scriptसाफ पेयजल को मोहताज है देश की बड़ी आबादी | Large population of the country is fascinated by clean drinking water | Patrika News

साफ पेयजल को मोहताज है देश की बड़ी आबादी

locationभोपालPublished: Jan 17, 2020 09:27:50 pm

Submitted by:

anil chaudhary

– देशभर में बीमारियां फैला रहा प्रदूषित जल

What kind of water is this? If there is water, residents are shocked

ये कैसा पानी… जलप्रदाय हुआ तो चोंक गए रहवासी

अनिल चौधरी, भोपाल. देशभर के ग्रामीण इलाकों की बड़ी आबादी को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। नतीजतन, बड़ी संख्या में लोग बीमार हो रहे हैं। ज्यादातर बीमारियों की वजह प्रदूषित जल बनता जा रहा है। अलग-अलग जगहों के पानी में पाए जाने वाले प्रदूषक विभिन्न बीमारियों को जन्म देते हैं। पिछले दिनों जल शक्ति मंत्रालय की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में अभी भी 55,511 ग्रामीण बस्तियां के पेयजल में आयरन, आर्सेनिक आदि संदूषक बहुत मात्र में मौजूद हैं।
भारत के विभिन्न राज्यों की कुल ग्रामीण बस्तियों में से 55,511 ग्रामीण बस्तियों के लोग खराब गुणवत्ता का पानी पीने के लिए मजबूर हैं। संसद में जल शक्ति मंत्रलय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार 27 नवंबर 2019 तक स्थिति यह थी कि देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 3.22 प्रतिशत ग्रामीण बस्तियों और ग्रामीण आबादी के कुल 3.73 प्रतिशत लोग कम गुणवत्ता के पानी का प्रयोग कर रहे हैं।
– 18 हजार ग्रामीण बस्तियां प्रभावित
रिपोर्ट में बताया गया है कि आयरन पानी में पाया जाने वाला प्रमुख संदूषक है, जिससे 18,000 से अधिक ग्रामीण बस्तियां प्रभावित हैं। इसके बाद खारापन (लवणता) है, जिससे लगभग 13,000 ग्रामीण बस्तियां के लोग प्रभावित हैं। वहीं, आर्सेनिक (12,000 बस्तियां), फ्लोराइड (लगभग 8000 बस्तियां) और अन्य भारी धातुओं से भी कई ग्रामीण बस्तियों के लोग प्रभावित हैं।

– राजस्थान में स्थिति ज्यादा खराब
रिपोर्ट में राज्यों के हिसाब से आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि राजस्थान में सबसे ज्यादा ग्रामीण बस्तियां इससे प्रभावित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक यहां 16,833 बस्तियों के लोग खराब पानी पीने को मजबूर हैं। इनमें से अधिकातर 12,182 बस्तियां खारे पानी से प्रभावित हैं।

– बंगाल और असम में भी असर
रिपोर्ट के मुताबिक, आर्सेनिक और लौह प्रदूषक के मामले में बंगाल और असम सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। भारत में कुल 30,000 ग्रामीण बस्तियां आर्सेनिक और लौह प्रदूषण से प्रभावित हैं, जिसमें से 20,000 बस्तियां केवल असम और बंगाल में हैं। बंगाल में आर्सेनिक से प्रभावित बस्तियां 6,207 सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद असम 4,125, बिहार 804, पंजाब 651 और उत्तर प्रदेश 650 हैं। लौह प्रदूषक से असम में सबसे ज्यादा बस्तियां 5,113 हैं। इसके बाद बंगाल 5,082, त्रिपुरा 2,377, बिहार 2,299 और ओडिशा 2,377 का नंबर आता है।

– ये राज्य बेहतर
रिपोर्ट के मुताबिक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम और तमिलनाडु का पानी किसी तरह से प्रदूषित नहीं है।

– मध्यप्रदेश की नदियां भी कम प्रदूषित नहीं
मध्यप्रदेश में खान, मंदाकिनी, क्षिप्रा और चंबल जैसी नदियां लगातार मैली होते जा रही हैं। पीसीबी ने प्रदेश की नदियों के वाटर क्वालिटी स्टेटस की नवंबर और दिसंबर 2016 की जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें नर्मदा जल की प्रदूषण की स्थिति ही नियंत्रण में और संतोषजनक बताई थी। जानकारी के मुताबिक खान नदी कबीटखेड़ी, शक्कर खेड़ी व सांवेर में और क्षिप्रा उज्जैन स्थित त्रिवेणी से एक किमी दूर, गौघाट, सिद्धवट व महीदपुर में प्रदूषित है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट बताती है कि खान नदी के कबीटखेड़ी के इलाके में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) तय मानक से 567 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह मंदाकिनी चित्रकूट के रामघाट में और चंबल नागदा से एक किमी दूर पूरी तरह से प्रदूषित है। मंदाकिनी के रामघाट में टोटल कोलीफॉर्म (टीसी) की मात्रा 3780 एमपीएन प्रति 100 मिली है। हालांकि यह मात्रा तय मानक से 24 फीसदी ही कम है, लेकिन प्रदेश की अन्य सभी नदियों की तुलना में सबसे ज्यादा है। इन नदियों को प्रदूषणमुक्त करने की पहल सरकार ने की है। पीसीबी के अनुसार प्रदेश की अन्य नदियों में 11 स्थानों को चिह्नित किया गया है, जहां जल प्रदूषण की स्थिति संतोषजनक नहीं है। पीसीबी इन स्थानों का अध्ययन कर इसके कारणों का पता लगाकर उनका निदान खोजेगा।

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