मध्यप्रदेश भवन का भी करेगी शिलान्यास
कमलनाथ अपने दिल्ली दौरे पर मध्यप्रदेश भवन का भी शिलान्यास करेंगे। बता दें कि दिल्ली के चाणक्यपुरी में बनेगा नया मध्यप्रदेश भवन। मुख्यमंत्री कमल नाथ 12 जनवरी को नये भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास करेंगे।
मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ 20 दिसंबर 2018 को पहली बार दिल्ली दौरे पर गए थे। इस दौरान वो पूर्व रक्षामंत्री एके एंटोनी से मुलाकात कर मंत्रिमंडल के गठन को लेकर चर्चा की थी। इस दौरे में कमलनाथ ने कई बार राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर भी चर्चा होगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह में से किसी एक को मध्यप्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं। हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव तक कमलनाथ ही प्रदेश के अध्यक्ष बने रहेंगे। लोकसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री कमलनाथ ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बने रह सकते हैं। मौजूदा हालातों के चलते ये फैसला लिया जा सकता है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का फोकस लोकसभा चुनावों पर है। मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ की सरकारें और संगठन मिशन 2019 को ध्यान में रखकर काम करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, जितनी मशक्कत के बाद सीएम के नाम पर फैसला हुआ है, उसके बाद राहुल नहीं चाहते कि प्रदेश में दूसरा पॉवर सेंटर बने, जो सरकार के काम में अड़चन पैदा करे। हाल ही में दिल्ली दौरे में कमलनाथ को राहुल ने ऐसे संकेत दिए हैं। दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया की मंशा भी पीसीसी अध्यक्ष बनने की है। सत्ता-संगठन में समन्वय और लोकसभा चुनाव को नजर में रखते हुए ही फैसला लिया जाएगा।
दिग्विजय सिंह अपने खेमे से अजय सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। सिंधिया समर्थक रामनिवास रावत भी दौड़ में हैं। पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव भी खुद को इस दौड़ में शामिल किए हैं। वे ट्विटर के जरिए अपनी ब्रांडिंग कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की मंशा प्रदेश अध्यक्ष बनने की है, इसीलिए उनके समर्थकों ने पार्टी हाईकमान को संकेत देने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था, लेकिन राहुल, सिंधिया समर्थक विधायकों के इस रवैए से नाखुश हैं। हालांकि सिंधिया ने स्वयं समर्थकों को वापस भोपाल भेजा था। इन परिस्थितियों के बाद राहुल चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव तक कमलनाथ के पास ही संगठन की कमान रहे। यदि सिंधिया या उनके समर्थक पीसीसी अध्यक्ष बनेंगे तो पार्टी फिर गुटों में बांट सकती है।