प्रस्ताव के अनुसार, स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से निजी हाथों में सौंपा जाएगा। पहले चरण में शहरी क्षेत्र के स्कूल हस्तांरित करने की योजना है।
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी के अनुसार, स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार एेसा प्रस्ताव तैयार कर रही है, जिसमें शहर के निजी स्कूल संचालक ही सरकारी स्कूलों को एडॉप्ट कर लें। इसमें भवन से लेकर अमला तक सब हमारा होगा।
स्कूल के संचालन पर जो खर्च आएगा, वह सरकार निजी स्कूल संचालकों को देगी। पहले प्राइम लोकेशन वाले सरकारी स्कूलों को दिए जाने पर विचार चल रहा है।
…तो देशभर में लागू होगा मॉडल
इस कवायद में नीति आयोग के सदस्यों के शामिल होने से यह माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश में यह प्रयोग मॉडल के रूप में किया जा रहा है। यदि मॉडल सफल रहा तो इसे देशभर में लागू किया जा सकता है।
पीपीपी पर पेंच, सरकार ने निकाला नया रास्ता
पहले सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड (पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप) पर दिए जाने पर विचार किया जा रहा था, लेकिन निजी कंपनियां ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल और सरकारी अमले को लेने तैयार नहीं है। एेसे में इन स्कूलों को निजी हाथों में देने के लिए यह रास्ता निकाला गया है।
इधर, शिक्षकों को जल्द मिल सकता है ये तोहफा…
वहीं ये भी माना जा रहा है कि शिक्षक दिवस यानि 5 सितंबर को सरकार की ओर से शिक्षकों को एक खास तोहफ दिया जा सकता है।
अब जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार प्रदेश सरकार पुराने शिक्षकों के पद सितंबर के दूसरे सप्ताह तक अपग्रेड करने जा रही है, वहीं स्कूल शिक्षा विभाग सूत्र बताते है कि शिक्षक दिवस पर पदनाम का तोहफा प्रदेश सरकार शिक्षकों को दे सकती है।
जानकारों के अनुसार अब शिक्षा विभाग के योग्यता रखने वाले कुल 33199 और जनजातीय के 15867 सहायक शिक्षकों, शिक्षकों और प्राथमिक और माध्यमिक प्रधानपाठको को क्रमश: उच्च श्रेणी शिक्षक, प्रधानध्यापक माध्यमिक व व्याख्याता बनने का अवसर मिलेगा। ऐसे में शिक्षा के समतुल्य जनजातीय विभाग के शिक्षकों को भी लाभ मिलेगा!