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समय पर पता चल जाए और सही उपचार मिले तो जीती जा सकती है कैंसर से जंग

locationभोपालPublished: Feb 01, 2019 09:39:22 pm

Submitted by:

Rohit verma

विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर की बीमारी से लड़ रहे मरीजों ने बताई जीत की कहानी

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समय पर पता चल जाए और सही उपचार मिले तो जीती जा सकती है कैंसर से जंग

भेपाल/ मंडीदीप/संत हिरदाराम नगर. कैंसर, बेशक जानलेवा बीमारी है पर ऐसा भी नहीं कि इससे निजात नहीं पाई जा सकती। समय पर पता चल जाए तो इस गंभीर बीमारी का इलाज संभव है। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने हिम्मत की और कैंसर से जंग जीती। उसी में से एक संत हिरदाराम नगर की छात्रा भी है।

दीक्षा होतचंदानी की उम्र 23 वर्ष है इन्हें 2 वर्ष पूर्व ब्लड कैंसर होने का पता चला। इलाज के दौरान ठीक भी हो गया। 6 माह बाद बुखार आने पर इलाज के दौरान पता चला कि दीक्षा की बीमारी फिर से उभर आई है। डॉक्टरों द्वारा कीमो थेरेपी कारगर नहीं होने पर सीएनसी वेलोरे चेन्नई में जांच कराई गई जहां पता चला की बोर्नमेरो ट्रांसप्लांट के बाद इसे ठीक किया जा सकता है।

मन में है शिक्षिका बनने की तमन्ना
दीक्षा संत हिरदाराम गल्र्स कॉलेज में फाईनल इयर की छात्रा है। उसके मन में बचपन से शिक्षिका बनने की चाह बनी हुई है। वह हमेशा कहती है कि उसे बड़े होकर शिक्षिका बनना है, ताकि वह बच्चों को शिक्षित कर देश के लिए सेवा करने के लिए प्रेरित कर सके।

नहीं हारी हिम्मत
दीक्षा के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही है। दीक्षा के पिता का 3 वर्ष पूर्व स्वर्गवास हो गया था। इनके दोनों भाई प्राइवेट नौकरी करते हंै। इसके बाद भी इन्होंने बहन को सीएनसी वेलोर चेन्नई में एडमिट कराया। वहां पर डॉक्टरों ने कीमो थेरेपी का कोटेशन दिया। कीमो थेरेपी के पश्चात बोर्न मेरो ट्रांसप्लांट का आपरेशन हो पाएगा। यह दोनों भाई अपनी बहन के लिए बोर्न मेरो देने को तैयार हैं, जिसके लिए संस्थाओं ने भी मदद की है। हालांकि दीक्षा की जनवरी में कीमो थेरेपी सफल हो गई है, अब फरवरी में दूसरे पड़ाव में उनका ऑपरेशन किया जाएगा।

 

नियामित योग एवं आयुर्वेदिक उपचार से मिला नया जीवन
मेरी आहार नली में कैंसर था, डॉक्टरों की सलाह पर कीमो थेरेपी भी कराई, लेकिन बाद में डॉक्टर ने बीमारी लाईलाज बताकर उपचार करने से मना कर दिया। फिर भी मैने हिम्मत नहीं हारी। यह कहना है मंडीदीप निवासी कैंसर पीडि़त 55 वर्षीय जगदीश वर्मा का। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों द्वारा उपचार से मना करने के बाद मैने देशी उपचार कराने का मना बनाया। वर्ष 2017 में मेरी मुलाकात पंतजली आर्युवेद केन्द्र के संचालक एवं योग प्रशिक्षक रमेश शर्मा से हुई। शर्मा को मैने बीमारी के साथ ही डॉक्टरों द्वारा इसका इलाज नहीं किए जाने की बात बताई।
शर्मा ने भरोसा दिलाया कि नियामित योग एवं आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से यह बीमारी ठीक हो सकती है। मैने शर्मा की सलाह पर नियमित योग शुरू करने के साथ ही उनके द्वारा दी गई दवाईयों का सेवन शुरू कर दिया। आज मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ हूं और अपना काम संभाल रहा हूं। वर्मा ने अपने संदेश में कहा कि आप ये मत सोचो की बीमारी कितनी बड़ी है, आप सही दिशा में उपचार के साथ ही मानसिक रूप से खुद पर विश्वास रखो की तुम ठीक हो जाओगे। आखिर में जीत आपकी होगी।
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