वह अपने चार करोड़ के काम का भुगतान मांग रही है तो निगम आश्वासन दे रहा है। कंपनी ने काम धीमा किया तो रहवासी चिंतित हो गए। कंपनी के स्थानीय प्रभारी अंकित निगम का कहना है कि हमारे चार करोड़ के बिल लगे हैं। बचा हुआ काम पूरा करने 18 करोड़ रुपए की जरूरत है।
पुराने में ही विवाद तो नया काम कैसे पूरा होगा
कोलार को जलापूर्ति वाली योजना का शुरुआती बजट 52 करोड़ रुपए रखा गया था। बाद में अतिरिक्त काम जुडऩे की वजह से 18 करोड़ रुपए का काम और बढ़कर ये 70 करोड़ रुपए हो गया। अब पुराने काम में ही कंपनी चार करोड़ रुपए की मांग कर काम धीमा कर चुकी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि 18 करोड़ रुपए के अतिरिक्त काम को कैसे पूरा किया जाएगा।
पानी साफ करने में करनी पड़ रही बड़ी मशक्कत
केरवा डेम में पानी कम हो रहा है। कोलार क्षेत्र को जलापूर्ति के लिए रोजाना पांच एमजीडी पानी निकाला जा रहा है। पानी डैम के तल में होने से साथ में मिट्टी भी आ रही है, जिसे साफ करने के लिए ठेका कंपनी तापी को अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। पानी को साफ करने के लिए पहले फिल्टर प्लांट में जो पाउडर 50 किलोग्राम डाला जाता था, अब वह 70 किलोग्राम से अधिक डालना पड़ रहा है।
158 किमी लंबी डिस्ट्रीब्यूशन लाइन बिछाना तय था शुरुआत में
225 किमी लंबी डिस्ट्रीब्यूशन लाइन की गई टेंडर रिवाइज करके
170 किमी लाइन बिछाई जा चुकी है
22 क्षेत्रों में नहीं पहुंचा पानी
04 करोड़ पेंडिंग बिल का भुगतान नहीं, कंपनी ने धीमा किया काम
52 करोड़ रुपए की है योजना
18 करोड़ रुपए का काम बाद में अतिरिक्त जोड़ा गया
यहां भी दिक्कत कम नहीं: करोंद की रतन कॉलोनी के रहवासियों को बीते 12 दिन से नल में गंदा पानी मिल रहा है। गली नंबर तीन में नाली निर्माण के लिए ठेकेदार ने नर्मदा लाइन तोड़ दी थी। लाइन को दुरुस्त करने का जिम्मा जलकार्य विभाग ने ठेकेदार पर डाल दिया। ठेकेदार ने लाइन पूरी तरह बंद नहीं की, जिससे जलापूर्ति शुरू की तो इसमें सीवेज का पानी रिसकर जाने लगा। नर्मदा पाइप लाइन में गंदे पानी से लोग परेशान है।