भोपाल

पांच कछारों से समृद्ध मध्य प्रदेश का नदी तंत्र

जानिए अपना प्रदेश : मध्यप्रदेश में दो सौ से ज्यादा छोटी बड़ी नदियां हैं, प्रदेश को इसलिए नदियों का मायका भी कहा जाता है। नदी के तट की भूमि को कछार कहते हैं, प्रदेश में ऐसे पांच हैं

भोपालNov 24, 2022 / 01:57 am

राजीव जैन

नदी के तट की भूमि को कछार कहते हैं, प्रदेश में ऐसे पांच हैं

भोपाल. नदियों की कल-कल से मध्यप्रदेश जल संपदा में सिरमौर प्रदेशों में शामिल है। नदियों के कछार (नदी- तट की भूमि Alluvium of Madhya Pradesh ) भी विशाल हैं। यहां की नदियों की तट भूमि को पांच नामों से जाना जाता है
1. गंगा यमुना कछार : 202070 वर्ग किमी
वैसे तो ये दोनों नदियां प्रदेश में प्रवाहित नहीं होती हैं मगर सोन, टोंस, चंबल, कुंवारी सिंध, जामनी, धसान, केन आदि नदियों को इस कछार में शामिल किया गया है। इसी कारण यह प्रदेश का सबसे बड़ा कछार क्षेत्र है। इसमें प्रदेश की प्रदेश की 2.02 लाख वर्ग किमी भूमि आती है, जोकि प्रदेश के 30 जिलों में स्थित है।
2. नर्मदा कछार : 85859 वर्ग किमी
यह प्रदेश का दूसरा बड़ा कछार है। इस कछार में 98 हजार 796 वर्ग किमी भूमि शामिल है जिसमें से 85 हजार 859 वर्ग किमी 87 प्रतिशत मध्यप्रदेश में है। महाराष्ट्र में 1538 वर्ग किमी और 11 हजार 399 वर्ग किमी गुजरात में स्थित है। इन विशाल नदी तंत्र में शक्कर, दूधी, तवा, बारना, गोई, कुण्डी, माचक, हाथनी, बाघ, कोलार, जमनेर, हिरण आदि नदियां शामिल हैं।
3. ताप्ती कछार : 9800 वर्ग किमी
बैतूल जिले के मुलताई से ताप्ती नदी का उद्गम हुआ है। इस कछार में प्रदेश की 9 हजार 800 वर्ग किमी भूमि है। ताप्ती नदी पश्चिम की ओर बहकर अरब सागर में समाहित होती है। इस नदी तंत्र में अम्बोरा, पूर्णा, कन्हार और कनेर नदियां शामिल हैं।
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4. माही कछार : 6700 वर्ग किमी
इस नदी तंत्र की सबसेे बड़ी नदी माही है। यह धार जिले से उद्गमित होकर राजस्थान और गुजरात होते हुए अरब सागर में समा जाती है। इसमें कछार क्षेत्र में 6 हजार 700 वर्ग किमी भूमि शामिल है। अनास, जामार, लारकी आदि नदियां इसमें शामिल हैं।
5. गोदावरी कछार : 633 वर्ग किमी
गंगा-यमुना की तरह ही यह नदी भी प्रदेश में नहीं बहती है मगर इसका 633 वर्ग किमी कछार क्षेत्र यहां मौजूद है। पेंच, कान्हेर, वर्धा, बैनगंगा आदि नदियां गोदावरी कछार बनाती हैं।

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