सिर के नीचे न रखें पानी कभी भी रात को सोने से पहले पानी को सिरहाने पर न रखें। कहा जाता है कि सिर के नीचे पानी रखने पर चंद्रमा पीड़ित होता है। चंद्रमा पीड़ित होने पर व्यक्ति में नकारात्मकता बढ़ती है। इससे व्यक्ति को मनोरोग जैसी समस्याएं भी उत्पन्न होती है। इसलिए कभी भी रात को सोने से पहले अपने बैड के नीचे किसी भी बर्तन में पानी भरकर न रखें।
तकिए के नीचे न रखें पर्स
सिरहाने पर न रखें जूते चप्पल
न रखें तेल
ऐसी मान्यता है कि कभी भी रात को सोते समय सिरहाने के पास तेल रखने से मनुष्य का जीवन कठीनाईयों से भर जाता है और उसे कभी शांति नहीं नसीब होती है।
न रखें नमक
सोते समय सिरहाने के पास नमक रखने की गलती कभी नहीं करनी चाहिए क्योंकि बिस्तर और सिरहाने पर नमक रखकर सोने से रखने से रिश्तों में लड़ाई झगड़े बढ़ते हैं।
कभी न रखें झाड़ू
वास्तु के अनुसार सोते समय सिरहाने के पास कभी भी झाड़ू नहीं रखनी चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश आसान हो जाता है। साथ ही इससे धन और जन की हानि का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, इससे किस्मत भी इंसान से रुठ जाती है।
आटे की चक्की के पास न सोएं
कभी भी आटे की चक्की के पास नहीं सोना चाहिए। आटे की चक्की के पास सोने से मौत के सपने आते हैं। कहा जाता है कि चक्की गोल-गोल धूमती है जिसके कारण ये व्यक्ति के दिमाग में नकारात्मकाता को लाती है और सपने में मौत के दृश्य दिखाई देते हैं।
न रखें खाली लोटा
हम सभी ये बात अच्छी तरह से जानते है कि तांबे के बर्तन का पानी पीने से हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। इसका सेवन करने से आपको कई गंभीर बीमारियों से निजात मिल जाता है। तांबे के बर्तन में पानी रखने की शुरुआत अभी से नहीं प्राचीन काल से चली आ रही है। लेकिन आप जानते है कि अगर इस लोटे को बैड के नीचे खाली रख दे तो रात में अजीब से सपने आते है। इसलिए कभी भी तांबे के लोटे को बैड के नीचे खाली न रखें।
क्या भूत-प्रेत सच में होते हैं (kya bhoot pret sach me hote hai) –
भूत-प्रेत के नाम से एक अनजाना भय लोगों के मन को सताता है। इसके किस्से भी सुनने को मिल जाते है और लोग बहुत रुचि व विस्मय के साथ इन्हें सुनते है और इन पर बनें सीरियल, फिल्मे देखते है व कहानियां पढ़ते हैं। भूत-प्रेत का काल्पनिक मनः चित्रण भी लोगों को भयभीत करता है-रात्रि के बारह बजे के बाद, अंधेरे में, रात्रि के सुनसान में भूत-प्रेत के होने के भय से लोग डरते हैं।
परंपरागत तौर पर यही माना जाता है कि भूत उन मृतको की आत्माएं हैं, जिनकी किसी दुर्घटना, हिंसा, आत्महत्या या किसी अन्य तरह के आघात आकस्मिक मृत्यु हुई है। मृत्यु हो जाने के कारण इनका अपने स्थुल शरीर से कोई संबंध नहीं होता। इस कारण ये भूत-प्रेत देखे नहीं जा सकते। चूँकि हमारी पहचान हमारे शरीर से होती हैं और जब शरीर ही नहीं है तो मृतक आत्मा को देख पाना और पहचान पाना मुश्किल होता हैं। भूत-प्रेतों को ऐसी नकारात्मक सत्ताएं माना गया है, जो कुछ कारणों से पृथ्वी और दूसरे लोक बीच फंसी रहती हैं। इन्हे बेचैन व चंचल माना गाया है, जो अपनी अप्रत्याशित मौत के कारण अतृप्त हैं। ये मृतक आत्माएं कई बार छाया, भूतादि के रूप में स्थानों के पीछे लग जाती हैं, जिनसे जीवितावस्था में इनका संबन्ध या मोह था।