कस्तूरबा मार्केट हबीबगंज के दुकानदारों ने भेल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के साथ ही प्रबंधन भेल भोपाल और नगर प्रशासन को पत्र लिखकर कस्तूरबा मार्केट के दुकानदारों से अन्य अधिभार सहित लाइसेंस शुल्क की वसूली की स्थिति को वर्ष 2011, तक हुए समझौते के अनुरूप बनाये रखने की मांग की है। इनका कहना है कि भेल कर्मचारियों के जीवन उपयोगी वस्तुओं की पूर्ति के लिए भोपाल यूनिट स्थित कस्तूरबा मार्केट की स्थापना की गई थी।
स्थापना के समय से ही कोई भी बंधनकारी पॉलिसी का प्रावधान नहीं किया गया। ऐसे में दुकानदार अपने परिवार के भरण पोषण के साथ ही उनके भविष्य को लेकर निश्चिंत थे। प्रावधान के तहत दुकानदार के मृत्यु उपरांत दुकान का लाइसेंस उसके वारिश को हस्तांतरित किया जाता रहा है।
ऐसे में दुकानदारों ने दुकान को ही परिवार के जीवन यापन का साधन मान लिया। दुकान संचालन से जो मुनाफा होता रहा वह परिवार के भरण पोषण तक ही सीमित रहा, जिससे दुकानदार दूसरी जगह अपने व्यापार को स्थापित नहीं कर पाए।
वर्ष 2014 में आई नई शॉप पॉलिसी में वर्षों से दिए गए दुकानदारों के परिवार के भरण पोषण के अधिकार को समाप्त कर दिया, जिससे परिवार के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। दुकानदारों का कहना है कि पूंजी के आभाव में हम इस स्थिति में नहीं हैं कि नई शाप पॉलिसी को स्वीकार कर सकें और 800 गुना किराया भर सकें।
यह हवाला देकर की कार्रवाई रोकने की मांग
दुकानदारों का कहना है कि भोपाल संभाग आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने शासकीय भूमि का अनियमित प्रक्रिया द्वारा अंतरण विषय पर भेल की भूमि का जांच प्रतिवेदन 17 मई 2010 को मुख्य सचिव मप्र शासन को सौंपा था। इस प्रतिवेदन से पता चला कि हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के पक्ष में 27 नबंबर 1957 को भू-अर्जन अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत अवार्ड पारित हुआ था, पर आज तक भूमि के संबंध में अनुबंध नहीं हुआ।
एचईएल को भूमि का कब्जा दिया गया है। राज्य सरकार और मौजूदा बीएचईएल की भूमि के संबंध में अनुबंध नहीं हुआ। ऐसे में भूमि का स्वत्व आज भी मप्र शासन के पास है। एचईएल व बीएचईएल का विलय हुआ। सवाल उठता है कि जब एचईएल के पास स्वत्व ही नहीं है तो भोपाल स्थित भूमि का विलय कैसे हो सकता है। भेल के नगर प्रशासन विभाग ने कस्तूरबा मार्केट के दुकानदारों को नोटिस भेजा है, जिसमें उपयोग शुल्क एवं अन्य भार का भुगतान करने अथवा दुकान खाली कर वापस करने को कहा है। दुकानदारों का कहना है, अनाधिकृत कहना उचित नहीं है।
चिमनलाल आर्या, अध्यक्ष कस्तूरबा भेल व्यापारी समिति