भोपाल

कमलनाथ सिंधिया विवाद : महाराज के इशारे का वफादारों को इंतजार

सिंधिया कांग्रेस को अलविदा कहेंगे!

भोपालFeb 21, 2020 / 10:26 pm

दीपेश तिवारी

Kamalnath vs Scindia Maharaj

भोपाल@अरुण तिवारी की रिपोर्ट…

मध्य प्रदेश में इन दिनों राजनीति हर रोज नई करवट लेती दिख रही है। इसमें भी सबसे खास बात तो ये है कि ये राजनीति के सारे दांव पेंच विपक्ष की ओर से कांग्रेस सरकार पर नहीं आजमाए जा रहे, बल्कि कांग्रेस की अंदरुनी घमासान में ही एक दूसरे को निशाना बनाया जा रहा है।

जी हां हम बात कर रहे हैं कमलनाथ और सिंधिया (महाराज) के आपसी विवाद की, इस पूरे मामले को लेकर कई जानकार भी मानते हैं कि अपने तीखे व पैने आक्रामक लहजे वाले बयानों के बावजूद इस बात की नाममात्र की भी गुंजाइश नहीं है कि सिंधिया कांग्रेस को अलविदा कहेंगे या प्रदेश सरकार के सामने कोई कोई संकठपूर्ण स्थिति निर्मित करेंगे।

लेकिन इस सबके बावजूद सिंधिया(महाराज) और कमलनाथ के बीच तल्ख उत्तर—प्रत्युत्तर के बाद मध्यप्रदेश के साथ ही मुख्यरूप से ग्वालियर चंबल क्षेत्र की सियासत एकाएक गर्मा गई है।

ऐसे में हर कोई सिंधिया के अगले कदम का इंतजार कर रहा है, तो कोई कई प्रकार के अनुमान लगा रहा है।

इस बीच सिंधिया समर्थक तो यहां तक कहने लगे हैं कि उन्हें केवल महल के एक इशारे का इंतजार है, इशारा होते ही वे सिंधिया के साथ हमकदम हो जाएंगे।

सिंधिया कमलनाथ की तल्खी के बीच ये नेता हैं सबसे ज्यादा बैचेन…
सिंधिया व सीएम कमलनाथ के दरमियान हुई तल्खी से सबसे ज्यादा बैचेन वे नेता बताए जाते हैं, जो निगम-मंडलों की नियुक्तियों में अपना नाम सिंधिया कोटे से लगभग तय मानकर चल रहे हैं। ऐसे में अब उन्हें ये डर सता रहा है कि प्रदेश कांग्रेस में उलझते समीकरणों का ग्रहण उनकी नियुक्तियों पर लग सकता है। नामों में कांटछांट हो सकती है, जिससे प्रतिद्वंदी खेमे का कोटा बढ़ सकता है, मौजूदा नामों के साथ कुछ नए नाम जुड़ सकते हैं।

दरअसल अगले कुछ माह के भीतर कांग्रेस को स्थानीय निकाय चुनाव की वैतरणी भी पार करनी है। ऐसी स्थिति में पार्टी की एकजुटता जरूरी है और नेताओं के बीच बन रहा ये तनाव पार्टी को कमजोर कर सकता है।

वहीं पार्टी के अधिकांश कार्यकर्ताओं को ये उम्मीद है कि सिंधिया और कमलनाथ दोनों ही सुलझे हुए व पार्टी के प्रति समर्पित नेता हैं और ऐसे में तनाव के बदल जल्द ही छंट जाएंगे।

डैमेज कंट्रोल सिस्टम के सक्रिय…
वहीं दूसरी ओर पार्टी के डैमेज कंट्रोल सिस्टम के सक्रिय होने के बाद सिंधिया और कमलनाथ दोनों की ही ओर से नरमाई वाले सुर सुनाई देने लगे हैं। वहीं वफादार हैं कि मानने को तैयार ही नहीं और न ही आग में घी डालने का कोई मौका ही छोड़ रहे हैं।

वहीं पार्टी में कई जिम्मेदार पदों पर रह चुके और सिंधिया महल के नजदीकी बाल खाण्डे ने तो सिंधिया के सर्थक मंत्रियों को इस्तीफा देकर सिंधिया के साथ खड़े होने की नसीहत तक दे दी है।

