मोदी की जीत के बाद से ही संकट के बादल छाने लगे हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता लगातार दावा करते रहे हैं कि कांग्रेस के कई विधायक हमारे संपर्क में हैं। लेकिन कांग्रेस इसे खारिज करती रही। बाद में सीएम कमलनाथ ने जरूर कहा कि सारे विधायक एकजुट हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन हमारे दस विधायकों को पद और प्रलोभन का ऑफर आया है।
सरकार के मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने भी कहा कि विधायकों को पचास-पचास करोड़ रुपये का ऑफर है। लेकिन ये खलबली एग्जिट पोल के बाद की थी। उस वक्त तक नतीजे नहीं आए थे। कांग्रेस नतीजों से पहले प्रचंड जीत की बात को खारिज कर रही थी। साथ ही प्रदेश में कांग्रेस के 21 से 22 सीटें मिलने की उम्मीद थी। लेकिन नतीजे बिल्कुल उलट आए थे। एक बार फिर से सरकार पर संकट मंडराने लगे हैं।
कमलनाथ कांग्रेस वर्किंग कमिटी की मीटिंग में भी दिल्ली नहीं गए है। बल्कि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया वहां मौजूद थे। ऐसे में प्रदेश में यह चर्चाएं तेजी से शुरू हो गईं कि कमलनाथ प्रदेश में आए सकंट से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले दो दिनों से वो लगातार भोपाल में ही हैं। शुक्रवार को वो सिर्फ दिग्विजय सिंह समेत कुछ नेताओं से मिले थे।
ऐसा इसलिए भी है कि अब कांग्रेस के नेता और विधायक ही नेृतत्व पर सवाल उठाने लगे हैं। दिग्विजय सिंह के भाई और विधायक लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस की करारी हार के बाद कह कि कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यकर्ता भाइयों, बहनों निराश न हो। जब मनुष्य पुनर्जन्म ले सकता है, तो अपनी पार्टी पुन: जीवित होगी। बस आवश्यकता है तो सही व्यक्ति को संगठन का काम देना।
लक्ष्मण सिंह से पहले कांग्रेस कई और पदाधिकारियों ने हार पर सवाल उठाए थे। सरकार में शामिल एक निर्दलीय विधायक ने भी कई सवाल खड़े किए हैं। निर्दलीय विधायन सुरेंद्र सिंह शेरा ने कहा है कि कांग्रेस के कई नेताओं को जनता ने नमस्ते कर दिया है। अगर उनके विधानसभा क्षेत्र की जनता उनसे कहेगी तो वह भी कर देंगे कांग्रेस को नमस्ते।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अरुण यादव और दिग्विजय सिंह जैसे दोनों नेता का जहां आस्तित्व नहीं वहीं से पार्टी ने उन्हें टिकट दिया। शेरा ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में पीड़ा हो रही है, जल्द ही कोई बड़ा एक्शन लेंगे।
बीजेपी के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की हार के बाद कहा था कि वाह, कमलनाथ जी आपने अपने ही साथियों का शिकार कर लिया। ऐसे में प्रदेश नेतृत्व में भी गुटबाजी की बात सामने आ रही है।
ऐसे में तमाम चीजों को सुलझाने के लिए कमलनाथ भोपाल में ही कैंप किए हुए हैं। क्योंकि हार के बाद एक-दूसरे पर ठिकरा फोड़ने का सिलसिला जारी है। कमलनाथ की सरकार बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रहा है।