यीशु के जन्म की खुशियां मनाने के लिए क्रिसमस
जानकारी के अनुसार ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशियां मनाने के लिए क्रिसमस मनाया जाता है, क्रिश्चन समाजजन इसे बड़े पर्व के रूप में कई दिनों तक मनाते हैं, इस दौरान चर्च में भी कई दिनों तक विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं। इस प्रकार ईसा मसीह के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जानी वाले खुशियों के दिन को क्रिसमस नाम दिया गया, इस दिन क्रिश्चन समाजजन चर्च में ईसा मसीह की आराधना कर उनके बताए मार्ग पर चलने की प्रार्थना करते हुए एक दूसरे को क्रिसमस की बधाईयां देते हैं।
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सांता क्लॉज का भी बड़ा क्रेज
जानकारी के अनुसार यीशु मसीह के जन्म की कोई वास्तविक जन्म तिथि ज्ञात नहीं हैं। लेकिन क्रिश्चन समाज 25 दिसंबर को ही ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाता है, वर्तमान दौर में इसदिन को क्रिसमस का नाम दे दिया गया है। इस दिन एक दूसरे को उपहार देने के साथ ही आकर्षक साज सज्जा कर ईसा मसीह की आराधना की जाती है। देशभर के चर्चों में इस दिन सुबह से ही लोग एकत्रित होकर पहले आराधना करते हैं, इसके बाद एक दूसरे को क्रिसमस की बधाई देते हैं। इसदिन बच्चे भी आकर्षक वेषभूषा में नजर आते हैं, विभिन्न प्रकार की झांकियां बनाई जाती है, आजकल सांता क्लॉज का भी बड़ा क्रेज हो गया है।
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इसलिए कहा जाता है बड़ा दिन
कई किताबों में इस बात का जिक्र है कि 25 दिसंबर को रोम के लोग रोमन उत्सव के रूप में सेलिब्रेट करते थे। इस दिन लोग एक दूसरे को काफी उपहार देते थे। एक दूसरे के साथ खुशियां बांटते थे। इसलिए धीरे-धीरे ये उत्सव काफी बड़ा हो गया और इसकी भव्यता को देखते हुए इस दिन को लोग ‘बड़ा दिन‘ कहने लगे, तभी से इसे क्रिसमस या बड़ा दिन कहा जाता है।