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जितने समर्थन मूल्य की घोषणा हुई, उतना तो हमें मिलता ही नहीं

locationभोपालPublished: Oct 30, 2018 01:35:54 am

Submitted by:

Ram kailash napit

किसान बोले- भावांतर की पहल अच्छी, लेकिन बीमा का पैसा देरी से मिल रहा

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भोपाल. किसानों को 2000 रुपए क्विंटल की दर से गेहूं का पैसा कभी नहीं मिला,जो अब मिल रहा है। हालांकि बीमा का पैसा खाते में आने में महीनों लग जाते हैं। भैया,एक और बात…जितना पैसा समर्थन मूल्य में देने की बातें सरकार करती है, उतना तो हमें मिलता ही नहीं। हमेशा उसके नीचे भाव पर ही फसल बिकती है…! कुछ तरह की चर्चा हो रही थी, करोंद कृषि उपज मंडी की कैंटीन में सोमवार को। यहां किसानों को 5 रुपए में भरपेट खाना मिलता है। पत्रिका टीम ने किसानों से उनकी समस्याएं जानने का प्रयास किया। इस्लाम नगर के भागचंद पाल ने कहा कि देखिए साब… सरकार ने किसानों के लिए बहुत अच्छे काम किए हैं।

 

भावांतर योजना पहली बार हमारे यहां ही शुरू हुई, जिसका किसानों को फायदा मिल रहा है, लेकिन बीमा का पैसा समय पर नहीं मिलता। मुगालिया कोट के हरीसिंह मीणा का कहना है कि एक तरफ सरकार ने बिजली बिल माफ किए, दूसरी तरफ सीजन शुरू होते ही कटौती की जा रही है। समय पर पलेवा नहीं हो पा रहा। खुरवई के कन्हैयालाल शर्मा की फसल का मंडी में प्रति एकड़ 18 क्विंटल के हिसाब से रजिस्ट्रेशन हुआ है। कई किसान ऐसे हैं, जिनके खेतों में प्रति एकड़ 20 से 22 क्विंटल की उपज पैदा हुई है। बाकी फसल खुले बाजार में बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। बरखेड़ा हसन के श्याम लोधी ने कहा कि दो-तीन साल पहले सोयाबीन का भाव 5000 रुपए प्रति क्विंटल तक गया था। अब खाद-बीज की लागत बढ़ गई तब सोयाबीन 3200/3300 रुपए बिक रहा है।

झागरिया के राजेश राय ने बताया कि एक व्यापारी सालभर में एक किसान को फसल का 2 लाख रुपए नकद दे सकता है। चुनाव पर बोले कि टिकट वितरण के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। उम्मीदवार जैसा चुना जाएगा उसके आधार पर ही हार-जीत होगी। अभी गांवों में चुनावी बुखार नहीं चढ़ा।
भावांतर की पर्ची नहीं मिलती
भावांतर भुगतान योजना के लिए किसानों से मंडी गेट पास, नीलामी पर्ची, भावांतर भुगतान पंजीयन की फोटो कॉपी, बैंक पासबुक की फोटो कॉपी अनाज नीलामी के समय मांगी जाती है, लेकिन उन्हें (किसानों को) इसकी रसीद नहीं दी जाती।
40 टन का कांटा, ऐसे में लग रहा समय
मंडी में किसानों का सबसे ज्यादा समय अनाज का कांटा करवाने में लगता है। सलामतपुर के किसान सिंह यादव सुरेश चंद बाबूलाल फर्म पर गेहूं बेचने खड़े थे। बोले- डेढ़ घंटे में गेहूं का कांटा (तुलाई) हो पाई। अब तो यहां 40 की जगह 80 टन का कांटा होना चाहिए। भोपाल ग्रेन एंड ऑयल मर्चेन्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव जैन का कहना है कि हमने बड़ा कांटा लगाने की मांग कई बार मंडी समिति प्रशासन के सामने रखी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

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