इसी के चलते मध्य प्रदेश में चुनावी वर्ष में कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ हाथ मिलाने जा रही है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां मिलकर लड़ेंगी।
कांग्रेस-बीएसपी के गठबंधन की संभावना को पुष्ट करते हुए एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने शनिवार को कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश की गई है। गठबंधन की बात सामने आने से जानकारों के अनुसार भाजपा के लिए परेशानी बढ़ गई है।
जबकि इससे पहले BSP प्रदेश अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद अहिरवार ने बयान दिया था कि बहुजन समाज पार्टी अपनी दम पर प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जिसके बाद प्रदेश भर में राजनीतिक हलचल बढ़ गई। वहीं सूत्रों के अनुसार इस घोषणा के बाद से कांग्रेस मुश्किल में फंस गई थी। जबकि कमलनाथ लगातार गठबंधन की बात को लेकर तैयारी की बात कर रहे।
इसके अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के साथ भी कांग्रेस की गठबंधन के लिए बात चल रही हैा जीजीपी का आदिवासी बहुल जिलों मांडला, डिंडोरी, जबलपुर और छिंदवाड़ा में अच्छा प्रभाव है। ज्ञात हो कि इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। एमपी में लगातार तीन विधानसभा चुनावों (2003, 2008, 2013) में कांग्रेस को बीजेपी से हार मिली है।
कुल सीट: 230
बीजेपी: 165 सीट
वोट शेयर: 44.88%
कांग्रेस: 58 सीट,
वोट शेयर: 36.38%
बीएसपी: 4 सीट,
वोट शेयर: 6.43% कहां होगा इसका फायदा…
राजनैतिक विशेषज्ञ पहले से ही यह मान कर चल रहे थे कि कांग्रेस और बसपा साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन बीच में बसपा के प्रदेशाध्यक्ष का बयान आने से जहां कांग्रेस के लिए समस्या खड़ी हो गई थी, वहीं भाजपा को इससे राहत का अहसास हुआ। जबकि जानकारों का मानना था कि कांग्रेस और बसपा में गठबंधन का फैसला मायावती ही लेंगी।
वहीं जानकारों का यह भी मानना है कि भाजपा प्रदेश में काफी मजबूत है। इसी के चलते कांग्रेस भी गठबंधन के लिए मजबूर है। माना जा रहा था कि चुनाव में आप व बसपा जैसी पार्टियों के उतर आने की बात सामने आने से भाजपा काफी आराम की स्थिति में थी, लेकिन बसपा के कांग्रेस से हाथ मिलाने की सूचना सामने आते ही भाजपा की परेशानियां बढ़ गई हैं।