दस मिनट में पहुंच गई एंबुलेंस…
डालचंद बताते हैं कि 5.40 पर 108 को कॉल किया और दस मिनट में एंबुलेंस आई, जिसकी टीम ने नवजात को उठाया और एंबुलेंस में ही प्राथमिक चिकित्सा दी। जिकित्जा हेल्थ केयर के डॉ. जितेन्द्र सिंह भदौरिया बताते हैं कि जब हम वहां पहुंचे तो नवजात की हालत खराब थी। पूरे शरीर पर चीटियां चल रही थीं।
नवजात की अंबलिकल कॉड (नाल) और प्लेसेंटा अलग नहीं किए गए थे। यानी उसका जन्म कुछ देर पहले ही हुआ था। हमने बच्चे की सफाई कर नाल काटी और एंबुलेंस में ही ऑक्सीजन दी। इसके बाद जेपी अस्पताल में एडमिट कराया।
अभी रहेगा डॉक्टरों की निगरानी में
नवजात को जेपी अस्पताल के एसएनसीयू में एडमिट कराया गया है। उसका वजन 1.5 किलो है। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश मरावी का कहना है कि बच्चे की स्थिति गंभीर है। खुले में पड़ा होने और गंदे पानी से संक्रमण हो गया है। एंटीबायोटिक्स दे रहे हैं, लेकिन नवजात प्रीमैच्योर है और वजन भी कम है। कुछ दिन तक गंभीर स्थिति रहेगी।
मेरा कसूर क्या था…मां
मां … आखिर मेरा क्या कसूर था जो तुमने मुझे देखे बिना ही छोड़ दिया। मां तुमने मुझे अपनी कोख में पाला फिर क्यों अपने आंचल से दूर कर दिया। अगर मुझसे इतनी ही नफरत थी तो फिर जन्म ही क्यों दिया? मां तुम्हें पता है जब मैं इस दुनिया में आया तो आंखे भी ठीक से नहीं खुली थीं… लेकिन मैं सपने देख रहा था तुम्हारे आंचल की छांव में आने के। अचानक मुझे बड़ी ही बेदर्दी से कचरे में फेंक दिया। कचरे के ढेर में चीटियां मुझे काट रहीं थी, दर्द के मारे में कराह भी नहीं पा रहा था.. मां उस समय मुझे बहुत डर लग रहा था और तुम्हें ही याद कर रहा था।