दिल्ली तक संदेश
शिवराज ने संदेश दिया है कि वे हर निर्णय समन्वय व सामूहिकता से करते हैं। कैबिनेट सब-कमेटियों से पहले ही विभिन्न योजनाओं के सुधार का खाका तैयार कर लिया था। प्रेजेंटेशन, सुझाव व मंथन के बाद कैबिनेट की मुहर के साथ ऐलान किया। यह भी संदेश दिया कि वे समन्वय में अब भी उनकी कोई जोड़ नहीं है।
शिवराज ने संदेश दिया है कि वे हर निर्णय समन्वय व सामूहिकता से करते हैं। कैबिनेट सब-कमेटियों से पहले ही विभिन्न योजनाओं के सुधार का खाका तैयार कर लिया था। प्रेजेंटेशन, सुझाव व मंथन के बाद कैबिनेट की मुहर के साथ ऐलान किया। यह भी संदेश दिया कि वे समन्वय में अब भी उनकी कोई जोड़ नहीं है।
प्रदेश में यह लाइन
सीएम ने मैराथन बैठक से साफ कर दिया कि प्रदेश में उनकी ही चलनी है। बार-बार उनके हटने की अफवाहों को लगाम लगाकर संदेश दिया कि उनके हाथ ही सत्ता के सूत्र रहेंगे। निगम-मंडल में, संगठन में भी और नियुक्तियां होनी हैं। मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें हैं। ऐसे में सीएम ने साफ कर दिया कि उनकी लाइन पर ही सभी को चलना होगा।
सीएम ने मैराथन बैठक से साफ कर दिया कि प्रदेश में उनकी ही चलनी है। बार-बार उनके हटने की अफवाहों को लगाम लगाकर संदेश दिया कि उनके हाथ ही सत्ता के सूत्र रहेंगे। निगम-मंडल में, संगठन में भी और नियुक्तियां होनी हैं। मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें हैं। ऐसे में सीएम ने साफ कर दिया कि उनकी लाइन पर ही सभी को चलना होगा।
मैसेजिंग की जरूरत
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद सियासी असर मप्र में दिख रहे हैं। दो साल में बार-बार शिवराज के खिलाफ पार्टी में कई अटकलें चलीं। कुर्सी पर भी खतरा बताया गया, इसलिए शीर्ष नेतृत्व से लाइन मिलने के बाद सीएम ने दो साल पूरे होने पर अफसरों को साफ कहा कि सरकार हमारे हिसाब से ही चलेगी। फिर कैबिनेट मंथन रख लिया।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद सियासी असर मप्र में दिख रहे हैं। दो साल में बार-बार शिवराज के खिलाफ पार्टी में कई अटकलें चलीं। कुर्सी पर भी खतरा बताया गया, इसलिए शीर्ष नेतृत्व से लाइन मिलने के बाद सीएम ने दो साल पूरे होने पर अफसरों को साफ कहा कि सरकार हमारे हिसाब से ही चलेगी। फिर कैबिनेट मंथन रख लिया।
अब आगे ये चुनौतियां
शिवराज के सामने दो साल चुनौतियों से भरे हैं। पार्टी के विरोध को संभालने के साथ ही सियासी पारी को बढ़ाना होगा। इस साल नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव भी होने हैं। उनमें परफॉर्मेंस बेहतर रखनी होगी। सर्विस डिलीवरी सिस्टम में सुधार चुनौती है। यूपी मॉडल के जो नुस्खे प्रदेश में अपनाए जा रहे हैं।
शिवराज के सामने दो साल चुनौतियों से भरे हैं। पार्टी के विरोध को संभालने के साथ ही सियासी पारी को बढ़ाना होगा। इस साल नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव भी होने हैं। उनमें परफॉर्मेंस बेहतर रखनी होगी। सर्विस डिलीवरी सिस्टम में सुधार चुनौती है। यूपी मॉडल के जो नुस्खे प्रदेश में अपनाए जा रहे हैं।