इन युवा मंत्रियों ने तर्क दिया कि अभी चोरी छिपे ये सब हो रहा है, इसे नीति में शामिल कर वैध करने पर अच्छा खासा रेवेन्यू मिल सकता है। इन मंत्रियों के तर्क को वरिष्ठ मंत्रियों सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह और सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अभी शराब पर छूट दी तो लोकसभा का चुनाव हार जाएंगे।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी चुनाव की चिंता करने की बात कहते हुुए वरिष्ठ मंत्रियों का साथ दिया, इसके बाद आबकारी नीति से इन बिंदुओं को खारिज कर दिया।
— कैबिनेट में आबकारी नीति का प्रस्ताव रखने पर यह कहा गया कि बार लायसेंस लेने पर कही भी बैठकर शराब पीने को फ्री कर देना चाहिए।
— कैबिनेट में आबकारी नीति का प्रस्ताव रखने पर यह कहा गया कि बार लायसेंस लेने पर कही भी बैठकर शराब पीने को फ्री कर देना चाहिए।
अभी केवल बार में ही बैठकर पी जा सकती है। लेकिन, इसमें छत, कमरे या अन्य कही भी बैठकर पीने की छूट देने की बात कही गई। इसमें कहा गया कि अभी भी लोग कही भी बैठकर पीते हैं। इसे बस कानूनी स्वरूप मिल जाएगा, तो राजस्व भी बढ़ेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इसके अलावा राजस्व बढ़ाने के लिए सभी बंद अहातों को शुरू करना चाहिए।
सरकारी खजाने की खराब हालत बताकर वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी में आधा पैसा केंद्र चले जा रहा है। सरकारी खजाने की हालत सुधारने के लिए राजस्व बढ़ाना जरूरी है। इसलिए शराब के मामले में छूट दी जाए। इस पर सबसे पहले गोविंद सिंह ने एेतराज उठाया।
गोविंद ने कहा कि यदि अहाते शुरू कर देते हैं, तो जनता में कांग्रेस सरकार के लिए खराब संदेश जाएगा। एसा लगेगा कि भाजपा ने शराब पिलाना बंद कराया और कांग्रेस सरकार ने आते ही इसे शुरू करा दिया।
इसे भाजपा चुनाव में मुद्दा बनाकर भी इस्तेमाल कर सकती है। इसलिए अभी इस पर कोई निर्णय नहीं करना चाहिए। इसके अलावा शराब को लेकर कोई छूट नहीं दी जानी चाहिए। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा कि अभी लोकसभा चुनाव की चिंता जरूरी है। जनता में कोई गलत मैसेज नहीं जाना चाहिए। इसलिए ऐसे प्रस्तावों को लागू नहीं करेंगे।
इसके अलावा नेशनल पार्क में रेस्टहाउस के चार कक्ष से बढ़ाकर दस कक्ष करने का प्रस्ताव दिया गया, तो भी कमलनाथ ने इंकार कर दिया। उन्होंने की कि अभी इसकी जरूरत नहीं है। आबकारी नीति के तहत ही यह प्रस्ताव भी रखा गया कि ड्राट बियर को रिटले शॉप पर भी बेचने की मंजूरी दी जानी चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे भी खारिज कर दिया।
अब वित्त की सहमति जरूरी-
अब वित्त की सहमति जरूरी-
बैठक में यह फैसला भी किया गया कि आबकारी नीति में अब यदि कोई भी नियम शिथिल किया जाता है, तो इसके लिए पहले वित्त विभाग की सहमति लेना अनिवार्य होगा। अभी तक एेसा नहीं था।