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कमलनाथ के बयान ने पलट दी मध्यप्रदेश की राजनीति, जानिए क्या कहा था नाथ ने

locationभोपालPublished: Mar 10, 2020 08:01:56 pm

Submitted by:

Manish Gite

अतिथि शिक्षकों की मांग पर सिंधिया के बयान पर सीएम कमलनाथ ने बोल दी थी दिल दुखाने वाली बात…।

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a comment from kamal nath changed the politics of MADHYA PRADESH

भोपाल। मध्यप्रदेश में 7 दिनों से चला आ रहा राजनीतिक घमासान चरम पर है। कमलनाथ सरकार गिरनी की स्थिति में पहुंच गई है। उसके पास ज्यादा विधायक नहीं बचे हैं। विपक्ष ने 19 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे मंगलवार शाम को विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए। इस पूरे राजनीतिक घमासान के पीछे कमलनाथ का एक बयान माना जा रहा है, जिसने थोड़े दिन में ही मध्यप्रदेश की सियासत में सबकुछ बदल दिया।

 

ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद ही तल्खियां बढ़ना शुरू हो गई है। राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने इस तल्खी को कम करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद सिंधिया ने अपने ट्वीटर प्रोफाइल को बदल दिया। उसमें से कांग्रेस शब्द गायब कर दिया और समाजसेवी लिख लिया। इससे सिंधिया की नाराजगी का संदेश जाने लगा।

 

कमलनाथ ने कहा था तो उतर जाएं सड़कों पर
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ समय पहले कहा था कि अतिथि शिक्षकों की समस्या सुलझाने के लिए वे सड़कों पर भी उतर जाएंगे। सिंधिया के इस बयान पर प्रतिक्रिया जब कमलनाथ से ली तो उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि तो उतर जाएं सड़क पर। यह मामला कांग्रेस के वचन पत्र के मुताबिक अतिथि शिक्षकों को नौकरी में लेने का था। सिंधिया ने शिक्षकों से कहा था कि यदि सरकार वचन पूरा नहीं करती है तो वे अतिथि शिक्षकों के साथ सड़क पर उतर जाएंगे।

 

सिंधिया विरोधी को बनाया चेयरमैन
मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का अहम रोल देखा गया। ऐसा कहा जाता है कि सरकार बनने के बाद कई बड़े अफसरों की पोस्टिंग में दिग्विजय कहीं न कहीं भूमिका निभाते रहे। ग्वालियर के कांग्रेस नेता अशोक सिंह को मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैक का प्रशासक नियुक्त किए जाने से पूर्व भी कमलनाथ ने सिंधिया को भरोसे में नहीं लिया था। अशोक सिंह, दिग्विजय सिंह के करीबी हैं और सिंधिया के विरोधी। उधर, सिंधिया की शिकायत दरकिनार कर सोनिया गांधी ने भी इस पूरे मामले में चुप्पी साध ली। इस पर सिंधिया और आहत हो गए थे।

 

यह भी है खास
दिल्ली का बंगला बचाने में कमलनाथ ने सिंधिया की मदद नहीं की। उन्हें जो सरकारी बंगला मिला था वो लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद उन्हें खाली करना पड़ा। इस बंगले से सिंधिया का बेहद लगाव था। माधवराव सिंधिया भी इसी बंगले में रह चुके हैं। ज्योतिरादित्य चाहते थे कि दिल्ली में राज्यों के कोटे से जो बंगला हैं, उन्हें मध्यप्रदेश कोटे से रखने की अनुमति मिल जाए। लेकिन कमलनाथ ने सिंधिया की इन बातों को कोई तवज्जो नहीं दी। यहां भी तल्खी बढ़ते गई।

 

-कांग्रेस से इस्तीफा देने का जो पत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा है, उसमें पार्टी में कुछ समय से चल रही उपेक्षा का दर्द साफ दिखाई देता है।


-राहुल गांधी के कारण ही वर्ष 2009 में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में ज्योतिरादित्य से पहले मध्यप्रदेश के अरुण यादव को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल गई थी। अरुण यादव को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष भी राहुल गांधी ने बनाया दिया था।

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