गुना के शिकारियों के पास मांस के साथ काले हिरणों का 5 सिर भी बरामद हुए हैं। उनके अन्य अंग भी जब्त किए गए हैं. एक और तथ्य यह भी है कि शिकारियों ने केवल नर हिरणों को मारा था। खास बात यह है कि पूरे झुंड में नर हिरण सिर्फ एक होता है, यानी शिकारियों ने पूरी प्लानिंग के साथ इनका शिकार किया। वन्य और पुलिस अधि्कारियों को आशंका है शिकारियों के तार अंतरराष्ट्रीय तस्करों से जुड़े हो सकते हैं।
इस शंका की अहम वजह भी है. दरअसल काले हिरण के सभी अंगों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक मांग है। काले हिरण के मांस के अलावा खाल, सींग, सिर आदि सभी अंग खासी कीमत पर बेचे जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय गिरोह इन शिकारियों से हिरण के सभी अंगों को खरीदकर ले जाते हैं। काले हिरण की सींग और सिर के तो लाखों रुपए मिलते हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमत 5 से 10 लाख रुपये तक बताई जाती है।
काले हिरण के सींग वाले सिर को घरों में सजाकर रखने को स्टेटस सिंबल माना जाता रहा है. यही कारण है कि हिरण के सींग लगे सिर के लिए लोग लाखों रुपए देने के लिए तैयार रहते हैं और ये अवैध रूप से ही खरीदा जाता है। भारत के रईसों के अलावा विदेश में इनकी मांग अधिक है। इसके अलावा काले हिरण के अन्य कई अंगों का दवाओं के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसलिए काले हिरण के दांत और नाखून समेत शरीर के अन्य अंगों की भी जमकर तस्करी की जाती है।
काले हिरण को वन्य प्राणी संरक्षण नियम 1972 के तहत अनुसूची-1 में रखा गया है।
इसी बात से काले हिरण की अहमियत आंकी जा सकती है. गौरतलब है कि इस अनुसूची में बाघ, शेर जैसे वन्य प्राणी शामिल हैं। इस अनुसूची में घड़ियाल, डाल्फिन समेत अन्य महत्वपूर्ण वन्य जीव भी रखे गए हैं.
इसी बात से काले हिरण की अहमियत आंकी जा सकती है. गौरतलब है कि इस अनुसूची में बाघ, शेर जैसे वन्य प्राणी शामिल हैं। इस अनुसूची में घड़ियाल, डाल्फिन समेत अन्य महत्वपूर्ण वन्य जीव भी रखे गए हैं.
वन अधिकारियों और वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार काले हिरण जंगल या पहाड़ी इलाके में ज्यादा नहीं रहते. पहाड़ी क्षेत्रों की बजाए समतल और घास वाले क्षेत्र इन्हें ज्यादा रास आते हैं, यही कारण है कि ये लोगों के लिए सबसे आसान शिकार भी माने जाते हैं। गुना के साथ अशोकनगर में भी ये हिरण बहुतायत में हैं. बताते हैं कि इन दोनों जिलों में काले हिरणों की संख्या करीब 10 हजार है।