ज्योतिषीय सलाह के अनुसार, बहुत से लोग अपने हाथों में रत्नों की एक अंगूठी या गले में एक चेन में कंगन या गहने पहनते हैं, जो उनके भाग्य को समृद्ध कर सकता है और उन्हें शुभ फल दे सकता है।
वास्तु के अनुसार
वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कछुए को भगवान विष्णु का कच्छप अवतार माना जाता है। यह अवतार भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय लिया था और इस अंगूठी को पहनने से हमारे आत्मविश्वास की बढ़ोत्तरी होती है, साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है. और इस रिंग को पहनने के भी कही तरीके होते है।
कछुआ रिंग पहनने के लाभ
‘कछुए की अंगूठी’ पहनने के कई नियम हैं और इसे हर कोई नहीं पहन सकता। इसे किसी ज्योतिषी की सलाह पर ही धारण करना चाहिए। ज्योतिषी सलाह देते हैं कि सिंह और तुला राशि के लोगों को अपनी कुंडली दिखाने के बाद ही ‘कछुए की अंगूठी’ पहननी चाहिए।
– ‘कछुए की अंगूठी’ पहनते समय सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि कछुए का मुंह आपकी ओर होना चाहिए। इससे धन आपकी ओर आकर्षित होगा और परिवार में धन-धान्य का आगमन होगा।
-यदि कछुए का मुख आपके मुख की विपरीत दिशा में हो तो आपको आर्थिक नुकसान हो सकता है क्योंकि धन आने के बजाय आप से दूर चला जाएगा।
– कछुआ अंगूठी को दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में ही पहनें।
कब खरीदें कछुआ रिंग
इस रिंग को आप कभी भी नहीं खरीद सकते है इसके लिए सिर्फ शुक्रवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता है. और फिर इसे खरीदने के बाद घर में माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने रख कर फिर उसके बाद इसे दूध-जल या गंगा जल के मिश्रण में धोकर पवित्र करें फिर अब 108 बार माता लक्ष्मी के मंत्र का जाप करें और फिर अगरबत्ती दिखाकर इस कछुआ रिंग धारण करें।