कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए बैंक अपनी सेवाओं के बदले तरह-तरह के शुल्क लगाते हैं। कई बार तो ग्राहकों को इसकी जानकारी ही नहीं मिल पाती और बैंक अकाउंट से पैसा काट लेते हैं। इसपर बैंक प्रबंधन का तर्क रहता है कि वे रिजर्व बैंक की गाइडलाइन पर काम कर रहे हैं। ग्राहकों को कभी सूचना नहीं दी जाती कि उनके खाते से किस मद में कितना पैसा काटा जा रहा है। एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी का कहना है कि बैंक सेवा शुल्क में और वृद्घि करेगा।
कर्मचारियों की कमी
बैंक मैनेजमेंट हर साल भर्ती की बात करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि बैंकों में कर्मचारियों की खासी कमी है। बड़े कारोबार वाले बैंकों में भी नकद जमा, राशि की निकासी आदि के लिए एक-एक काउंटर होते हैं, जिन पर लाइनें लगती देखी जाती हैं। बैंक पहुंचने पर उन लोगों को ज्यादा परेशानी होती है, जो दिव्यांग, बुजुर्ग या बुजुर्ग पेंशनधारी है। ऐसे लोगों को घंटों बैंकों में बैठना पड़ता है।
बैंक मैनेजमेंट हर साल भर्ती की बात करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि बैंकों में कर्मचारियों की खासी कमी है। बड़े कारोबार वाले बैंकों में भी नकद जमा, राशि की निकासी आदि के लिए एक-एक काउंटर होते हैं, जिन पर लाइनें लगती देखी जाती हैं। बैंक पहुंचने पर उन लोगों को ज्यादा परेशानी होती है, जो दिव्यांग, बुजुर्ग या बुजुर्ग पेंशनधारी है। ऐसे लोगों को घंटों बैंकों में बैठना पड़ता है।
कर्मचारी चला रहे हस्ताक्षर अभियान
ग्राहकों की परेशानियों और जनता के धन का दुरुपयोग होते देख बैंक कर्मचारी राष्ट्रीय स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। उनका लक्ष्य एक करोड़ हस्ताक्षर करवा कर अर्थव्यवस्था और बैंकों की रक्षा करना है। यह अभियान 20 जनवरी से शुरू हुआ है और 31 जनवरी तक चलेगा।
ग्राहकों की परेशानियों और जनता के धन का दुरुपयोग होते देख बैंक कर्मचारी राष्ट्रीय स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। उनका लक्ष्य एक करोड़ हस्ताक्षर करवा कर अर्थव्यवस्था और बैंकों की रक्षा करना है। यह अभियान 20 जनवरी से शुरू हुआ है और 31 जनवरी तक चलेगा।
कर्मचारियों का कहना है कि एक तरफ तो बैंक तरह -तरह के चार्जेस लगाकर जनता से धन की वसूली करती है, उसी धन को कॉर्पोरेट घरानों में बांटकर बाद में उसे माफ कर देती है। उनका कहना है कि आज जनता का 110 करोड़ रुपए विभिन्न बैंकों में जमा है।
बैंकों के अलग-अलग शुल्क
खाते में फंड ट्रांसफर- अपने ही बैंक से फंड ट्रांसफर करें तो मुफ्त, दूसरे बैंक में 50 रुपए चार्ज और सर्विस टैक्स देना होगा। गलत पता – यदि एटीएम कार्ड गलत पते के कारण लौट जाता है, तो 100 रुपए चार्ज के साथ सर्विस टैक्स भी देना होगा।
खाते में फंड ट्रांसफर- अपने ही बैंक से फंड ट्रांसफर करें तो मुफ्त, दूसरे बैंक में 50 रुपए चार्ज और सर्विस टैक्स देना होगा। गलत पता – यदि एटीएम कार्ड गलत पते के कारण लौट जाता है, तो 100 रुपए चार्ज के साथ सर्विस टैक्स भी देना होगा।
एनईएफटी- बैंक से 10 हजार रुपए तक एनईएफटी करवाने पर दो रुपए चार्ज के साथ सर्विस टैक्स भी देना होगा। आरटीजीएस- बैंक से आरटीजीएस करवाने पर दो से पांच लाख रुपए तक 20 रुपए शुल्क के साथ सर्विस टैक्स लगेगा।
आईएमपीएस- इम्मीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) के तहत 2500 रुपए तक भेजने पर 25 रुपए चार्ज लगता है। ये है बैंकिंग सिस्टम (अनुमानित) देश में :
बैंक शाखाएं 1.30 लाख एटीएम 2 लाख
कर्मचारी 10 लाख
बैंक शाखाएं 1.30 लाख एटीएम 2 लाख
कर्मचारी 10 लाख
प्रदेश में : बैंक शाखाएं 7300
एटीएम 10,000 कर्मचारी 40,000 भोपाल में :
बैंक शाखाएं 488 एटीएम 1000
कर्मचारी 5000 (आंकड़े- बैंक कर्मचारी संगठनों के मुताबिक) किसी भी प्रोडक्ट पर नियमानुसार मिनीमम चार्जेस तो लगते हैं। यदि किसी को सस्ते प्रोडक्ट चाहिए तो वह भी बैंकों में उपलब्ध रहते हैं। जहां तक नए चार्जेस लगने की बात है तो ऐसा मेरे संज्ञान में नहीं आया।
– अजय व्यास, फील्ड महाप्रबंधक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिय
एटीएम 10,000 कर्मचारी 40,000 भोपाल में :
बैंक शाखाएं 488 एटीएम 1000
कर्मचारी 5000 (आंकड़े- बैंक कर्मचारी संगठनों के मुताबिक) किसी भी प्रोडक्ट पर नियमानुसार मिनीमम चार्जेस तो लगते हैं। यदि किसी को सस्ते प्रोडक्ट चाहिए तो वह भी बैंकों में उपलब्ध रहते हैं। जहां तक नए चार्जेस लगने की बात है तो ऐसा मेरे संज्ञान में नहीं आया।
– अजय व्यास, फील्ड महाप्रबंधक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिय