मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहीं उमा भारती अरुण जेटली पर सवाल उठाई थीं। दरअसल, 2004 में अटल जी की सरकार जाने के बाद लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के अध्यक्ष थे। उमा भारती भी उस टीम की सदस्य थीं। इसी दौरान उमा भारती ने अरुण जेटली पर सनसनीखेज आरोप लगाया। उमा भारती ने उस वक्त कहा था कि जेटली ‘ऑफ रिकॉर्ड ब्रीफ्रिंग’ कर सबकी कमियों की स्टोरी मीडिया में छपवाते हैं। इसके बाद ही लालकृष्ण आडवाणी द्वारा मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की गई। इसका भी उमा ने विरोध किया।
पार्टी से होना पड़ा था बाहर
उमा भारती के बदले सुर बीजेपी में खलबली मच गई। तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने इसे अनुशासनहीनता का मामला मानते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि 2005 में उनकी बर्खास्तगी हट गई और संसदीय बोर्ड में जगह मिल गई। उमा भारती भी अलग होकर अपनी अलग पार्टी बना लीं। हालांकि 2011 में वह फिर से बीजेपी में वापस लौट गईं।
हालांकि इन आरोपों के बावजूद अरुण जेटली के दिल में उमा के लिए कोई नफरत नहीं था। जेटली का यह एक अच्छे इंसान का मानवीय गुण था कि 2008 में उमा के बीमार पड़ने पर उनकी पूरी देखभाल का खर्चा उन्होंने खुद उठाया। उनके निधन पर उमा भारती ने ट्वीट किया कि अरुण जेटली जी का निधन मेरी निजी क्षति है, क्योंकि मेरे बड़े भाई अब मुझे छोड़कर चले गए। मैं इस गहरे दुख की घड़ी में उनके परिवार के साथ हूं।