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यूरिया संकट पर कमलनाथ का हमला, कहा- घोटालेबाजों की मौज, किसान परेशान

locationभोपालPublished: Aug 28, 2020 01:48:50 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

कमलनाथ ने कहा- जबकि, भ्रष्टाचारी, घोटालेबाज, मिलावटखोर और कालाबाज़ारी करने वालों के हौसले बुलंद हैं।

यूरिया संकट पर कमलनाथ का हमला, कहा- घोटालेबाजों की मौज, किसान परेशान

यूरिया संकट पर कमलनाथ का हमला, कहा- घोटालेबाजों की मौज, किसान परेशान

भोपाल. मध्यप्रदेश के उपचुनाव को देखते हुए भाजपा-कांग्रेस ने एक बार फिर से किसानों को मुद्दा बनाया है। भाजपा सरकार ने जहां बारिश के कारण हुए नुकसान का मुआवजा देने का एलान किया है वहीं, कांग्रेस कर्जमाफी के मुद्दे पर भाजपा को घेरने में लगी है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब-जब प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है किसान परेशान हुआ । जबकि, भ्रष्टाचारी, घोटालेबाज, मिलावटखोर और कालाबाज़ारी करने वालों के हौसले बुलंद हैं।
किसान विरोधी चेहरा
कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार का किसान विरोधी चेहरा रोज सामने आ रहा है। जिस दिन से प्रदेश में भाजपा की सरकार क़ाबिज हुई है, प्रदेश का किसान उसी दिन से परेशान हो चला है। आज प्रदेश में यूरिया का संकट बना हुआ है। प्रदेश के कई हिस्सों में किसानों को यूरिया के लिये भटकना पड़ रहा है। यूरिया की कालाबाज़ारी जारी है। किसानों को महंगे दामों पर यूरिया ख़रीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। खाद के लिये लाइनों में लगा किसान पुलिस की लाठियां
भी खा रहा है।
कमलनाथ ने बताया कि एक तरफ़ किसान इस महामारी में लंबी-लंबी लाइन लगाकर एक-एक बोरी खाद के लिये भटक रहा है, वहीं, दूसरी और किसानों को मिलने वाली खाद को भूमिहिनों व मृतकों के नाम पर फ़र्ज़ी तरीक़े से आवंटित कर लाखों क्विंटल खाद को भाजपा समर्थित व्यापारियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार कर ठिकाने लगाया जा रहा है , इसके प्रमाण भी प्रदेश के कई हिस्सों से सामने आ चुके हैं। शिवराज सरकार कुंभकर्णी नींद में सोई हुई है। मुख्यमंत्री सिर्फ़ ज़ुबानी चेतावनी व धमकियों से काम चला रहे हैं।
ज़मीनी धरातल पर कालाबाज़ारी व मिलावट खोरी रोकने के कोई इंतज़ाम नहीं है। किसान परेशान होकर सड़कों पर उतर रहा है। सरकार को सारी स्थिति पूर्व से ही पता थी लेकिन इसको रोकने को लेकर कोई ठोस कदम समय पर नहीं उठाये गये। मै सरकार से मांग करता हूं कि वे मैदान में जाकर ज़मीनी हकीकत देखें।
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