A. किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि ऐसे परिणाम आएंगे। मैं अकेले मध्यप्रदेश की बात नहीं कर रहा हूं। मैं पूरे देश की बात कर रहा हूं, परिणाम चौंकाने वाले हैं। यह हमें एक बार सोचना होगा कि आखिर ऐसी नौबत कैसे आ गई।
A. भिंड में हमें नुकसान के पीछे प्रत्याशी का नया होना था। पूरा चुनाव मोदी सुनामी में निपट गया। ग्वालियर-चंबल क्या, हम पूरे प्रदेश और देश में निपट गए। हमें एक बार फिर से खुद की रणनीति के बारे में सोचना होगा।
A. साजिश के तहत पुलवामा को चुनावी मुद्दा बनाकर फायदा उठाया गया। उन्होंने चुनाव को विकास से हटाकर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की ओर मोड़ दिया। यह हमें सोचना होगा कि आखिर हम ऐसी साजिश को कैसे बेअसर करें। कैसे भाजपा के झूठ को बेनकाब करें।
A. देखिए, हमें समय कम मिला। 70 दिन मिले थे, इलाकों में स्वागत कराने में और काम करने में ही खर्च हो गए। हमने ज्यादा से ज्यादा काम करने और ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन हम अपनी बात जमीन तक पहुंचा नहीं पाए और उन्हें समझा नहीं पाए।
A.मतदान के बाद हमारा आंकड़ा था कि हम 12 से 15 सीटें जिताने में कामयाब होंगे। परिणाम हमें हताश और निराश करने वाले हैं। दो दिन में जो आकलन किया, वह समझ में आया कि पूरे चुनाव में राष्ट्रवाद और हिंदुत्ववाद हावी रहा और इसे नरेंद्र मोदी भुनाने में कामयाब रहे।
A. ये पार्टी हाईकमान को तय करना है कि किसके पास पद रखना है और किससे पद लेना है। अगर वह (कमलनाथ) पद छोड़ते हैं तो फिर किसी युवा को मौका देना चाहिए, जिससे वह ज्यादा ताकत के साथ संगठन को मजबूती के साथ खड़ा करे।
A. ज्योतिरादित्य की हार हमारे लिए चिंतनीय और दुखद है। यह कांग्रेस के लिए भी बड़ा संकट है। वह हमारे अजेय योद्धा थे। माहौल उनके खिलाफ नहीं, कांग्रेस के खिलाफ था। उनके इलाके के लोग दुखी हैं कि आखिर कैसे हार गए। यह हमारे लिए भी सबक जैसा है।
A. हम इसको लेकर गंभीर हैं। प्रदेश संगठन और सरकार इस पर मंथन कर रहे हैं। हम इस पर विचार करेंगे कि आखिर हम किन परिस्थितियों में इतने पीछे चले गए।