ये है मामला…
दरअसल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल समेत रायसेन और सीहोर में भोपाल के तत्कालीन नवाब हमीदुल्ला खान की जमीनों की जानकारी छुपाने के आरोप में नवाब परिवार के सदस्यों को प्रशासन ने नोटिस जारी किया है।
भोपाल में करीब 800 एकड़ और सीहोर और रायसेन में करीब तीन हजार एकड़ जमीन की जानकारी मौजूद नहीं है। अब सरकार नवाब परिवार की जमीन को सरकारी दायरे में लाने जा रही है।
मध्यप्रदेश सरकार ने नवाब परिवार की जमीन को सीलिंग एक्ट के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए साल 1971 की स्थिति में तीनों जिलों भोपाल समेत रायसेन और सीहोर के जिला कलेक्टरों से खेती की जमीन के रिकॉर्ड का सर्वे कराया जा रहा है।
पहले चरण में रायसेन जिले की 721 एकड़ जमीन को सरकारी घोषित करने से पहले अपर आयुक्त राजेश जैन ने नवाब परिवार के शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सबा, सोहा अली खान को नोटिस जारी किया है।
इनको 18 फरवरी तक अपना पक्ष रखना होगा। इन लोगों को यह भी बताना पड़ेगा कि साल 1971 में जब सरकार ने सीलिंग एक्ट के तहत जमीनों की जो जानकारी मांगी थी, उस वक्त विवरणी में पूरी जानकारी भरकर क्यों नहीं दी गई।
भोपाल में करीब 800 एकड़ जमीन अभी भी नवाब परिवार के नाम पर दर्ज है। जबकि सीहोर और रायसेन में करीब तीन हजार एकड़ जमीन ऐसी है, जो सीलिंग के दायरे में लाने की तैयारी की जा रही है।
अधिकारियों की गलती रही वजह…
केंद्र सरकार ने जमींदारी प्रथा को खत्म करने के लिए सीलिंग एक्ट 1961 लागू किया था। इस कानून के तहत कोई भी व्यक्ति जिसके पास 54 एकड़ से ज्यादा जमीन थी, उसको इसके दायरे में लाया गया था। इसी एक्ट के तहत भोपाल नवाब की निजी 133 प्रॉपर्टी को छोड़कर सबको इसके दायरे में ले लिया गया था।
लेकिन सरकारी अधिकारियों की गलती की वजह से कुछ जमीनों की जानकारी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो पाई थी। इसके लिए इन जमीनों का अब फिर से सर्वे कराया जा रहा है ताकि सरकारी रिकॉर्ड में जानकारियों को दर्ज किया जा सके।
ज्ञात हो कि तत्कालीन संभागायुक्त कवींद्र कियावत ने साल 1970 में नवाब की संपत्ति किसके नाम पर दर्ज थी, इसकी जानकारी जुटाने के लिए सर्वे कराने के निर्देश दिए थे। इसमें सीहोर,रायसेन और भोपाल जिले की जमीनें शामिल हैं।
वहीं पिछले दिनों रायसेन के ओबेदुल्लागंज में 721 एकड़ जमीन के नामांतरण की फाइल एसडीएम के पास पहुंची थी। इसका नामांतरण भी कर दिया गया। लेकिन जब यह फाइल दोबारा तहसीलदार के पास पहुंची तो उसने इसको खारिज कर दिया और इसकी जानकारी बैठक में संभागायुक्त को दी।
इसके बाद से संभागायुक्त ने जानकारी जुटाई तो यह पता चला कि जिस जमीन का नामांतरण किया जा रहा था। वो नवाब प्रॉपर्टी है।
अब ये होगा!…
जिला प्रशासन अगर नवाब की प्रापर्टी को सरकार सीलिंग एक्ट के दायरे में लाएगी, तो उसे सीलिंग एक्ट के तहत वारिसों के हिसाब से जमीन के रकबे का हिसाब तय करना पड़ेगा।
इसके बाद अधिक जमीन निकलने पर उसका सीलिंग एक्ट का केस दर्ज किया जाएगा। केस में सुनवाई के बाद बाकी जमीन को सरकारी घोषित कर उस पर कब्जा लिया जाएगा।
तीन साल पहले माना था शत्रु संपत्ति…
तीन साल पहले 24 फरवरी 2015 में शत्रु संपत्ति कार्यालय ने भोपाल नवाब की 133 प्रापर्टी को शत्रु संपत्ति माना था। जिसके तहत इन प्रापर्टी पर सरकार का कब्जा लेने के आदेश दिए थे, लेकिन कानूनी दाव-पेंच की वजह से इन प्रापर्टी पर अब तक कब्जा नहीं लिया जा सका है।
अब इन प्रापर्टी में से कई प्रापर्टी और जमीनें बेची जा चुकी हैं, जबकि कई पर नवाब के वारिसों का अब तक कब्जा बना हुआ है।
133 प्रॉपर्टी की जांच…
नवाब भोपाल की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान जाने के बाद शत्रु संपत्ति कार्यालय ने राजधानी की 133 प्रॉपर्टी को शत्रु संपत्ति मानते हुए जब्त करने की तैयारी की थी, जिसके तहत इन प्रॉपर्टी का वेरिफिकेशन कर रिपोर्ट भेजी गई थी। लेकिन कोर्ट में मामला होने की वजह से यह मामला पिछले पांच सालों से पेंडिंग चल रहा है।
इसके बाद राज्य सरकार ने एक साल पहले भोपाल में शत्रु संपत्ति की जानकारी मंगवाई, जिसमें नानी की हवेली को शत्रु संपत्ति माना गया। हाल ही में केंद्र सरकार की संयुक्त समिति ने राज्य सरकार से भोपाल के तत्कालीन नवाब की खेती की जमीन का रिकॉर्ड तलब किया है।