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जय श्रीराम के नाम पर बना ‘माहौल’, फिर ‘चुपेचाप कमल छाप’ के जरिए मिशन बंगाल को MP के ‘टाइगर’ ने दिया अंजाम

locationभोपालPublished: May 24, 2019 03:24:53 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

कैलाश विजयवर्गीय ने यूं जीता पश्चिम बंगाल

kailash
भोपाल. मध्यप्रदेश की राजनीति में अभी तक शिवराज सिंह ही खुद को टाइगर बताते थे। लेकिन लोकसभा चुनावों में बीजेपी को पश्चिम बंगाल में मिली सफलता के बाद कार्यकर्ताओं ने एक और नेता को टाइगर की उपाधि दी है। वह नेता कोई और नहीं पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय हैं। जिन्होंने ममता बनर्जी के किले को भेदा है।
आइए आपको बताते हैं कि कैसे विजयवर्गीय ने शेर बनकर ममता की ‘मांद’ में घुसकर उनका शिकार किया है। दो सीटों वाली बीजेपी को पश्चिम बंगाल में उन्होंने अपनी मेहनत से सीधे 18 सीटों पर पहुंचा दिया है। विजयवर्गीय का साथ देने के लिए वहां उनके साथ शह प्रभारी मुरलीधर राव भी थे। प्रदेश की राजनीति से महीनों तक दूर रह विजयवर्गीय ने मिशन बंगाल को अंजाम दिया।
कैलाश विजयवर्गीय अमित शाह और मोदी के सबसे भरोसेमंद सिपाहियों में से एक हैं। लोकसभा चुनावों से पहले शाह ने कैलाश को बंगाल में सेंधमारी की जिम्मेवारी सौंपी। बीजेपी धीरे-धीरे वहां जनाधार बढ़ा रही थी। निकाय चुनावों के दौरान बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन भी की थी। लेकिन माहौल पार्टी के लिए वहां नहीं था। कैलाश और अमित शाह ने हिंदुत्व के जरिए बंगाल में घुसपैठ के लिए रणनीति बनाई।
https://twitter.com/BJP4Bengal?ref_src=twsrc%5Etfw
 

जय श्रीराम से बनाया माहौल

पश्चिम बंगाल में बीजेपी की रैलियों में जय श्रीराम का नारा खूब गूंजता था। इस नारे के पीछे बीजेपी की सोची-समझी चाल थी, जिसे टीएमसी ने समझने में देर कर दी। इसी नारे के जरिए बीजेपी पश्चिम बंगाल में माहौल बनाने में कामयाब हो गई है। कैलाश विजवर्गीय की पहली उपलब्धि यही थी। टीएमसी के नेता और सीएम ममता बनर्जी लगातार वहां कहती रहीं कि बीजेपी वोटों का ध्रुवीकरण कर रही है। साथ ही हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लोगों को लड़वा रही है। ममता बौखलाकर बीजेपी पर जितना धर्म के नाम पर हमला करतीं , बीजेपी उसे अपनी उपलब्धि मानने लगी।
हिंदुत्व का एजेंडा
फिर पार्टी ने सटीक रणऩीति के जरिए ममता की पार्टी में सेंधमारी शुरू की। पार्टी के कई बड़े दिग्गज नेताओं को बीजेपी में शामिल करवाई। जिसमें कई सीटिंग एमएलए भी थे। साथ ही ममता के कद्दावर नेता रहे मुकुल राय को भी बीजेपी पार्टी में ले आई। चुनाव की तारीखों के ऐलान तक बीजेपी नेताओं ने विभिन्न शहरों में हिंदू पर्व त्योहार पर जुलूस निकालने शुरू कर दिए। बंगाल में ये सारी चीजें पहली बार हो रही थीं। बीजेपी वहां की लड़ाई पूरी तरह से धर्म के नाम पर ही लड़ रही थी। कैलाश विजयवर्गीय भी हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी के फायर ब्रांड नेता रहे हैं। उनकी यह छवि भी वहां काम आई।
‘चुपेचाप कमल छाप’ का नारा
हिंदुत्व का एजेंडा वहां काम कर गया था। विजयवर्गीय बंगाल को जीतने के लिए दिन-रात एक किए हुए थे। जय श्रीराम के बाद एक और नारा दिया गया ‘चुपेचाप कमल छाप’। इस नारे का मकसद यह था कि टीएमसी के द्वारा जगह-जगह पर हिंसा की जा रही थी। बीजेपी की रैलियों में शामिल होने वाले लोगों पर हमला किया जा रहा था। ऐसे में पार्टी यह संदेश देना चाहती थी कि आप शोर-शराबा नहीं कीजिए वोटिंग के दिन चुपचाप कमल का बटन दबा दीजिए।
ममता ने भी किया था इस नारे का इस्तेमाल
पश्चिम बंगाल में ‘चुपेचाप कमल छाप’ नारे का इस्तेमाल पहले टीएमसी भी कर चुका है। टीएमएसी ने 34 साल का वामपंथी शासन खत्म करने के लिए यह नारा इस्तेमाल किया था। उनका नारा था ‘चुपेचाप फुले छाप’। इस नारे में थोड़ा बदलाव कर बीजेपी ने टीएमसी को तगड़ा झटका दिया है।
वीडियो हुआ वायरल
पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान हर चरण में हिंसा हुई। इस दौरान सोशल मीडिया पर सीएम ममता बनर्जी का एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में ममता जय श्रीराम बोल रहे लोगों को गाड़ी से उतरकर डांट रही हैं। इस वीडियो को बीजेपी ने नया हथियार बनाया। वो भी तब राज्य में दो चरणों के चुनाव बचे हुए थे। कैलाश विजयवर्गीय समेत बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए आने वाले तमाम नेता यही कहते थे कि जय श्रीराम का नारा बंगाल में नहीं तो कहां लगाए।
कैलाश के तेवर रहे आक्रामक
बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के तेवर तो ममता बनर्जी के प्रति हमेशा सख्त ही रहा है। उन्होंने बंगाल में कहा था कि यहां लोकतंत्र नहीं है और ना ही वहां कोई संविधान बचा है। विजयवर्गीय ने यह भी कहा था कि कहावत है ना, खाता ना बही, ममता कहें वहीं सहीं। यहा लोकतंत्र को अराजकता में बदल दिया गया।
मैं खेल रहा था
पश्चिम बंगाल में मिली प्रचंड जीत के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दीदी वहां लड़ाई कर रहीं थी और मैं खेल रहा था। मैं वहां खिलाड़ी के भावना से खेला और वो लड़ाई करती रहीं। चुनाव को हमेशा खेल के भावना से ही खेलना चाहिए। इसलिए हमें वहां सफलता मिली है। जनता को हिंसा और दबाव की राजनीति पसंद नहीं है।
मिल सकती है बड़ी जिम्मेवारी
बंगाल में बीजेपी को प्रचंड जीत दिलाने वाले कैलाश विजयवर्गीय के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उन्हें इस सफलता के लिए कोई इनाम देगी। या तो सरकार में नहीं तो फिर संगठन में भी कोई ऊंचा ओहदा उन्हें मिल सकता है। लेकिन एमपी के इस टाइगर ने बंगाल में दीदी के किले में सेंधमारी पर बीजेपी में अपना कद बढ़ा लिया है।

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