सिंधिया के भरोसेमंद माने जाने वाले दो मंत्रियों प्रद्युम्न सिंह तोमर व इमरती देवी सुमन पहले ही कह चुके हैं कि वे हर स्थिति में सिंधिया के साथ खड़े हैं, साथ ही यदि सिंधिया सड़कों पर उतरते हैं तो सिर्फ वे ही नहीं बल्कि पूरे देश की कांग्रेस उनके साथ खड़ी होगी।

वहीं दूसरी ओर महिला कांग्रेस की एक प्रदेश महासचिव ने तो सिंधिया से कांग्रेस छोड़कर मप्र विकास कांग्रेस केा पुनर्जीवित करने तक की गुजारिश की है।

ज्ञात हो सन 1996 के चुनाव में जब दिवंगत माधवराव सिंधिया की जगह शशिभूषण वाजपेयी को ग्वालियर सीट से कांग्रेस ने टिकट दिया था, उस समय माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर मप्र विकास कांग्रेस के बैनर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक साल के भीतर ही वह कांग्रेस में वापस लौट आए थे।

खैर इन तमाम सुझावों के बीच सिंधिया ने पिछले दिनों ग्वालियर प्रवास के समय सारी बातों को नजरअंदाज करते हुए साफ किया कि अभी सरकार को एक साल हुआ है और वचन पत्र पूरा होना ही चाहिए, लेकिन यदि जरूरी हुआ तो वे सड़कों पर उतरेंगे।

फिर बढ़ी तकरार…
वहीं एक बार फिर मध्यप्रदेश कांग्रेस की लड़ाई अब सड़कों पर आ गई है। ऐसे में सिंधिया के समर्थक अब हमलावर हो गए हैं। अभी तक केवल इशारों-इशारों में वार करने वाले सिंधिया समर्थक अब सड़कों पर बैनर लगाकर सीएम कमलनाथ पर हमला कर रहे हैं। शिवपुरी में शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने सिंधिया के समर्थन में एक होर्डिंग लगवाई है। जिसके जरिए सीएम कमलनाथ पर हमला किया है।

जानकारों की भी मानें तो फिलहाल यह विवाद थमता नहीं दिख रहा है। शिवपुरी के ह्रदय स्थल माधव चौक पर गुरुवार को एक पोस्टर लगाया गया, जिसमें सिंधिया के समर्थक शहर कांग्रेस अध्यक्ष शैलेंद्र टेडिया ने कमलनाथ को निशाने पर रखते हुए एक बैनर लगवा दिया। उसमें लिखा है कि एक पद, एक सिद्धांत का फॉर्मूला क्यों याद नहीं आ रहा है, मध्यप्रदेश सरकार को?

शहर कांग्रेस अध्यक्ष शैलेंद्र टेडिया ने बैनर में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य की राहुल गांधी के साथ तस्वीर लगाई है। यह तस्वीर उस वक्त की है, जब राहुल गांधी ने सिंधिया को कमलनाथ को सीएम बनाने के लिए मनाया था। कमलनाथ के नाम पर मुहर लगने के बाद राहुल गांधी ने इस तस्वीर को ट्वीट किया था। शैलेंद्र टेडिया ने इस तस्वीर के साथ लिखा है कि मुख्यमंत्री इस छाया चित्र की मर्यादा भूल गए हैं। सिंधिया से जो कहा गया है उस पर फिर से विचार करना चाहिए।

वहीं दूसरी ओर करैरा से कांग्रेस विधायक जसमंत जाटव ने भी गुरुवार को कहा कि मैं सिंधिया के साथ पहले, अब और हमेशा रहूंगा। उन्होंने कहा कि सिंधिया ने गलत नहीं कहा, क्योंकि सरकार ने जो वचन पत्र जारी किया था, उसमें किए गए वादों को समय सीमा में पूरा करना चाहिए।

इस पूरे मामले में सबसे नई खास बात ये सामने आई है कि मध्यप्रदेश सरकार में शामिल सिंधिया गुट के मंत्री तो पहले ही उनके समर्थन में हैं। वहीं अब चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयालक्ष्मी साधौ ने भी कहा है कि यह मामला सीएम कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया जी का है। किसने क्या कहा, उसे आप तोड़ मरोड़कर पेश नहीं कीजिए।
सिंधिया जी ने जो कहा कि उसकी आप वास्तविकता देखिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पुरानी पार्टी है और इसमें लोकतंत्र है। अपनी बात कहने का अधिकार सभी को है। इसमें कोई बुराई नहीं है। सिंधिया के बयान पर कहा कि सभी लोग अपनी-अपनी जगह पर सही हैं।

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