राहुल गांधी ने कहा है कि कमलनाथ, अशोक गहलोत और पी चिदंबरम जैसे कांग्रेस नेताओं ने अपने बेटों को पार्टी के हितों से ऊपर रखा है। राहुल गांधी ने कहा- इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बहुत ही खराब प्रदर्शन किया है जबकि यहां पांच महीने पहले पार्टी की जीत हुई है और हमारी सरकार बनी है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और अशोक गहलोत ने उनकी इच्छा के खिलाफ अपने बेटों को टिकट दिलाने की ज़िद की थी और टिकट दिलवाया।
कांग्रेस कमेटी की बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि हमें स्थानीय स्तर पर मजबूत नेताओं की जरूरत है। सिंधिया की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा- कमलनाथ ने पार्टी से ज्यादा अपने बेटे के हित को ध्यान में रखा है। इसके साथ ही राहुल ने कहा- पार्टी के नेता उनके उठाए मुद्दों को आगे ले जाने में नाकामयाब रहे।
छिंदवाड़ा से जीते हैं कमलनाथ के बेटे
मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ ने छिंदवाड़ा संसदीय सीट से अपने बेटे नकुलनाथ को टिकट दिलाया था। मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को केवल छिंदवाड़ा में जीत मिली है। हालांकि नकुलनाथ की जीत का अंतर बहुत कम था। छिंदवाड़ा से कमलनाथ नौ बार सांसद रहे इस बार मध्यप्रदेश का सीएम बनने के बाद उन्होंने अपने बेटे को मैदान में उतारा था। कमलनाथ का ज्यादा फोकस छिंदवाड़ा था। छिंदवाड़ा में उन्होंने कई रैलियां और सभाएं कीं। छिंदवाड़ा में वोटिंग होने के बाद कमलनाथ प्रदेश की अन्य सीटों पर सक्रिय हुए थे।
इस्तीफे की कर चुके हैं पेशकश
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की है। बता दें कि विधानसभा चुनावों से पहले कमलनाथ को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। उनके ही नेतृत्व में लोकसभा के चुनाव हुए थे। लेकिन लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारण अब उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। कमलनाथ ने प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के सामने इस्तीफे की पेशकश की है। बताया जा रहा है कि दीपक बाबरिया इस मामले में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ विचार -विमर्श करेंगे। दीपक बाबरिया ने कमलनाथ को राहुल गांधी से विचार-विमर्श करने की सलाह दी है।
शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में कार्य समिति के सारे सदस्यों के साथ कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे। लेकिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ इस बैठक में नहीं गए थे। उनके इस बैठक में शामिल नहीं होने के कारण कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
कांग्रेस की करारी हार पर प्रदेश में हंगामा शुरू हो गया है। हर जगह से विरोध की आवाजें उठना शुरू हो गई हैं। कई मंत्रियों ने कमलनाथ से इस्तीफा देने की मांग की है। हालांकि कमलनाथ ने अंदरखाने साफ कर दिया है कि वह प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। वहीं, सिंधिया खेमे ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग शुरू कर दी है। वहीं, कांग्रेस के अंदर शुरू हुए गुस्से को कम करने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि सरकार को स्थाई बनाए रखने के लिए कमलनाथ कुछ निर्दलीय विधायकों एवं कांग्रेस के मजबूत विधायकों को मंत्री बना सकते हैं। इसके साथ ही निगम—मंडलों का बंटवारा जल्दी कर सकते हैं।