इससे यह स्पष्ट नहीं हो रहा कि केरवा कोठी जंगल की जमीन पर है या राजस्व भूमि पर। अर्जुन सिंह पर आरोप लगे थे कि केरवा बांध के किनारे वनभूमि पर यह कोठी बनाई गई। कलेक्ट्रेट का लिखित जवाब ‘पत्रिका’ के पास मौजूद हैं।
सात साल बाद नामांतरण पर सवाल
केरवा डैम से लगे मेंडोरा के छोटे झाड़ जंगल की यह जमीन तब सुर्खियों में आई, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने 31 अक्टूबर 1983 को ढाई एकड़ जमीन अपने नाम करा ली। इसके 10 दिन के भीतर पत्नी सरोज सिंह के नाम 4.25 एकड़ और बेटे अजय सिंह के नाम 4.12 एकड़ जमीन ले ली।
इसी 11 एकड़ जमीन पर 1987 में देवश्री नाम की केरवा कोठी बनकर तैयार हुई। अर्जुन सिंह की मृत्यु से कुछ दिन पहले फरवरी 2011 में यह कोठी अजय सिंह के नाम करा दी गई। अजय सिंह का दावा है कि जमीन का हस्तांतरण उनके पिता और मां ने स्वेच्छा से किया था।
उसी के आधार पर नामांतरण भी हुआ। मां सरोज सिंह ने सात साल बाद अपने बेटे अजय के पक्ष में हस्तांतरण और नामांतरण पर सवाल उठाए हैं। इसमें कहा गया कि नेता प्रतिपक्ष ने छल से यह जमीन अपने नाम करा ली।
A.. विवाद राजनीतिक कारणों से होते रहे हैं। पहले मेरे पिता पर व्यक्तिगत हमलों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था। अब मेरे खिलाफ हथियार बनाया जा रहा है।
क्त. कहीं कोई गड़बड़ी है क्या?
A. भाजपा की सरकारें इस जमीन और कोठी की तीन बार जांच करा चुकी हैं। पूरी जमीन नापी भी जा चुकी है, पर सरकार को हर बार मुंह की खानी पड़ी।
A. कलेक्टे्रट की रेकॉर्ड शाखा ने जवाब दिया है कि उसके पास 2011 के नामांतरण के रेकॉर्ड नहीं हैं।
A. सरकार ही बताए कि रेकॉर्ड कहां गए। मुझे इसके बारे में नहीं पता है।
Q. आपकी मां ने नामांतरण पर सवाल क्यों उठाए हैं।
A. मैं मां को विवाद के केंद्र में रखकर कोई बात नहीं करना चाहता।
अजय सिंह ने अप्रैल 2008 में केरवा कोठी से लगी करीब ढाई एकड़ जमीन खरीदी। राजस्व रेकॉर्ड में इसे ग्रांड होटल के मालिक ऐजाज गफूर से खरीदना बताया गया है। इसका नामांतरण अगस्त 2008 में नेता प्रतिपक्ष के नाम हुआ।