– राजस्थान में स्थिति ज्यादा खराब
रिपोर्ट में राज्यों के हिसाब से आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि राजस्थान में सबसे ज्यादा ग्रामीण बस्तियां इससे प्रभावित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक यहां 16,833 बस्तियों के लोग खराब पानी पीने को मजबूर हैं। इनमें से अधिकातर 12,182 बस्तियां खारे पानी से प्रभावित हैं।
– बंगाल और असम में भी असर
रिपोर्ट के मुताबिक, आर्सेनिक और लौह प्रदूषक के मामले में बंगाल और असम सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। भारत में कुल 30,000 ग्रामीण बस्तियां आर्सेनिक और लौह प्रदूषण से प्रभावित हैं, जिसमें से 20,000 बस्तियां केवल असम और बंगाल में हैं। बंगाल में आर्सेनिक से प्रभावित बस्तियां 6,207 सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद असम 4,125, बिहार 804, पंजाब 651 और उत्तर प्रदेश 650 हैं। लौह प्रदूषक से असम में सबसे ज्यादा बस्तियां 5,113 हैं। इसके बाद बंगाल 5,082, त्रिपुरा 2,377, बिहार 2,299 और ओडिशा 2,377 का नंबर आता है।
– ये राज्य बेहतर
रिपोर्ट के मुताबिक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम और तमिलनाडु का पानी किसी तरह से प्रदूषित नहीं है।
– मध्यप्रदेश की नदियां भी कम प्रदूषित नहीं
मध्यप्रदेश में खान, मंदाकिनी, क्षिप्रा और चंबल जैसी नदियां लगातार मैली होते जा रही हैं। पीसीबी ने प्रदेश की नदियों के वाटर क्वालिटी स्टेटस की नवंबर और दिसंबर 2016 की जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें नर्मदा जल की प्रदूषण की स्थिति ही नियंत्रण में और संतोषजनक बताई थी। जानकारी के मुताबिक खान नदी कबीटखेड़ी, शक्कर खेड़ी व सांवेर में और क्षिप्रा उज्जैन स्थित त्रिवेणी से एक किमी दूर, गौघाट, सिद्धवट व महीदपुर में प्रदूषित है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट बताती है कि खान नदी के कबीटखेड़ी के इलाके में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) तय मानक से 567 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह मंदाकिनी चित्रकूट के रामघाट में और चंबल नागदा से एक किमी दूर पूरी तरह से प्रदूषित है। मंदाकिनी के रामघाट में टोटल कोलीफॉर्म (टीसी) की मात्रा 3780 एमपीएन प्रति 100 मिली है। हालांकि यह मात्रा तय मानक से 24 फीसदी ही कम है, लेकिन प्रदेश की अन्य सभी नदियों की तुलना में सबसे ज्यादा है। इन नदियों को प्रदूषणमुक्त करने की पहल सरकार ने की है। पीसीबी के अनुसार प्रदेश की अन्य नदियों में 11 स्थानों को चिह्नित किया गया है, जहां जल प्रदूषण की स्थिति संतोषजनक नहीं है। पीसीबी इन स्थानों का अध्ययन कर इसके कारणों का पता लगाकर उनका निदान खोजेगा।