लाख

मध्यप्रदेश
शिवराज सिंह : 42.25 लाख
दिग्विजय सिंह : 10.35 लाख
ज्योतिरादित्य : 36.08 लाख

छत्तीसगढ़
रमन सिंह : 36.23 लाख
अजय चंद्राकर : 3.65 लाख
भूपेश बघेल : 2.23 लाख

तेलंगाना
ओवैसी : 24.94 लाख
चंद्रबाबू नायडू : 15.62 लाख
केसीआर : 7.27 लाख

‘आंकड़े 12 दिसंबर तक, स्रोत : क्राउड टैंगेल’

जानिये कमलनाथ से जुड़े कुछ रोचक तथ्य…
दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक बार उन्हें अपना तीसरा बेटा तब कहा था, जब उन्होंने 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में मदद की थी।

अब इसी बेटे ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस का 15 साल पुराना वनवास खत्म कर दिया। वहीं काफी जद्दोजहद के बाद कमलनाथ जब पार्टी आलाकमान से मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनने की मंजूरी लेकर भोपाल पहुंचे, तो यहां ‘जय जय कमलनाथ’ के नारे से उनका स्वागत किया।


कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम महेंद्रनाथ और माता का लीला है। कमलनाथ देहरादून स्थित दून स्कूल के छात्र रहे हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से स्नातक किया।

राहुल ने सौंपी नई जिम्मेदारी
मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस राज्य में सत्तासीन होने जा रही है। वहीं 72 साल के कमलनाथ को 39 साल बाद अब इंदिरा के पोते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नई जिम्मेदारी सौंपी है।

इससे पहले राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में पार्टी द्वारा सरकार गठन के लिए जरूरी संख्या जुटा लिए जाने के बाद दो दिनों तक गहन माथापच्ची की।

कमलनाथ के समर्थक उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत का श्रेय देते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कमलनाथ का दावा चुनौतियों से भरा रहा। उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कड़ी चुनौती दी।

लेकिन अंत में पार्टी अध्यक्ष ने कमलनाथ के पक्ष में निर्णय लिया। जबकि कमलनाथ भी कई बार ज्योतिरादित्य को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं की बात कह चुके थे।

राहुल के इस निर्णय ने सिंधिया समर्थकों का जरूर निराश किया, लेकिन राहुल गांधी का कहना था कि धैर्य और समय दो सबसे शक्तिशाली योद्धा होते हैं। आखिरकार अनुभव ही बदलाव की जरूरत को लेकर विजयी हुआ और कमलनाथ को मुख्यमंत्री चुना गया। इसमें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा गया।

कमलनाथ ने सिंधिया के साथ मध्य प्रदेश में विपक्षी कांग्रेस की किस्मत फिर से पलटने का काम शुरू किया था। राज्य में पार्टी 2003 से ही सत्ता से बाहर है। कमलनाथ का एक वीडियो वायरल होने पर भाजपा ने उन पर हमला बोला था।

इस वीडियो में वह कांग्रेस की जीत के लिए मौलवियों से राज्य के मुस्लिम बहुल इलाके में 90 प्रतिशत वोट सुनिश्चित करने को कहते हुए दिखे। वे लोकसभा में कमलनाथ छिंदवाड़ा की नौ बार नुमाइंदगी कर चुके हैं।

बताया जाता है कि पूर्व में इंदिरा गांधी छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट के प्रत्याशी कमलनाथ के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं। इंदिरा ने तब मतदाताओं से चुनावी सभा में कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं। कृपया उन्हें वोट दीजिए। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह राहुल गांधी ने कमलनाथ को इस साल 26 अप्रैल को मध्य प्रदेश का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया।

ये किया कमाल…
कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी जैसे प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को एक साथ लाने का काम किया, जिसके चलते इस बार हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी में एकजुटता दिखी।


समाज के हर तबके के लिए योजनाओं के कारण सीएम शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता से वाकिफ चुनाव अभियान की शुरूआत में ही कमलनाथ ने भाजपा पर हमला शुरू कर दिया। अभियान के जोर पकड़ने पर पार्टी की ओर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए राज्य कांग्रेस ने ‘वक्त है बदलाव का’ नारा दिया।

कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में चौहान के उन वादों पर फोकस किया जिन्हें पूरा नहीं किया जा सका। पार्टी ने चौहान को घोषणावीर बताया जिसके बाद सरकार द्वारा घोषित योजनाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गयी।

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