scriptलोकसभा चुनाव के दौरान एमपी में कांग्रेस के ये तीनों दिग्गज रहे एक-दूसरे से दूर, कहीं यहीं तो नहीं बनी हार की वजह? | know behind the reason why congress looses madhya pradesh in election | Patrika News

लोकसभा चुनाव के दौरान एमपी में कांग्रेस के ये तीनों दिग्गज रहे एक-दूसरे से दूर, कहीं यहीं तो नहीं बनी हार की वजह?

locationभोपालPublished: May 23, 2019 04:03:37 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पर मध्यप्रदेश में क्या भारी पड़ा?

congress
भोपाल. रुझानों से यह स्पष्ट हो गया है कि एक बार मोदी को प्रचंड बहुमत मिली है। विधानसभा चुनावों में मध्यप्रदेश में शानदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनावों में यहां साफ हो गई है। छिंदवाड़ा सीट को छोड़ किसी भी सीट पर कांग्रेस आगे नहीं चल रही है।
लेकिन विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस इस बार पिछड़ कैसे गई है। आखिरी कांग्रेस से कहां चूक हुई है कि प्रदेश के तमाम दिग्गज नेता चुनाव हार रहे हैं। भोपाल से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह करीब एक लाख वोटों से साध्वी प्रज्ञा से पीछे चल रहे हैं। वहीं, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया भी एक लाख वोटों से पीछे चल रहे हैं।

ये सभी वहीं नेता हैं जिनके बदौलत पंद्रह साल बाद एमपी की सत्ता पर कांग्रेस काबिज हुई है। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विधानसभा चुनावों के दौरान साथ मिलकर मेहनत की थी। सीएम पद की रेस में सबसे आगे ज्योतिरादित्य थे लेकिन बाद में कमलनाथ को सीएम बना दिया गया।
उसके बाद से ही कांग्रेस के दिग्गजों के बीच में मनमुटाव शुरू हो गया। कहा जाता है कि उस वक्त सिंधिया डिप्टी सीएम की कुर्सी ऑफर किया गया था लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया। बाद में कांग्रेस नेतृत्व ने इन विवादों को सुलझाने के लिए प्रदेश की राजनीति से दूर सिंधिया को पश्चिमी यूपी का कमान सौंप दिया। जानकारों का कहना है कि यहीं कांग्रेस से सबसे बड़ी चूक हुई है।
लोकसभा चुनावों के दौरान मध्यप्रदेश कांग्रेस के तीनों दिग्गज नेता कभी एक साथ मंच पर नहीं आए। न गुना में कमलनाथ और सिंधिया नजर आए और न ही भोपाल में दिग्विजय के लिए कोई बड़ा नेता प्रचार करते नजर आया। कमलनाथ प्रदेश के बड़े नेता के रूप में अकेले ही प्रदेश भर में घूम-घूम कर चुनाव प्रचार करते नजर आए। लेकिन सिंधिया और दिग्विजय का ज्यादातर वक्त अपने क्षेत्र में ही गुजारे।
कहा जा रहा है कि एमपी में सिंधिया की लोकप्रियता युवाओं के बीच में काफी थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें प्रदेश से किनारा कर बड़ी चूक की है। उससे युवाओं के बीच में गलत संदेश गया। जबकि एमपी को जीतने के लिए राहुल गांधी ने पूरा जोर लगाया है। उन्होंने पूरे प्रदेश में सोलह रैलियां की। लेकिन प्रदेश नेताओं की गुटबाजी उनपर भारी पड़ गई।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो