scriptबिठूर में तीन माह तक रिसर्च कर तैयार की लव-कुश कथा | Lav-Kush Katha done after researching for three months in Bithoor | Patrika News

बिठूर में तीन माह तक रिसर्च कर तैयार की लव-कुश कथा

locationभोपालPublished: Oct 18, 2019 10:43:29 pm

Submitted by:

hitesh sharma

जनजातीय संग्रहालय में एकाग्र राष्ट्रीय पुतुल समारोह में हुईं दो प्रस्तुतियां

बिठूर में तीन माह तक रिसर्च कर तैयार की लव-कुश कथा

बिठूर में तीन माह तक रिसर्च कर तैयार की लव-कुश कथा

भोपाल। जनजातीय संग्रहालय में कठपुतली कला की विविध शैलियों पर एकाग्र ‘राष्ट्रीय पुतुल समारोहÓ में शुक्रवार को प्रदीपनाथ त्रिपाठी(लखनऊ) ने छड़ पुतली शैली में लवकुश तथा अलादीन का मंचन किया। लव-कुश वाल्मीकि रचित महाकाव्य रामायण पर आधारित है। प्रस्तुति की शुरुआत देवी सीता के वाल्मीकि आश्रम में पहुंचने से शुरू होती है और फिर लव-कुश का जन्म होता है। एक समय आता है, जब श्रीराम अश्वमेघ यज्ञ के लिए अश्व को छोड़ देते हैं और श्रीराम के पुत्र लव और कुश उस अश्व को तपोवन में रोक लेते हैं। हनुमान भी लव-कुश का सामना नहीं कर पाते। अंतत: श्रीराम का लव-कुश से युद्ध होता है और पिता और पुत्रों का मिलन होता है। मंचन में कठपुतलियों के माध्यम से मां सीता को धरती में समाते दिखाया गया। डायरेक्टर का कहना है कि बिठूर में जाकर तीन माह तक रिसर्च कर इसे तैयार किया।

अरेबियन नाइट्स पर आधारित अलादीन का मंचन
वहीं, अरेबियन नाइट्स पर आधारित अलादीन का मंचन कलाकारों ने अपने कलात्मक कठपुतली संचालन माध्यम से किया। यह कहानी अलादीन नामक एक गरीब लड़के की कहानी है, जो अपनी मां के साथ रहता है। एक दिन अचानक ही एक पहाड़ी दर्रे में उसे बहुत सारा धन और एक चिराग मिलता है। अलादीन उसे अपने घर लाता है और मां को दिखता है, अचानक ही घिस जाने की वजह से चिराग से जिन निकल आता है। जिन बताता है कि वह चिराग के मालिक का वह गुलाम है और उनका हर हुक्म पूरा कर सकता है। इस तरह जिन अलादीन की सारी फरमाइशें पूरी करता है।

इस प्रस्तुति को लगभग 20 कठपुतलियों की मदद से मंचित किया गया। इस प्रस्तुति की समय सीमा लगभग 1 घंटा 10 मिनट रही। इस प्रस्तुति का निर्देशन प्रदीपनाथ त्रिपाठी ने किया। छड़ कठपुतली शैली में स्क्रीन के पीछे से कठपुतली कलाकार छड़ी से इन्हें नियंत्रित करता है। यह मुख्य रूप से पूर्वी भारत की लोकप्रिय शैली है। प्रस्तुति के दौरान प्रदीपनाथ त्रिपाठी, नितेश कुमार, सोमेंद्र प्रताप सिंह, तनय पाण्डेय, मोहम्मद बबलू, विकास दुबे, दीपक शर्मा, नागपाल, गीता साहू, कृष्ण कुमार राय, रमाकांत शुक्ल और राजवीर रतन ने अपने कलात्मक कठपुतली संचालन कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रस्तुति के दौरान प्रकाश संचालन में संजू श्री ने सहयोग किया।

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