प्रश्नः क्या आपको लगता है कि भाजपा के सामने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कुछ रोड़े हैं?
पहले आप देखिए कि देश कैसे बदला है। 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हम केंद्र में आए। उसके बाद जितने भी चुनाव हुए, सिर्फ बिहार और दिल्ली को छोड़़कर सब जीते हैं। कर्नाटक में भी हम जीते हुए ही हैं। नए क्षेत्रों में भाजपा ने प्रवेश किया है। इन तीनों राज्यों की सरकारों ने भी बहुत अच्छा काम किया है। इसलिए तीनों जगह हमारी सरकार बनना तय है।
प्रश्नः मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा में भारी बगावत और असंतोष देखने को मिला है? मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में 15 वर्ष की एंटी इंकम्बेंसी भी है? अब एंटी इंकम्बेंसी का पारंपरिक विचार खत्म हो रहा है। उसकी जगह प्रो-इंकम्बेंसी की अवधारणा भी आई है। नितिश कुमार, शिवराज सिंह और रमन सिंह लगातार मुख्यमंत्री बने ही हुए हैं। जहां तक बागियों की बात है तो यह हमारी पार्टी की ही हिम्मत है कि 60 लोगों टिकट काटे हैं, इनमें कुछ मंत्री भी हैं।
प्रश्नः कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र की भाजपा को अचानक चिंता क्यों हो गई है?
क्योंकि कांग्रेस का नारा है लोकतंत्र हमें बचाना है, मोदी-शाह और भाजपा से। राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनने बाद प्रधानमंत्री को लेकर घटिया शब्दावली और निम्न स्तर की बाते करते हैं। राहुल की और कोई क्षमता नहीं है सिर्फ इसके कि वो नेहरू-गांधी परिवार में पैदा हुए हैं। वरना वो अपनी पार्टी के जिला अध्यक्ष भी नहीं बन पाते। राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और शाह बूथ की राजनीति करके अध्यक्ष बने हैं।
प्रश्नः महागठबंधन देश में मजबूत हो रहा है, एनडीए कमजोर हो रहा है? 2019 की लड़ाई मुश्किल नहीं होगी क्या? आप बताइए, नायडू और ममता का मध्यप्रदेश में कितना वोट है। अब 1995-96 का हिंदुस्तान नहीं है कि गठबंधन की सरकारें बन जाएं। आज देश विकास और स्थायित्व चाहता है। फिर महागठबंधन के नेता तो राहुल को अपना नेता मानने को तैयार ही नहीं है।