यहां बैठने के लिए लगाई गई कुर्सी और फव्वारा तक गायब हो चुका है। पार्क की साफ-सफाई नहीं होने और देखरेख के अभाव में इसकी स्थित बदतर हो चुकी है। इससे मार्केट के दुकानदारों सहित यहां आने वाले ग्राहक और कस्तूरबा अस्पताल में आने वाले मरीजों के परिजनों को धूप में बैठना पड़ता है। अस्पताल में आने वाले मरीजों के परिजन इस पार्क में खाना-पीना करने के साथ ही कुछ समय के लिए आराम भी करते थे, लेकिन पार्क में घास उग आने से यहां आने वाले मरीजों के परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
दुकानदारों को भी होती है परेशानी
इस पार्क के बदहाल होने से यहां के दुकानदारों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन्हें भी बैठने और आराम करने की जगह नहीं मिल पाती। पार्क के साफ-सुथरा होने पर सर्दी के दिनों में दुकानदार कुछ समय बैठकर धूप सेंकते थे।
नहीं होती पार्क की सफाई
अस्पताल में आने वाले मरीजों के परिजन यहां चाय-पानी के साथ दो पल सुकून से बैठ जाते थे, लेकिन पार्क बदहाल होने से यहां लोगों को बैठने तक की जगह नहीं बची है। हमने आधे पार्क में क्षेत्रीय पार्षद की मदद से टाइल्स लगवा दी है, बाकी में बड़ी-बड़ी घास उग आई है। इसके बाद भी भेल प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है, इससे लोगों को परेशानी हो रही है।
अशोक सक्सेना, संरक्षक कस्तूरबा मार्केट हबीबगंज
पार्क की साफ-सफाई होने के साथ ही यहां पौधे लगाना चाहिए। इससे पार्क की खूबसूरती बढऩे के साथ ही लोगों को छांव मिल सकेगी। इस पार्क को बहुत कम पैसे में सुंदर बनाया जा सकता है।
कौशल हरिनखेड़े, कस्तूरबा अस्पताल में इलाज कराने आए।
पहले इस पार्क में फव्वारा लगा था, जो गायब हो गया। पार्क की साफ-सफाई नहीं होने से यहां गंदगी फैली रहती है। यहां लोगों को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं है। भेल प्रशासन को इसका मेंटेनेंस कराना चाहिए, लेकिन वह इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
राघवेन्द्र गौतम, अध्यक्ष, कस्तूरबा मार्केट