स्मार्टसिटी सीईओ चंद्रमौली शुक्ला ने बकायदा पत्र लिखकर बीएसएनएल को बताया कि इतनी बड़ी कंपनी होने के बावजूद उसका खुद का क्लाउड नहीं है। इतना ही नहीं, उन्होंने बीएसएनएल के प्रजेंटेशन पर ही सवाल खड़े किए और लिखा है कि आपने ड्रोन उड़ाने की कोशिश की, लेकिन उड़ा ही नहीं। बीएसएनएल ने जिन कंपनियों को काम में साथ होना बताया, वे उसकी पार्टनर ही नहीं हैं। स्मार्टसिटी कॉर्पोरेशन के पत्र के साथ ही दो सरकारी एजेंसियों में विवाद गहरा गया है। अभी बीएसएनएल के सीजीएम संदीप सावरकर चुप हैं।
संभवत: वे पत्र लिखकर ही स्मार्टसिटी को जवाब देंगे। ये पूरा प्रजेंटेशन सावरकर ने ही ऑर्गेनाइज कराया था। भोपाल समेत प्रदेश के सात शहरों में स्मार्टसिटी के 17 कामों को कंट्रोल करने का काम एक ही जगह ये किया जाना है।
हाल में इसका काम 300 करोड में एचपीई कंपनी को दिया गया। इस डाटा सेंटर से भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, सतना और सागर को सुविधाएं व सेवाएं मिलेंगी। चयनीत कंपनी अगले पांच साल तक क्लाउड आधारित सेवाएं देंगी।
बीएसएनएल सरकारी कंपनी होने की बात कहकर बिना टेंडर में भाग लिए काम लेना चाहता था। हमने एेसा नहीं होने दिया, इसलिए इस तरह की बात की जा रही है। हमने जवाब दे दिया है।
– चंद्रमौली शुक्ला, सीईओ, स्मार्टसिटी कॉर्पोरेशन
– चंद्रमौली शुक्ला, सीईओ, स्मार्टसिटी कॉर्पोरेशन
275 करोड़ में तैयार था बीएसएनएल, 300 करोड़ में दिया एचपीई को काम :
स्मार्टसिटी कॉर्पोरेशन ने 300 करोड़ में एचपीई कंपनी को काम दिया है। ये कंपनी स्मार्टसिटी की कंसलटेंट कंपनी प्राइज वॉटर कूपर से पहले ही जुड़ी हुई है। आरोप है कि कंसलटेंट कंपनी ने ये काम दिलाया। बीएसएनएल सीजीएम संदीप सावरकर ने 29 सितंबर और 3 व 6 अक्टूबर को पत्र लिखकर स्मार्टसिटी पर अपेक्षाकृत कम योग्यता वाले को काम देने व बीएसएनएल के लंबे अनुभव व योग्यता को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए ठेके पर फिर से विचार करने को कहा था।
स्मार्टसिटी कॉर्पोरेशन ने 300 करोड़ में एचपीई कंपनी को काम दिया है। ये कंपनी स्मार्टसिटी की कंसलटेंट कंपनी प्राइज वॉटर कूपर से पहले ही जुड़ी हुई है। आरोप है कि कंसलटेंट कंपनी ने ये काम दिलाया। बीएसएनएल सीजीएम संदीप सावरकर ने 29 सितंबर और 3 व 6 अक्टूबर को पत्र लिखकर स्मार्टसिटी पर अपेक्षाकृत कम योग्यता वाले को काम देने व बीएसएनएल के लंबे अनुभव व योग्यता को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए ठेके पर फिर से विचार करने को कहा था।
इसकी प्रतियां मुख्यमंत्री व वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गई थीं। बीएसएनल ने ये काम 275 करोड़ में करना प्रस्तावित किया था। एडवोकेट सिद्धार्थ गुप्ता ने भी स्मार्टसिटी कारपोरेशन समेत अन्य जगहों पर शिकायत कर निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है।
बीएसएनएल के आरोप :
ओईएम डोमेन को पीएचई ने 2015 में लांच किया है और अनुभव खास नहीं है। दुबई में जहां उसने काम करने का संदर्भ दिया है, वहां सिस्टम इंटीग्रेटर के तौर पर शामिल था, एचपीई ने टेंडर की कई शर्तों का उल्लंघन किया।
स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट की कंसलटेंट कंपनी प्राइस वाटर कूपर, एचपीई का गठबंधन है। कंसलटेंट कंपनी से जुड़ी कंपनी को काम नहीं दे सकता।
ओईएम डोमेन को पीएचई ने 2015 में लांच किया है और अनुभव खास नहीं है। दुबई में जहां उसने काम करने का संदर्भ दिया है, वहां सिस्टम इंटीग्रेटर के तौर पर शामिल था, एचपीई ने टेंडर की कई शर्तों का उल्लंघन किया।
स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट की कंसलटेंट कंपनी प्राइस वाटर कूपर, एचपीई का गठबंधन है। कंसलटेंट कंपनी से जुड़ी कंपनी को काम नहीं दे सकता।